सुशील और योगेश्वर की अगुआई में अभियान की शुरूआत करेंगे पहलवान

ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त की अगुआई में भारतीय पहलवान कल से यहां राष्ट्रमंडल खेलों की कुश्ती स्पर्धाओं में अपना दबदबा बनाने के इरादे से उतरेंगे लेकिन ग्रीको रोमन वर्ग को हटाए जाने से निश्चित तौर पर देश की पदकों की संख्या पर असर पड़ेगा। नयी दिल्ली में 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में ग्रीको रोमन पहलवानों ने सात पदक (चार स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य) जीते थे। भारत ने कुश्ती में कुल 19 पदक जीते थे। इस बार भी भारत का फ्रीस्टाइल दल काफी मजबूत लग रहा है और उसके कम से कम 10 पदक जीतने की उम्मीद है। भारतीय कुश्ती ने पिछले कुछ वषरें में नयी बुलंदियां छुई हैं। सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीते के बाद लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक जीता जबकि योगेश्वर भी कांस्य पदक अपने नाम करने में सफल रहे।

सुशील और योगेश्वर की अगुआई में अभियान की शुरूआत करेंगे पहलवान

ग्लास्गो : ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त की अगुआई में भारतीय पहलवान कल से यहां राष्ट्रमंडल खेलों की कुश्ती स्पर्धाओं में अपना दबदबा बनाने के इरादे से उतरेंगे लेकिन ग्रीको रोमन वर्ग को हटाए जाने से निश्चित तौर पर देश की पदकों की संख्या पर असर पड़ेगा। नयी दिल्ली में 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में ग्रीको रोमन पहलवानों ने सात पदक (चार स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य) जीते थे। भारत ने कुश्ती में कुल 19 पदक जीते थे। इस बार भी भारत का फ्रीस्टाइल दल काफी मजबूत लग रहा है और उसके कम से कम 10 पदक जीतने की उम्मीद है। भारतीय कुश्ती ने पिछले कुछ वषरें में नयी बुलंदियां छुई हैं। सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीते के बाद लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक जीता जबकि योगेश्वर भी कांस्य पदक अपने नाम करने में सफल रहे।

पिछले साल दिसंबर में फिला ने कुछ वजन वर्ग हटा दिया जबकि कुछ में बदलाव किया जिससे सुशील और योगेश्वर इस बार नये वजन वर्गों में उतरेंगे। सुशील ने अपने ओलंपिक पदक 66 किग्रा फ्रीस्टाइल में जीते थे लेकिन इस बार वह 74 किग्रा वजन वर्ग में चुनौती पेश करेंगे जबकि योगेश्वर को 60 किग्रा की जगह 65 किग्रा वजन वर्ग में उतरना होगा। सुशील और योगेश्वर ने लंदन ओलंपिक के बाद लंबा ब्रेक लिया जिससे ये दोनों विश्व रैंकिंग में शामिल नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद इन दोनों के अपने वर्गों में स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद है।

अन्य भारतीयों में 57 किग्रा में अमित कुमार, 61 किग्रा में बजरंग पूनिया, 86 किग्रा में पवन कुमार और 97 किग्रा में सत्यव्रत कादियान चुनौती पेश करेंगे। वजन वर्गों में बदलाव का इन सभी पर कोई असर नहीं पड़ा है। भारतीय पहलवानों ने पिछले साल जोहानिसबर्ग में हुई राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप में 14 पदक और टीम खिताब जीता था। भारत सात स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य पदक जीतने में सफल रहा था।

टूर्नामेंट में पवन और सत्यव्रत दोनों ने सोने के तमगे जीते थे। सत्यव्रत ने हैवीवेट वर्ग में भारत के लिए यह पहला पदक जीता था और 97 किग्रा वर्ग में टीम को उनसे काफी उम्मीद है। भारत को पवन से भी पदक की उम्मीद है। अमित और बजरंग पर भी टीम की नजरें हैं। लंदन ओलंपिक खेलों में बजरंग भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे युवा पहलवान थे और लंदन का अनुभव निश्चित तौर पर यहां उनके काम आएगा।

महिला पहलवान भी दिल्ली के मुकाबले अपने प्रदर्शन में सुधार करने के इरादे से उतरेंगी। महिला पहलवानों ने पिछले टूर्नामेंट में तीन स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक जीता था। अनुभवी बबिता कुमारी महिला वर्ग में भारतीय चुनौती की अगुआई करेंगी। उनकी नजरें 55 किग्रा वर्ग में खिताब की रक्षा के अपने अभियान पर टिकी होंगी। भारत को हालांकि बबिता की बहन गीता की कमी खलेगी जिन्होंने पिछले टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था। इसके अलावा विनेश (48 किग्रा), नवजोत कौर (69 किग्रा) और ज्योति (75) से भी टीम को काफी उम्मीद हैं।

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