खेल संस्थाओं का नियमन हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं : HC

दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश भर में खेल विभागों और स्वायत्त संस्थाओं की कार्यशैली पर नियंत्रण के लिए निगरानी और नियामक एजेंसी के गठन की मांग करने वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इसमें उठाया गया मुद्दा उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश भर में खेल विभागों और स्वायत्त संस्थाओं की कार्यशैली पर नियंत्रण के लिए निगरानी और नियामक एजेंसी के गठन की मांग करने वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इसमें उठाया गया मुद्दा उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आरएस एंडला की पीठ ने राजीव बूलचंद जैन की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि याचिका में कई मुद्दे उठाए गए हैं और इसमें से प्रत्येक पर अलग से ध्यान देने की जरूरत है।

अदालत ने कहा, ‘हमने पाया है कि याचिका मुख्य रूप से हरियाणा के सोनीपत जिले के राई के मोतीलाल नेहरू स्कूल आफ स्पोर्ट्स और हरियाणा के खेल विभाग में कथित खराब कार्यप्रणाली से जुड़ी है। हमारा मानना है कि इस मामले में क्षेत्रीय अधिकार चंडीगढ़ के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का है और इस अदालत (दिल्ली उच्च न्यायालय) का नहीं।’

उन्होंने कहा, ‘साथ ही हमारा नजरिया है कि याचिका में कई मुद्दे उठाए गए हैं जिसमें से प्रत्येक पर अलग से ध्यान दिए जाने की जरूरत है।’ जनहित याचिका में खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा के लिए नियामक एजेंसी के गठन की मांग की गई थी जैसा कि महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के मामले में सरकार ने किया है।

यचिका में जैन ने हरियाणा सरकार के खेल और युवा मामलों के विभाग पर भ्रष्टाचार और आवंटित पैसा का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए इसकी कार्यप्रणाली की सीबीआई जांच की मांग भी की थी।

साथ ही यचिका में केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय को निर्देश देने को कहा गया था कि वह तुरंत बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल महासंघ घोषित करे और इसका प्रभार अपने हाथ में ले जिससे कि भारत में क्रिकेट का प्रत्येक पहलू सरकार की नजर में आए।

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