केजरीवाल ने सरकार बनाने के लिए रखीं शर्तें, कांग्रेस ने कहा- जिम्मेदारियों से भाग रही है AAP

आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा सरकार गठन पर फैसला करने से पहले भाजपा और कांग्रेस पर कुछ नई शर्तें रखे जाने के बीच दिल्ली में बने राजनीतिक गतिरोध के दूर होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। वहीं उप राज्यपाल नजीब जंग ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति के संबंध में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक रिपोर्ट सौंप दी।

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा सरकार गठन पर फैसला करने से पहले भाजपा और कांग्रेस पर कुछ नई शर्तें रखे जाने के बीच दिल्ली में बने राजनीतिक गतिरोध के दूर होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। वहीं उप राज्यपाल नजीब जंग ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति के संबंध में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक रिपोर्ट सौंप दी। भाजपा ने स्पष्ट जनादेश नहीं होने की बात कहकर पहले ही राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने से इनकार कर दिया है।
विधानसभा चुनावों में दूसरे नंबर पर रही आप के नेता अरविन्द केजरीवाल ने आज उपराज्यपाल से मुलाकात की और उनसे समय मांगते हुए कहा कि सरकार बनाने का दावा करने के पहले वे भाजपा और कांग्रेस का जवाब जानना चाहेंगे। चुनावों के नतीजे घोषित हुए एक सप्ताह होने को है और सरकार गठन की दिशा में कोई स्पष्ट स्थिति नहीं होने के बीच दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ने लगी है। उपराज्यपाल ने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध के संबंध में राष्ट्रपति को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है।
सूत्रों ने बताया कि जंग ने रिपोर्ट में भाजपा द्वारा सरकार बनाने के प्रति अनिच्छा और इस मुद्दे पर आप के रूख का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि अभी की स्थिति में दिल्ली में सरकार गठन संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि मौजूदा स्थिति पर गृह मंत्रालय को भी एक रिपोर्ट भेजी गयी है और उपराज्यपाल निर्देश की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उपराज्यपाल ने सरकार के गठन पर विचार विमर्श करने के लिए आम आदमी पार्टी को आमंत्रित किया था। बैठक में केजरीवाल ने जंग से मुलाकात कर उन्हें उन पत्रों की प्रतियां दी जो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजे थे। इन पत्रों में आप नेता ने राष्ट्रीय राजधानी में वीआईपी संस्कृति, बिजली कंपनियों का ऑडिट और विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास कोष के खात्मे समेत 18 मुद्दों पर उनकी राय मांगी है।
कांग्रेस ने कल रात नाटकीय कदम उठाते हुए अगली सरकार के गठन के लिए आप को अपने आठ विधायकों का बिना शर्त समर्थन देने का एलान किया था। जंग से मुलाकात के बाद केजरीवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने सरकार गठन के लिए उप राज्यपाल से कोई समय नहीं मांगा है। केजरीवाल ने दावा किया कि उप राज्यपाल ने उनसे कहा है कि जब उनके पास बहुमत हो तो वह वापस आ सकते हैं।
उधर, उप राज्यपाल की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘आप विधायक दल के नेता अरविन्द केजरीवाल ने उप राज्यपाल से मुलाकात की। केजरीवाल ने कांग्रेस से मिले समर्थन पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों की राय जानने के बाद ही वह सरकार बनाने की स्थिति में होंगे।’ चुनाव में 32 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा ने सरकार गठन करने से मना कर दिया है। अब 28 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कह रही है कि वह सरकार गठन के लिए भाजपा और कांग्रेस से न तो समर्थन लेगी और न ही समर्थन देगी। केजरीवाल ने कहा कि आखिर भाजपा और कांग्रेस समर्थन देने के लिए क्यों तैयार है जब हमने उनसे मांगा ही नहीं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘कोई भी बगैर वजह किसी को बिना शर्त समर्थन नहीं देता। कुछ वजह तो है कि दोनों ही पार्टियां हमें मुफ्त में अपना समर्थन देने के लिए बेकरार हैं। उनकी मंशा क्या है।’ केजरीवाल ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि उनकी मंशा उसी क्षण स्पष्ट हो गई थी जब भाजपा ने यह कहते हुए सरकार बनाने से इनकार कर दिया कि उनकी रूचि जोड़ तोड़ की राजनीति और खरीद-फरोख्त में नहीं है, जबकि अन्य राज्यों में वह कथित रूप से यह सब कर चुकी है।
आप नेता ने कहा कि उनकी पार्टी का रूख पहले दिन से ही साफ रहा है कि वह कांग्रेस या भाजपा से समर्थन नहीं लेगी और न ही समर्थन देगी। उन्होंने कहा कि आम आदमी ने ‘आप’ का गठन इन दो पार्टियों की कथित भ्रष्ट एवं आपराधिक राजनीति के खिलाफ किया था और इन पार्टियों के साथ हाथ मिलाना संभव नहीं है।
केजरीवाल ने कहा, ‘मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा प्रमुख राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर 18 मुद्दों पर उनका रूख जानना चाहा।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे मुद्दों पर स्पष्ट जवाब देने को कहा।’ केजरीवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के 15 साल के शासन में लोगों की समस्या बहुत बढ़ गयी। उसी तरह भाजपा शासित नगर निगम कथित लूट-पाट और कुप्रशासन में शामिल रहा। आमजन भ्रष्टाचार से उब चुके हैं।
अपने पत्र में केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी की वीआईपी संस्कृति के खात्मे के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस से विचार मांगे हैं। कोई मंत्री, कोई विधायक या अधिकारी लाल बत्ती वाला वाहन इस्तेमाल नहीं करेगा, अपने लिए सुरक्षा की मांग नहीं करेगा और बड़े बंगले में नहीं रहेगा।
‘आप’ की अन्य मांग में विधायक या पाषर्द निधि का खात्मा और स्थानीय इलाकों के विकास के लिए धनराशि का आबंटन मोहल्ला सभा के जरिए करना है। उन्होंने व्यय का फैसला करने का अधिकार आम अवाम को सौंपने की भी मांग की है। ‘आप’ ने दिल्ली में जन लोकपाल विधेयक पारित किए जाने पर भी उनके विचार मांगे हैं।
केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने, बिजली कंपनियों के खाते का आडिट करने के मुद्दे पर भी दोनों पार्टियों का रूख जानना चाहा। आम आदमी पार्टी द्वारा शर्तें लगाए जाने के बीच कांग्रेस की दिल्ली इकाई ने आज अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि वह जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है और उसे जनादेश का सम्मान करने की चुनौती दी।
कांग्रेस के विधायक और पूर्व बिजली मंत्री हारून यूसुफ ने कहा, कांग्रेस ने समर्थन इसलिए दिया ताकि आप सरकार बना सके क्योंकि उन्हें दिल्ली की जनता से जनादेश मिला था। आप ने सिर्फ जिम्मेदारी से बचने के लिए लंबी फेहरिस्त भेज दी। पन्द्रह वर्ष तक दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस को हाल के विधानसभा चुनाव में मात्र आठ सीटें ही मिल पाईं। पार्टी ने दावा किया कि केजरीवाल ने कांग्रेस और भाजपा के अध्यक्षों को अपने पत्र में जो 18 मुद्दे उठाए हैं उनका विधायिका से कुछ लेना देना नहीं है और यह इस क्षेत्र में उनकी जानकारी की कमी दर्शाता है।
यूसुफ ने कहा, वादे करना और मुफ्त के तोहफे बांटने की बातें करना अलग बात है और दरअसल वैसा कर पाना अलग-अगर चीजें इस तरह होने लगें तो एक दिन वह अमेरिका के राष्ट्रपति और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को भी पत्र भेज सकते हैं। (एजेंसी)

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