ज्योतिरादित्य सिंधिया
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ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनके पिता माधवराव सिंधिया ने एक बार कहा था कि तुम अपनी ज़िंदगी में कुछ भी करो, लेकिन ग्वालियर क्षेत्र के लिए तुम्हें कुछ योगदान करना होगा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनके पिता माधवराव सिंधिया ने एक बार कहा था कि तुम अपनी ज़िंदगी में कुछ भी करो, लेकिन ग्वालियर क्षेत्र के लिए तुम्हें कुछ योगदान करना होगा। चाहे तुम व्यवसाय करो, राजनीति करो या समाज सेवा ये खुद तुम्हें तय करना है। अपने पिता की असमय मौत के बाद ग्वालियर राज परिवार से संबंध रखने वाले ज्योतिरादित्य ने करियर के रूप में राजनीति को चुना। भारतीय राजनीति में तेजी से उभर रहे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बहुत ही सरल और स्पष्ट वक्ता माने जाते हैं। कांग्रेस में युवा नेताओं की टोली में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया को राहुल गांधी की टीम में मजबूत स्तंभ माना जाता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी, 1971 को मुंबई में हुआ था। ज्योतिरादित्य की माता का नाम माधवी राजे सिंधिया और पिता का नाम माधवराव सिंधिया है। ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शिनी हैं और ज्योतिरादित्य के दो बच्चे आर्यमन और अनन्या हैं। ज्योतिरादित्य ने स्कूली पढ़ाई अलग-अलग स्कूलों में की। पहले बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में और फिर उसके बाद दून स्कूल चले गए। ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया चाहते थे कि वह इंग्लैंड जाएं लेकिन ज्योतिरादित्य अमेरिका जाना चाहते थे। ज्योतिरादित्य ने हार्वर्ड से स्नातक किया। उसके बाद नौकरी की और फिर स्टैनफ़ोर्ड से बिजनेस की पढ़ाई की। अमरीका में ज्योतिरादित्य साढ़े सात साल रहे।
ज्योतिरादित्य गाड़ियों और कार रेसिंग के शौकीन हैं। ज्योतिरादित्य को किताबें पढ़ने, क्रिकेट, तैराकी, बैडमिंटन, स्नूकर और बिलियर्ड्स खेलने का शौक है। सामान्य तौर पर उन्हें ऐतिहासिक और राजनीतिक विषयों की किताबें पसंद हैं। ज्योतिरादित्य 13 साल की उम्र से ही चुनाव प्रचार करते रहे हैं और उन्होंने अपने पिता के लिए भी प्रचार किया है। ज्योतिरादित्य अपने पिता के चुनाव क्षेत्र गुना से लोकसभा के लिए 2002 में चुने गए थे। मध्य प्रदेश की राजसी सीट गुना पर सबकी निगाहें हैं। सिंधिया महल के लिए गुना शिवपुरी सीट हमेशा वफादार रही है। ये सीट 12 बार राजपरिवार को जिता चुकी है चाहे वो कांग्रेस से लड़ें या फिर भाजपा से। गुना लोकसभा में आठ विधानसभाएं हैं। इनमें सिर्फ़ एक सीट पिछौर पर कांग्रेस जीती है। बाकी सात सीटों शिवपुरी, कोलारस, बामोरी, गुना, अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली में भाजपा का कब्जा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में गुना सीट से सहानुभूति लहर के चलते रिकॉर्ड सवा चार लाख वोटों से जीते थे। लेकिन दो साल में ही ये फासला पांच गुना कम हो गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार अभियान समिति-2013 की कमान सौंपी गई है। सबकुछ ठीक रहा और पार्टी सत्ता में आई तो इस बात की संभावना प्रबल है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार होंगे।

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