अशोक गहलोत
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अशोक गहलोत

अशोक गहलोत स्कूली दिनों से ही समाज सेवा और राजनीति से जुड़े रहे हैं।

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अशोक गहलोत स्कूली दिनों से ही समाज सेवा और राजनीति से जुड़े रहे हैं। वह एक अच्छे राजनेता और प्रभावशाली मुख्यमंत्री रहे हैं। गहलोत का जन्‍म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्‍थान में हुआ। स्‍व॰ श्री लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त की तथा अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की। गहलोत का विवाह 27 नवंबर, 1977 को सुनीता गहलोत के साथ हुआ। गहलोत के एक पुत्र वैभव गहलोत और एक पुत्री सोनिया गहलोत हैं। गहलोत को घूमना-फिरना काफी पसंद हैं। अशोक गहलोत को 13 दिसंबर, 2008 को दूसरी बार राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। इससे पहले गहलोत दिसंबर 1998 से दिसंबर 2003 तक राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री रहे।
गहलोत विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति से जुड़ गए थे। इन्होंने अपना पहला विधान सभा चुनाव वर्ष 1980 में जोधपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीता था. उसके बाद अशोक गहलोत ने इसी निर्वाचन क्षेत्र से 8वी, 10वीं, 11वीं, 12वीं लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी। अशोक गहलोत प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिंह राव की कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए वह वर्ष 1982-1984 तक पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय और खेल मंत्रालय में उपमंत्री भी रह चुके हैं। इसके बाद वह राज्य मंत्री नियुक्त किए गए। केंद्रीय राज्य मंत्री के तौर पर उन्होंने पर्यटन और नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय में अपनी सेवाएं दी हैं। इसके बाद उन्हे कपड़ा मंत्रालय में केन्द्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रदान किया गया। इस पद पर वह 1991-1993 तक रहे। अशोक गहलोत ने जून 1989 से लेकर नवंबर 1989 तक के अल्पकाल के लिए राजस्थान गृह मंत्रालय और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का भी भार संभाला था। 34 वर्ष की आयु में अशोक गहलोत राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बनाए गए। साल 1998 में पहली बार अशोक गहलोत राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए। अपने इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्य की प्रगति के लिए कई कार्य किए। राजस्थान में सूखे का प्रबंधन करने में भी अशोक गहलोत ने प्रभाकारी प्रयास किए। उनका पहला कार्यकाल सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। दूसरी बार अशोक गहलोत वर्ष 2008 में मुख्यमंत्री बनाए गए।
गरीबों और पिछड़े वर्ग की सेवा को तत्‍पर गहलोत ने पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों में वर्ष 1971 में बंग्‍लादेश युद्ध के दौरान आयोजित शरणार्थी शिविरों में काम किया। गहलोत को तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्‍यक्ष रहने का गौरव प्राप्‍त हुआ है। पहली बार गहलोत 34 वर्ष की युवा अवस्‍था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष बन गए थे।
गहलोत पर अकसर अपने रिश्तेदारों के लिए पक्षपात करने का आरोप लगता रहा है। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने कई करोड़ रुपयों का कांट्रेक्ट उस कंपनी को दिलवाया जहां उनका बेटा काम करता है। इतना ही नहीं उन पर एक रियल इस्टेट कंपनी के प्रति भी पक्षपात का आरोप लगा।
समाज सेवा की भावना से ओत-प्रोत अशोक गहलोत ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान रिफ्यूजी कैंपों में अपनी सेवाएं दीं। राजस्‍थान में इस बार भी मुख्‍य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होगा। कांग्रेस की तरफ से अशोक गहलोत ही मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार होंगे।

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