गडकरी मानहानि केस: कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 14 दिन की न्‍यायिक हिरासत में भेजा
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गडकरी मानहानि केस: कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 14 दिन की न्‍यायिक हिरासत में भेजा

दिल्ली की एक अदालत ने नितिन गडकरी की ओर से दाखिल मानहानि की शिकायत मामले में फिर से मुचलका भरने से इनकार करने पर शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल की हिरासत छह जून तक बढ़ा दी है। केजरीवाल की आज जेल से ही कोर्ट में पेशी हुई थी।

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ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : दिल्ली की एक अदालत ने नितिन गडकरी की ओर से दाखिल मानहानि की शिकायत मामले में फिर से मुचलका भरने से इनकार करने पर शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल की हिरासत छह जून तक बढ़ा दी है। केजरीवाल की आज जेल से ही कोर्ट में पेशी हुई थी।
जानकारी के अनुसार, आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की शुक्रवार को हिरासत की अवधि बढ़ाकर 6 जून कर दी गई क्योंकि भाजपा नेता नितिन गडकरी द्वारा उनके खिलाफ दाखिल मानहानि मामले में वह मुचलका नहीं भरने पर अड़े रहे। इसके साथ ही दिल्ली की अदालत ने ‘कानूनी अज्ञानता’ के लिए उन्हें फटकार लगाते हुए ‘संवेदनशील’ होने को कहा।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गोमती मनोचा ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को 6 जून तक न्यायिक हिरासत में यह कहते हुए भेज दिया कि वह 21 मई के अपने आदेश की समीक्षा नहीं कर सकती हैं। केजरीवाल की पेशी के समय अदालत में काफी भीड़ थी।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि मैं आपसे (केजरीवाल के वकील) सिर्फ यह कहूंगी कि अगर आप चाहते हैं तो मेरे आदेश को चुनौती दीजिए। मैं अपना मन बना चुकी हूं। साथ ही कहा कि अदालत केवल कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रहा है और ‘पार्टी के अन्य नेता अगर जमानत के लिए मुचलका भर सकते हैं तो केजरीवाल ऐसा क्यों नहीं कर सकते। अदालत ने मामले में मुचलका नहीं भरने के बाद 21 मई को केजरीवाल को आज तक के लिए हिरासत में भेज दिया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि देश में बहुत कानूनी अज्ञानता है और यहां तक कि शिक्षित लोग भी नहीं जानते हैं कि जमानत क्या है और जमानत मुचलका क्या है।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि देश में बहुत कानूनी अज्ञानता है। और तो और शिक्षित लोग भी कानूनी कार्यवाही नहीं जानते हैं कि जमानत क्या है और मुचलका क्या होता है। जिस स्थिति में आप (केजरीवाल) है मैं आपसे समझदारी की उम्मीद करती हूं। इससे पहले मानहानि के मामले में अदालत ने केजरीवाल को आरोपी के तौर पर समन किया था। गडकरी ने आरोप लगाया था कि आप नेता ने अपनी पार्टी की ‘भारत के सबसे भ्रष्ट’ सूची में उनका नाम रखकर उन्हें बदनाम किया।
सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने दलील दी कि ऐसे मामले में जहां आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाता है वहां जमानत मुचलका भरने की जरूरत नहीं पड़ती है। गडकरी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने अदालत से कहा कि फौजदारी अदालतें अपने फैसले की समीक्षा नहीं कर सकती। सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने अदालत से कहा कि वह अपनी गलती समझने की कोशिश कर रहे हैं और कई नेताओं ने उनके खिलाफ ऐसे मामले दर्ज कराए।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में, इससे पहले अदालतों में हलफनामा देने के बाद मुझे छोड़ दिया गया। मजिस्ट्रेट ने हालांकि, कहा कि केजरीवाल को केवल एक मुचलका के लिए कहा गया और जमानत के लिए मुचलका भरना एक कानूनी प्रक्रिया है। मजिस्ट्रेट ने कहा कि आपको (केजरीवाल) आरोपी के तौर पर समन किया गया। आप दोषी नहीं हैं। आप मुकदमे का सामना कीजिए। आप नहीं कह सकते हैं कि मैं बेकसूर हूं और मैं मुचलका नहीं दूंगा। यह प्रक्रिया है। अदालत ने कहा कि पार्टी के अन्य नेता अगर जमानत के लिए मुचलका भर सकते हैं तो केजरीवाल ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं।
अदालत ने 21 मई को मानहानि के मामले केजरीवाल को यह कहते हुए जमानत दी थी कि आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध जमानतीय है और 10,000 रूपये की जमानत राशि और इतना का ही मुचलका भरने को कहा था।
बहरहाल, उन्हें तब हिरासत में ले लिया गया जब उन्होंने यह कहते हुए मुचलका भरने से इंकार कर दिया कि मामला राजनीति से प्रेरित है वह जेल नहीं जाना चाहते। उन्होंने कहा कि वह एक हलफनामा देने को तैयार हैं कि जरूरत होने पर वह अदालत में पेश होंगे। गौरतलब है कि केजरीवाल ने इस साल 31 जनवरी को कथित तौर पर ‘भारत के सबसे भ्रष्ट’ की सूची जारी की इसमें उन्होंने गडकरी सहित विभिन्न नेताओं का नाम लिया था।

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