मुंबई: महाराष्ट्र में दो प्रमुख गठबंधनों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बने गतिरोध की पृष्ठभूमि में वरिष्ठ राकांपा नेता और मंत्री छगन भुजबल ने आज कहा कि राज्य में सभी राजनीतिक दलों को अपनी अपनी ताकत आंकने के लिए अगले माह होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरना चाहिए।
राकांपा की सहयोगी कांग्रेस ने भुजबल के इस बयान पर कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार दोनों दलों के बीच गठबंधन को जारी रखने के इच्छुक हैं । यह गठबंधन राज्य में 1999 से ही सत्ता में है । विधानसभा चुनावों में एक महीने से भी कम का समय बचा है और सीटों के बंटवारे को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस. राकांपा गठबंधन और साथ ही विपक्षी शिवसेना. भाजपा गठबंधन में गतिरोध बना हुआ है।
गतिरोध की स्थिति मुख्य रूप से भाजपा और राकांपा के कारण है । अपने अपने गठबंधन में दोनों कनिष्ठ दल वर्ष 2009 के मुकाबले इस बार अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। भुजबल ने कहा है कि चुनाव पूर्व समझौते को लेकर दोनों ही खेमों में अनिश्चय की स्थिति है और सभी चारों प्रमुख राजनीतिक दल मजबूत स्थिति में होने का दावा कर रहे हैं तो ऐसे में उन्हें 15 अक्तूबर का विधानसभा चुनाव अपने बूते पर लड़ना चाहिए। भुजबल ने जोर देकर कहा कि प्रदेश में उनकी पार्टी कांग्रेस से कहीं अधिक मजबूत है जहां इस वर्ष राकांपा ने लोकसभा की चार सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस केवल दो सीटें ही जीत पायी ।
पूछे जाने पर कि क्या सत्तारूढ़ और विपक्षी खेमा ‘पितृ पक्ष’ के कारण अपने चुनावी समझौतों में देरी कर रहा है , राकांपा नेता भुजबल ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी बात की जानकारी नहीं है । उन्होंने कहा, ‘ पितृ पक्ष क्या होता है....मैं केवल शिवसेना पक्ष , भाजपा पक्ष , कांग्रेस पक्ष और राष्ट्रवादी पक्ष के बारे में जानता हूं ।’ सभी दलों के अकेले चुनाव लड़ने की भुजबल की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस की पवार के साथ चर्चा चल रही है जो कि गठबंधन को बनाए रखने की इच्छुक है ।
चव्हाण ने कहा कि शिवसेना. भाजपा खेमे के घटनाक्रम का कांग्रेस-राकांपा गठबंधन पर कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘ हमारा अपना फैसला होगा और उस पर इस बात का कोई असर नहीं होगा कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन में क्या होता है ।’