दिल्ली में सरकार बनाने के लिए LG बीजेपी को नहीं बुलाएंगे तब क्या होगा: केजरीवाल

दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर ताजा उपजे संकेत के बीच आम आदमी पार्टी के मुखिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगर लेफ्टिनेंट गर्वनर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं करेंगे तब उनके साथ क्या होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि राज्यपाल सरकार बनाने के लिए मना कर चुकी पार्टी यानी बीजेपी को वह कैसे बुला सकते हैं।

दिल्ली में सरकार बनाने के लिए LG बीजेपी को नहीं बुलाएंगे तब क्या होगा: केजरीवाल

ज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली: दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर ताजा उपजे संकेत के बीच आम आदमी पार्टी के मुखिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगर लेफ्टिनेंट गर्वनर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं करेंगे तब उनके साथ क्या होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि राज्यपाल सरकार बनाने के लिए मना कर चुकी पार्टी यानी बीजेपी को वह कैसे बुला सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बीजेपी को एलजी नजीब जंग सरकार बनाने के लिए नहीं बुलाते हैं तब उनके साथ क्या होगा? क्या वहीं होगा जो कांग्रेस शासन के कई राज्यपालों के साथ हुआ है? क्या बाकी के राज्यपालों जैसा हश्र होगा?

विधायकों के ताजा चुनाव कराने के पक्ष में नहीं होने के बीच भाजपा ने संकेत दिये हैं कि वह दिल्ली में सरकार बनाने का प्रयास कर सकती है लेकिन यह बताने से इनकार कर दिया कि बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा कैसे जुटाएगी। दिल्ली में गत पांच महीने से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है जबकि आप ने विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया है।

नवनियुक्त दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने इस मुद्दे पर पार्टी विधायकों और सांसदों के साथ दो अलग अलग बैठकें करने के बाद कहा कि यदि उप राज्यपाल नजीब जंग द्वारा न्योता मिला तो पार्टी दिल्ली में सरकार बनाने पर विचार कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि अधिकतर विधायक और सांसद भाजपा के सरकार बनाने के पक्ष में थे तथा इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्राजील से लौटने के बाद होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के पूर्व वित्त मंत्री जगदीश मुखी मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार हैं क्योंकि उनके पार्टी में सभी हलकों से अच्छे समीकरण हैं।

गौर हो कि दिल्ली में इससे पहले दिसंबर, 2013 में चुनाव हुए थे, जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन कर 28 सीटें हासिल की थीं, और सत्ता में लौटने के प्रति आश्वस्त दिख रही भारतीय जनता पार्टी को बहुमत से पहले 32 सीटों पर रोक दिया था। आखिरकार कई दिन की जद्दोजहद के बाद अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के आठ विधायकों के बिना शर्त समर्थन से सरकार बनाई थी। सिर्फ 49 दिन सरकार में रहने के बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इस्तीफा दे दिया था, और विधानसभा को निलंबित कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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