कैग ने बिहार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की खराब हालत को किया उजागर
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कैग ने बिहार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की खराब हालत को किया उजागर

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने 31 मार्च 2013 को समाप्त हुए वर्ष के लिए अपनी जारी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि बिहार के एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा कोई लाभ अर्जित नहीं करने के बावजूद मुख्यमंत्री राहत कोष में दो करोड़ रुपये का अंशदान किया।

पटना : नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने 31 मार्च 2013 को समाप्त हुए वर्ष के लिए अपनी जारी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि बिहार के एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा कोई लाभ अर्जित नहीं करने के बावजूद मुख्यमंत्री राहत कोष में दो करोड़ रुपये का अंशदान किया।

बिहार विधानमंडल में पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड ने ऐसा कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रियाओं का अनुपालन किए गए बगैर किया।

कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में 71 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से 31 कार्यशील थीं जबकि 29 के लेखे में एक से 23 वर्षों से बकाये पड़े हुए थे। 31 कार्यशील सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से 15 ने 135.74 करोड का लाभ अर्जित किया एवं 10 को 1222.18 करोड की हानि हुई। शेष छह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से एक कम्पनी ने अपना प्रथम लेखा समर्पित किया जिसमें केवल परिचालन पूर्व-व्यय शामिल था।

कार्यशील सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कुल निवेश 31 मार्च 2013 को 8321.80 करोड था जिसमें गैर कार्यशील सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कुल निवेश 729.05 करोड सम्मिलित था। कार्यशील सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की पूंजी, ऋण एवं अनुदानों अथवा अर्थ-सहायों के रूप में दी गई बजटीय सहायता 2012-13 में 5094.08 करोड रूपये थी। बिहार के नियंत्रक एवं प्रधानलेखापरीक्षक पीके सिंह ने बताया कि बेतिया और रक्सौल में बिहार राज्य भंडारण निगम के पास क्रमश: 448 टन चावल तथा 269 टन गेंहू मौजूद होने के बावजूद वर्ष 2010-11 से ही फीफो विधि नहीं अपनाए जाने के कारण उसे निर्गत नहीं किया जा सका, जिससे 1.42 करोड़ रुपये के चावल निर्गमन के लिए अयोग्य हो गए। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि डोभा जल विद्युत परियोजना के मामले में बिहार राज्य जल विद्युत शक्ति निगम लिमिटेड द्वारा त्रुटिपूर्ण नियोजन के फलस्वरूप 31 लाख रुपये  निष्फल व्यय हुआ।

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