मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार को दावा किया कि राज्यपाल द्वारा उन्हें राज्य का बतौर कार्यवाहक मुख्यमंत्री का कार्यभार देखने के परामर्श के बावजूद कंेद्र ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया।
उन्होंने यह आरोप लगाया कि राज्य सरकार को गिराने की उनकी पूर्व गठबंधन सहयोगी राकांपा की पुर्वनियोजित योजना थी। चव्हाण ने एक साक्षात्कार में बताया कि राकांपा के सरकार से बाहर होते ही राज्यपाल (विद्यासागर राव) ने सबसे पहले मुझे बतौर कार्यवाहक मुख्यमंत्री कामकाज जारी रखने को कहा था। बाद में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई और रविवार को राष्ट्रपति को फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया गया ताकि राज्य में उनका शासन (राष्ट्रपति शासन) लागू हो। यहां तक कि उन्हें कानूनी सलाह लेने तक का समय नहीं मिला।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि वे जानते हैं कि सहयोगी दल राकांपा की यह सुनियोजित योजना थी जिसके तहत उन्होंने विधानसभा सीटों में बराबर सीट (144 सीटों) की मांग की और ढाई-ढाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद का दावा किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद को साझा करने की मांग रखी तब मैं चकित रह गया था। मुझे मालूम था कि इसके बाद अंतत: गठबंधन टूट जाएगा। यह उनकी सुनियोजित योजना थी कि राज्य को भाजपा के (सरकार गिराकर) हवाले करें और बदले में केंद्र में मंत्री पद मिल जाए। करोड़ों रुपये के कथित सिंचाई घोटाले में अजित पवार को क्लिनचिट मिलने पर चव्हाण ने कहा कि कानून आखिरकार राकांपा नेता पर कार्रवाई करेगा जैसा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के साथ हुआ। जयललिता को अवैध संपत्ति मामले में 4 साल जेल की सजा मिली है।