पटना : जदयू, राजद और कांग्रेस ने बिहार में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले वाले उपचुनाव के लिए आज गठबंधन की घोषणा की। अगले साल राज्य के चुनाव के पहले इसे सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है।
पार्टियों के बीच सीटों की साझेदारी के मुताबिक जदयू और राजद चार-चार सीटों पर चुनाव लड़ेगी तथा कांग्रेस दो सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। जदयू, राजद और कांग्रेस के राज्य अध्यक्षों क्रमश: वशिष्ठ नारायण सिंह, रामचंद्र पूर्वे और अशोक चौधरी ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन की औपचारिक घोषणा की।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बीच वार्ता के बाद समझौते पर मुहर लगा दी गयी। सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि जदयू परबत्ता, मोहनिया (एससी), जाले और हाजीपुर सीट से अपना उम्मीदवार उतारेगी जबकि पूर्वे ने कहा कि उनकी पार्टी छपरा, मोहिउद्दीननगर, राजनगर (एससी) और बांका सीट पर चुनाव लड़ेगी।
पीसीसी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने बताया कि उनकी पार्टी भागलपुर और नरकटियागंज से चुनाव लड़ेगी। तीनों राज्य प्रमुखों ने कहा कि एक दो दिनों में उनके उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया जाएगा। 21 अगस्त को होने वाले उपचुनाव के लिए 2 अगस्त नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है। तीनों दलों के बीच गठबंधन को उचित ठहराते हुए जदयू राज्य अध्यक्ष ने कहा कि ‘यह समय की जरूरत’ है।
मुंबई और नयी दिल्ली के दौरे के बाद कल रात पटना वापस आने वाले नीतीश कुमार संवाददाता सम्मेलन में मौजूद नहीं थे। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद दिल्ली में हैं। सिंह और पूर्वे ने कहा, ‘मतदाताओं को धोखा देकर हालिया आम चुनाव में सत्ता में भाजपा के आने के बाद देश का मिजाज बदलने लगा है, चुनाव में भाजपा विरोधी वोटों में बिखराव को रोकने के लिए हम एक हो रहे हैं।’
इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस को अहसास हो गया कि वह अकेले भाजपा से नहीं लड़ सकती है और इसलिए क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर रही है पीसीसी प्रमुख ने कहा कि परिस्थिति की मांग है कि भाजपा के विस्तार को रोकने के लिए समान सोच वाले दलों के बीच समझौता हो।
तीनों दलों के राज्य अध्यक्षों ने भाजपा पर हमला किया और कहा कि उत्तराखंड में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सभी तीन सीटों पर जीत हासिल की है इससे साबित हो गया कि भाजपा के खिलाफ रूझान बदलने लगा है। सिंह, पूर्वे और चौधरी ने कहा कि तीनों दलों के नेता एक दूसरे के उम्मीदवारों के लिए संयुक्त तौर पर प्रचार करेंगे।
जंगल राज खत्म करने के नाम पर 15 साल तक राजद के खिलाफ लड़ने वाली जदयू ने उसके साथ क्यों हाथ मिलाया इस पर सिंह ने कहा ‘जो चीज कल प्रासंगिक थी वह आज नहीं है और जो आज है वह कल नहीं होगी।’ सिंह ने कहा, ‘अगर हम लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत पर गौर करें तो राजद, जदयू और कांग्रेस को एकसाथ करीब 45 प्रतिशत वोट मिला जबकि भाजपा को 29 प्रतिशत वोट हासिल हुआ।’ राजद नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने भाजपा नेतृत्व वाली सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए गठबंधन के नाम पर ‘कुर्बानी’ दी है।
पूर्वे ने कहा, ‘अंतिम चुनाव में राजद ने परबत्ता सीट पर जीत हासिल की थी लेकिन उपचुनाव में हमने इसे जदयू को दे दिया है।’ 10 विधानसभा सीटें जिसपर उपचुनाव होना है भाजपा ने 2010 में उसमें से छह पर जीत हासिल की थी। राजद के खाते में 3 और जदयू को एक सीट प्राप्त हुयी थी।
तीनों दलों के बीच गठबंधन की प्रशंसा करते हुए पीसीसी अशोक चौधरी ने कहा कि ‘भाजपा का विरोध करने वाली पार्टियों के लिए बिहार ने रोल मॉडल का काम किया है। पार्टी अन्य राज्यों में भी गैर भाजपा दलों को एक करने के लिए इस संदेश का प्रसार करेगी।’