पुणे के गांव मालिन में भारी बारिश के बीच भूस्खलन ने मचाई तबाही, 18 की मौत

महाराष्ट्र के पुणे जिले के मालिन गांव में बुधवार को भारी बारिश के बीच भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी। इस भीषण आपदा में खबर लिखे जाने तक 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 170 से ज्यादा लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है।

पुणे के गांव मालिन में भारी बारिश के बीच भूस्खलन ने मचाई तबाही, 18 की मौत
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ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

पुणे : महाराष्ट्र के पुणे जिले के मालिन गांव में बुधवार को भारी बारिश के बीच भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी। इस भीषण आपदा में खबर लिखे जाने तक 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 170 से ज्यादा लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 400 कर्मी खराब मौसम के बावजूद पत्थरों और गारे के मलबे से जीवित बचे लोगों और शवों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। मलबे से जीवित निकाले गए 14 व्यक्तियों को निकटवर्ती प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया है। खेड़-मांचर में स्थापित आपात नियंत्रण कक्ष के सूत्रों ने यह जानकारी दी। पहले की एक खबर में 15 लोगों को मलबे से जीवित निकाले जाने की बात कही गई थी।

मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि 160 से ज्यादा लोगों के 44 मकानों के मलबे में दबे होने का अंदेशा है। बुधवार सुबह भारी बारिश के कारण पहाड़ का एक बड़ा पत्थर टूटकर इन मकानों पर आ गिरा था। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस आपदा के शिकार मालिन का दौरा करेंगे। जिले के अंबेगांव तालुका का यह गांव जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर के फासले पर है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हादसे में लोगों के मरने पर दुख व्यक्त किया और सिंह से हालात का जायजा लेने के लिए पुणे जाने को कहा। दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने भूस्खलन में लोगों के मरने पर दुख व्यक्त किया और प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर संभव मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया।’ अपनी यात्रा के दौरान गृह मंत्री प्रभावित लोगों से मिलेंगे और बचाव अभियान का मुआयना करेंगे। उम्मीद है कि वह स्थानीय अधिकारियों के साथ एक बैठक भी करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनाथ सिंह के साथ इस हादसे के बारे में बाद की, जिसके बाद सिंह पुणे के लिए रवाना हुए। पुणे के कलक्टर सौरव राव ने बताया कि मलबा हटाने के लिए विशाल मशीनें लगाई गई हैं, लेकिन बचावकर्मी इनका इस्तेमाल बहुत धीरे और सावधानी से कर रहे हैं ताकि इनके कारण मलबे में फंसे किसी जीवित व्यक्ति को चोट न लगे।

घटनास्थल पर आसपास के इलाकों के बहुत से लोग जमा हो गए हैं और वह गिरे हुए पेड़ों और पत्थरों को हाथों से हटाकर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 300 कर्मियों के राहत प्रयासों में मदद कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार बहुत से जानवर और एक मंदिर भी मलबे में दब गए। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण संचार की जो लाइनें बाधित हो गई हैं उन्हें बहाल करने की कोशिश की जा रही है।

इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुला गांधी ने इस आपदा में जान की क्षति पर शोक जताया है। राकांपा ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और राजनीतिक दलों से त्रासदी का राजनीतिकरण न करने की ताकीद की। राकांपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुनील तत्करे ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, ‘मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और राहत अभियानों की निगरानी कर रहे हैं। राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह हादसे के शिकार लोगों को तत्काल राहत मुहैया कराए, जैसा राज्य सरकार कर रही है।’

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