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पटना : भाजपा ने जदयू के समक्ष आज शर्त रखी है कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमारे 28 फरवरी के रेल रोको कार्यक्रम में सहयोग करें तो वह उनके दो मार्च के बंद में सहयोग के लिए तैयार है। पुर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जदयू ने सभी दलों के लोगों से दो मार्च के बंद का समर्थन करने की अपील की है, पर मुख्यमंत्री को ऐसी कोई घोषणा करने के पूर्व सर्वदलीय बैठक बुलाना चाहिये थी और सभी दलों से विचार-विमर्श करते तो हम वैसी स्थिति उनका साथ देने के बारे में विचार करते।
सुशील ने कहा कि एक ही मुद्दे को लेकर अलग-अलग कार्यक्रम हो रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अगर हमारे 28 फरवरी के रेल रोको कार्यक्रम में सहयोग करें तो वे उनके दो मार्च के बंद कार्यक्रम में सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने विशेष राज्य का दर्जा के मापदंड पर पुनर्विचार के लिए केंद्र द्वारा गठित रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा स्वागत किए जाने को गलत बताते हुए कहा कि उक्त कमेटी की रिपोर्ट बिहार के हितों पर कुठाराघात है।
सुशील ने रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट को लोकसभा चुनाव में जदयू के साथ समझौते को ध्यान में रखकर जल्दबाजी में तैयार किया गया आधी-अधूरी रिपोर्ट होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को उस समय कांग्रेस के साथ समझौता करना था। इसलिए उन्होंने उक्त कमेटी की रिपोर्ट का स्वागत किया और भाजपा ने उसका विरोध किया था।
सुशील ने कहा कि समिति में बिहार से सदस्य शैवाल गुप्ता ने अपने नोट आफ डिसेंट में यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा लगता है कि एक सुनियोजित रणनीति के तहत न केवल बिहार को विशेष राज्य के दर्जा से वंचित किया गया है बल्कि बिहार को कम विकसित सूची में उंचा दर्जा देकर (उडीसा से उपर रखकर) उसकी न्यायसंगत मांग से उसे वंचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार की मांग उसे विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की है, लेकिन रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट में बिहार को न्यूनतम विकसित राज्यों की श्रेणी में रखकर उसे विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की अवधारणा को खत्म कर दिया।
उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है तो उक्त श्रेणी में शामिल बाकी अन्य राज्यों को उक्त दर्जा देना होगा जो कि केंद्र के संभव नहीं। सुशील ने उक्त कमेटी द्वारा बनायी गयी तीन श्रेणियों के अलावा केंद्र को एक चौथी श्रेणी वंचित राज्यों की बनाकर उसमें बिहार को स्थान दिया जाना चाहिए।
वहीं, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि इसमें शर्त रखने और उनके कार्यक्रम को हमारे समर्थन करने पर उनके द्वारा हमें समर्थन रखे जाने की बात कहां आती है। अभी तक हमारे किसी सवाल पर उन्होंने नहीं किया है। इसलिए अनुभव के आधार पर उन लोगों को भी अपनी ओर से नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों की आदत होती है जब कोई विशेष सवाल को लेकर पहल करता है तो उसमें त्रुटि कहां दिखाई पडे।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि हर दल के अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं और बिहार को विशेष राज्य के दर्जा दिए जाने को लेकर जदयू द्वारा चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों की आलोचना किया जाना कहां तक उचित है जबकि हमने उनके रेल रोको कार्यक्रम की आलोचना नहीं की, कभी बोलने का काम नहीं किया। वहीं, आज शाम बिहार विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट ने मार्ग प्रशस्त कर दिया था और केंद्र को फैसला लेना था, पर उसने आगे कदम बढाकर पीछे खींच लिया और भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया गया।
नीतीश ने कहा कि पर इस बारे में केंद्र जब चाहे निर्णय ले सकती है जिसका उदाहरण परसों राज्यसभा के समक्ष और सरकार की ओर से गया उससे स्पष्ट होता है केंद्र सरकार जब जैसा चाहती है वैसा करती है। सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा मिले इससे हमें कोई ऐतराज नहीं है पर बिहार को मिलना चाहिए था और इस पिछडेपन की कसौटी पर अन्य जो राज्य खडे उतरते हैं उन्हें मिलना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि सारे मापदंड और कसौटी केंद्र के सामने थे और केंद्रीय वित्तमंत्री ने पिछले साल अपने बजट भाषण के दौरान और आर्थिक सर्वेक्षण में बात आयी थी, रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट आ गयी। नीतीश ने कहा कि बिहार वासियों के हित में सभी लोगों और दलों से आगामी दो मार्च को बंद का उन्होंने आह्वान किया है और केंद्र की भेदभावपूर्ण नीति का विरोध करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस आह्वान के बाद भाजपा ने अपना एक कार्यक्रम (28 फरवरी को रेल रोको) घोषित किया तो एक पार्टी के नेता वह स्वतंत्र है जो कार्यक्रम घोषित करे लेकिन उनकी बिहार की तमाम पार्टियों से और सभी नागरिकों से अपील आम हड़ताल रखते हुए अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करें।
भाजपा की अपील के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के बारे में कहा जा रहा है जबसे वे उनसे अलग हुए हैं उनका रुख ही नहीं पता चलता है। नीतीश ने कहा कि भाजपा और उसके नेता कभी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में बोलेंगे और कभी यह कहेंगे कि इससे क्या होने वाला है, विशेष पैकेज मिलना चाहिए। (एजेंसी)