नीतीश ने लालू से फोन पर की बात, दुश्मन हुए दोस्त!

बिहार से राज्यसभा की दो सीटों के लिए आगामी 19 जून को होने वाले उपचुनाव में जदयू के दो उम्मीदवारों को जदयू के बागी विधायक समर्थित दो निर्दलीय प्रत्याशियों से मिल रही कडी चुनौती के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, कांग्रेस और भाकपा से भाजपा के ‘गेम प्लान’ को विफल करने के लिए इसे ‘कामन कॉज’ के रूप में लेने की अपील की। उनका कहना है कि भाजपा बिहार सरकार को अस्थिर कर प्रदेश में चुनाव कराना चाहती है।

नीतीश ने लालू से फोन पर की बात, दुश्मन हुए दोस्त!

पटना : बिहार से राज्यसभा की दो सीटों के लिए आगामी 19 जून को होने वाले उपचुनाव में जदयू के दो उम्मीदवारों को जदयू के बागी विधायक समर्थित दो निर्दलीय प्रत्याशियों से मिल रही कडी चुनौती के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, कांग्रेस और भाकपा से भाजपा के ‘गेम प्लान’ को विफल करने के लिए इसे ‘कामन कॉज’ के रूप में लेने की अपील की। उनका कहना है कि भाजपा बिहार सरकार को अस्थिर कर प्रदेश में चुनाव कराना चाहती है।

पटना स्थित जदयू के प्रदेश कार्यालय में आज संवाददाताओं को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा, मैंने लालू प्रसाद, कांग्रेस के राज्य प्रमुख आशोक चौधरी और उसके विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और भाकपा के सचिव राजेंद्र सिंह से बात कर बिहार से राज्यसभा सीट के लिए जद यू उम्मीदवारों के लिए समर्थन मांगा है।

जदयू के दो उम्मीदवारों, राजनयिक से राजनेता बने पवन वर्मा और गुलाम रसूल बलयावी को दो निर्दलीय उम्मीदवारों रियल एस्टेट के बेताज बादशाह अनिल शर्मा और साबिर अली से कड़ी चुनौती मिल रही है क्योंकि उन्हें पार्टी के असंतुष्टों और भाजपा का समर्थन हासिल है।

पार्टी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने तीनों धर्मनिरपेक्ष दलों से भाजपा की उस कोशिश को विफल करने की अपील की जिसके तहत वह जीतन राम मांझी सरकार को अस्थिर कर बिहार में जल्द चुनाव कराने का मंसूबा बांध रही है। यह पूछने पर कि अपने धुर विरोधी लालू से बात करना उनकी राजनीतिक बाध्यता थी, नीतीश ने कहा, नहीं, यह राजनीतिक परिस्थिति के कारण किया गया।
 
नीतीश कुमार ने कहा कि यह पूरा का पूरा मामला भाजपा की राज्यसभा चुनाव के जरिए जीतन राम मांझी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश और साजिश है । उन्होंने भाजपा पर हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में जीत को लेकर इतराने का आरोप लगाते हुए वह चाहते हैं कि बिहार की वर्तमान सरकार किसी तरह गिर जाए और यहां जल्द से जल्द चुनाव हो इसके लिए वे इस राज्यसभा चुनाव को माध्यम बनाना चाहते हैं।

गौरतलब है कि इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ जदयू के पास जीत दर्ज करने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है। बिहार विधानसभा में उसकी प्रभावी संख्या कुल 232 में 117 है ,जिसमें उनके अध्यक्ष भी शामिल हैं। भाजपा के 84 विधायक हैं ,राजद के 21 ,कांग्रेस के 04 और पांच निर्दलीय तथा एक भाकपा का।

सामान्य परिस्थितियों में जदयू उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित हो सकती थी लेकिन उसके बहुत संख्या में विधायकों के बागी हो जाने और भाजपा के साथ बागी उम्मीदवारों का समर्थन करने के कारण यह परिस्थिति पैदा हुई है। अब राजद के 21 विधायकों के मत काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं।

नीतीश ने कहा कि राज्यसभा उपचुनाव में जदयू के राजद ,कांग्रेस और भाकपा के साथ साझा उद्देश्य बनाने के कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि इन तीनों ही दलों ने गत 23 मई को जीतन राम मांझी सरकार के विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था।

पूछे जाने पर कि क्या इन चारों दलों के भीतर एकजुटता इस बात का संकेत है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले धर्मनिरपेक्ष दलों का एक महा गठजोड़ बन रहा है, नीतीश ने कहा, अभी तो मैंने उनसे राज्यसभा चुनाव के लिए एक होने की अपील की है ...बाकी सब भविष्य के गर्भ में है। उन्होंने कहा, जब वह समय आएगा ,तब देखा जाएगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा की इस साजिश के पीछे 7 आरसीआर (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सरकारी आवास) है, नीतीश ने कहा, मैं किसी का नाम लेने में विश्वास नहीं रखता। उन्होंने कहा, लेकिन यह तो ज्ञात तथ्य है कि इस साजिश को रचने और पूरा करने में पूरी की पूरी भाजपा लगी हुई है। बिहार भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा,पूरी दुनिया जानती है कि जदयू उम्मीदवारों के खिलाफ दो निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारने की योजना भाजपा के वरिष्ठ नेता के घर पर ही बनी है ओैर वहीं से वे दोनों अपना नामांकन पत्र भरने आए थे।

उन्होंने कहा कि उनको (भाजपा को) जो विजय मिली है वह सफलतापूर्वक झूठ बुनने की उनकी क्षमता के कारण मिली है। लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा इसीलिए वे यह साजिश रच रहे हैं और सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। आम चुनाव में जदयू की विफलता के बाद नीतीश ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि हालांकि यह मत उनके खिलाफ नहीं बल्कि केंद्र में सरकार बदलने के लिए था।

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