मुम्बई: वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुनील परासकर के विरूद्ध बलात्कार की शिकायत दर्ज कराने वाली मुम्बई की एक मॉडल ने शनिवार की सुबह यह कहते हुए शिवसेना की उसके मुखपत्र के संपादकीय को लेकर निंदा की कि बिना तथ्यों को जाने ऐसे मामलों में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
पीड़िता ने कहा, ‘मामला अदालत में है। किसी को भी बिना सारे तथ्यों को जाने इस तरह के संवदेनशील मामलों में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘परासकर को उन ई-मेलों को दिखाने के बजाय प्रमाण मीडिया के सामने रखना चाहिए जिनमें (ई-मेलों) मैंने उन्हें गालियां दी या कहा कि मैं उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करूंगी। आप उस लड़की से क्या उम्मीद करते हैं जिससे बलात्कार किया गया। क्या वह उसका सम्मान करे जिसने उससे बलात्कार किया?’
सामना के संपादकीय में प्राथमिकी दर्ज करने में छह माह के विलंब की ओर इशारा किया गया है, इस पर पीड़िता ने कहा कि घटना के वक्त पुलिस बल में परासकर के ओहदे की वजह से वह तत्काल शिकायत दर्ज नहीं करा पायीं। उन्होंने कहा, ‘हां, मुझे पुलिस के पास जाने में वक्त लगा। वह उस समय अतिरिक्त पुलिस आयुक्त थे, मैं उनकी ताकत जानती थी, आज भी वह शिवसेना एवं अन्य का सहयोग ले रहे हैं। मेरे पास सारे मेल हैं जिनमें मैंने उनसे कहा कि उन्होंने मेरे साथ क्या किया और उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।’
उन्होंने कहा, ‘यदि परासकर वाकई निर्दोष हैं तो उन्हें मेरे खिलाफ मानहानि की प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए। जब मैं पुलिस आयुक्त के कार्यालय के बाहर बैठी थी तब उनकी बीवी ने मुझे क्यों फोन किया। जब मैं वहां थी तब उनके सारे ड्राइवर कैसे मुझे पहचान गए।’ सामना ने शनिवार को अपने संपादकीय में कहा कि सनसनी पैदा करने के लिए बलात्कार या छेड़खानी का मामला दर्ज करना अब फैशन बन गया है और यह व्यक्तिगत बदला लेने का हथियार बन गया है।