सहारनपुर हिंसा में प्रशासनिक चूक, भाजपा सांसद का भी नाम : समिति की रिपोर्ट

सहारनपुर हिंसा में प्रशासनिक चूक, भाजपा सांसद का भी नाम : समिति की रिपोर्ट

ज़ी मीडिया ब्यूरो

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए बिठाई गई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रशासनिक अधिकारी सूझबूझ से काम लेते तो इसे टाला जा सकता था। रिपोर्ट में भाजपा सांसद राघव लखनपाल का नाम भी शामिल है। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंप दी गई है।

सहारनपुर में 26 जुलाई को तड़के सांप्रदायिक दंगा हुआ था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस दंगे की जांच के लिए लोक निर्माण, सिंचाई सहकारिता एवं राजस्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच दल का गठन किया था। जांच दल ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच दल में प्राविधिक शिक्षा मंत्री शिवाकांत ओझा, ग्राम्य विकास राज्यमंत्री अरविन्द सिंह गोप, युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष आशू मलिक और मुरादाबाद के जिला अध्यक्ष हाजी इकराम कुरैशी शामिल थे।

सपा के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल ने बताया कि जांच दल ने हाल में मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में साफ दर्शाया गया है कि अधिकारियों की नाकामी से यह दंगा हुआ। यह साम्प्रदायिक नहीं, बल्कि लापरवाही का दंगा था। उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारियों पर मुकदमा कर कार्रवाई होनी चाहिये ताकि अधिकारी सचेत हों और भविष्य में लापरवाही न हो। साथ ही एक संदेश भी जाए कि गलती करने पर कार्रवाई होगी।

अग्रवाल ने कहा, ‘दंगे में वहां के एक भाजपा सांसद की भूमिका भी सामने आयी है। भाजपा दूध की धुली नहीं है। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहूंगा कि वह लालकिले से तो कहते हैं कि साम्प्रदायिकता को 10 साल के लिये रोक कर देखा जाए लेकिन अपनी ही पार्टी के साम्प्रदायिक तत्वों को नहीं रोक पा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह तो वही बात हुई कि चोर से कहो चोरी करो, शाह से कहो जागते रहो। यह दोमुंही नीति नहीं चलेगी। मोदी जी को इस पर स्पष्ट नीति घोषित करनी चाहिये।’

सूत्रों के मुताबिक जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में भाजपा के स्थानीय सांसद राघव लखनपाल पर शहर में घूम-घूमकर दंगाइयों को उकसाने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक दंगे के लिये प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार रही है और फसाद भड़कने के बाद ही प्रशासनिक अमला सक्रिय हुआ। सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन ने लापरवाही बरतते हुए हिंसा से पहले वाली रात को विवादित स्थल पर लेंटर डालने की अनुमति दे दी, जो नहीं दी जानी चाहिये थी। साथ ही प्रशासन ने अदूरदर्शितापूर्ण रवैया अपनाते हुए मौके पर भीड़ को एकत्र होने से नहीं रोका।

गौरतलब है कि गत 26 जुलाई को सहारनपुर के कुतुबशेर इलाके में एक विवादित स्थल पर निर्माण कार्य को लेकर दो अल्पसंख्यक समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गयी थी तथा 20 अन्य जख्मी हो गये थे। दंगाइयों ने अनेक दुकानें जला दी थीं।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दंगे की जांच के लिये लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में एक दल गठित किया था। इस दल में ग्राम्य विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप, प्राविधिक शिक्षा मंत्री शिवाकान्त ओझा, युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष आशू मलिक तथा मुरादाबाद के सपा जिलाध्यक्ष हाजी इकराम कुरैशी भी शामिल थे। जांच दल ने सहारनपुर जाकर दोनों समुदायों के लोगों तथा प्रतिनिधियों से बातचीत की थी। इसके अलावा उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से भी गुफ्तगू की थी।

Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.