रिजर्व बैंक के रुख से निराश है उद्योग जगत
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रिजर्व बैंक के रुख से निराश है उद्योग जगत

उद्योग जगत ने सोमवार को कहा कि औद्योगिक वृद्धि को बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को वृद्धि की राह पर ले जाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की सख्त जरूरत है।

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने के फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए देश के उद्योग जगत ने सोमवार को कहा कि औद्योगिक वृद्धि को बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को वृद्धि की राह पर ले जाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की सख्त जरूरत है।
ऐसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा, ब्याज दरों में थोड़ी कटौती से औद्योगिक क्षेत्र को थोड़ा प्रोत्साहन मिल सकता था और अर्थव्यवस्था को वृद्धि की रफ्तार प्राप्त करने में मदद मिल सकती थी।
रिजर्व बैंक ने आज वृद्धि के मुकाबले मुद्रास्फीति पर नियंत्रण को प्राथमिकता देते हुए ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा जिससे उद्योग जगत और खुदरा कर्ज लेने वाले आम लोगों को निराशा हुई जो ब्याज दरों में कम से कम 0.25 फीसद की कमी की उम्मीद कर रहे थे।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, आपूर्ति की दिक्कतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ रही है। हम बहुत ब्याज दरें अपरिवर्तित रहने से निराश हैं।
थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति मई में 7.55 फीसद थी। खुदरा स्तर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मई में 10.36 फीसद रही।
सीआईआई ने कहा कि मौजूदा औद्योगिक और आर्थिक हालात को ध्यान में रखते हुए आरबीआई को ब्याज दर में एक फीसद तक की कमी तुरंत कमी करनी चाहिए।
फिक्की के महासचिव राजीव कुमार ने कहा कि ब्याज दरों में कमी कर आरबीआई निवेश बढ़ाने में मदद कर सकता है और आपूर्ति में सुधार कर सकता है।
वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि में तिमाही दर तिमाही गिरावट होती रही और चौथी तिमाही में यह 5.4 फीसद के नौ साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई। पूरे वित्त वर्ष के दौरान भी वृद्धि दर घटकर 6.5 फीसद हो गई जो 2008 में निवेश बैंक लीमन ब्रदर्स के डूबने विश्व भर के वित्तीय क्षेत्र में पैदा ऋण संकट के समय की वृद्धि से भी कम है। (एजेंसी)

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