राष्ट्रपति चुनाव के लिए संगमा ने एनसीपी छोड़ी

राष्ट्रपति चुनाव लड़ने पर अड़े हुए राकांपा के संस्थापक सदस्य पीए संगमा ने आज पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव लड़ने पर अड़े हुए राकांपा के संस्थापक सदस्य पीए संगमा ने आज पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। राकांपा उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ थी और पार्टी ने उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा की दावेदारी पर अन्नाद्रमुक और बीजद ने समर्थन जताया है। संगमा ने कहा कि उन्हें गैर-कांग्रेसी दलों के वरिष्ठ नेताओं की ओर से समर्थन का आश्वासन मिला है, इन दलों में राजग के कुछ दल भी हैं।
संगमा ने पार्टी अध्यक्ष शरद पवार को अपना इस्तीफा भेज दिया। इससे कुछ देर पहले ही जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने संभवत: उन्हें समर्थन जताने के लिए उनसे मुलाकात की।
संगमा ने अपने इस्तीफे में लिखा, ‘मैं तत्काल प्रभाव से राकांपा की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा देता हूं। मैं पार्टी के सदस्य रहते राकांपा अध्यक्ष, अन्य पदाधिकारियों और सदस्यों व कार्यकर्ताओं की ओर से व्यक्तिगत रूप से मेरे साथ बरते गये नम्रता के व्यवहार के लिए अत्यंत आभार व्यक्त करता हूं।’ संगमा ने एक वक्तव्य में कहा कि उनके पास राकांपा से इस्तीफे के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है और उनका पार्टी तथा उसके नेतृत्व को परेशानी में डालने का कोई इरादा नहीं है।
पार्टी छोड़ने के हालात पर 64 वर्षीय आदिवासी नेता ने कहा, ‘मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करने में राकांपा की अरुचि देश के आदिवासियों की आकांक्षाओं को खारिज करने की तरह है।’ उन्होंने कहा कि भारतीय आदिवासी मंच ने उन्हें उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था और वह आदिवासियों की इस भावना को दरकिनार नहीं कर सकते कि रायसिना हिल हमेशा उनके लिए सुदूर सपना नहीं रहना चाहिए।
संगमा ने ऐसे समय में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ा है जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उन्हें समर्थन देने को लेकर राजग बंटा हुआ है। भाजपा जहां संगमा का समर्थन करने के लिए तैयार है वहीं सहयोगी शिवसेना ने उन्हें समर्थन देने से खुलकर इनकार किया है और संप्रग के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी को समर्थन जताया है। राजग के एक अन्य प्रमुख सहयोगी दल जदयू को भी संगमा के नाम पर आपत्ति है।
संगमा ने कहा कि जिस राकांपा के वह संस्थापक सदस्य हैं, उसके लिए उनकी उम्मीदवारी को समर्थन देना संभव नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि देश के अनेक हिस्सों में पार्टी का आधार बनाने के लिए मैंने भी कड़ी मेहनत की है।’ उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा विशेष रूप से आदिवासियों के जन समर्थन के कारण है जिनकी संख्या हमारी कुल जनसंख्या में एक करोड़ हैं और जिनके बीच मैंने निरंतर काम किया है।’
संगमा ने संकेत दिया कि ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने खुलकर उनकी उम्मीदवारी का समर्थन जताया है और उन्हें गैर-कांग्रेसी दलों के वरिष्ठ नेताओं से भी समर्थन का आश्वासन मिला है, जिनमें राजग के कुछ दल शामिल हैं। (एजेंसी)

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