मॉनसून ने केरल में दी दस्तक, बढ़ेगा पश्चिमी तट की ओर

कृषि पर आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण दक्षिण पश्चिमी मानसून ने आज केरल में दस्तक दे दी और रिमझिम बरसती बूंदों से किसानों को राहत मिली।

नई दिल्ली: कृषि पर आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण दक्षिण पश्चिमी मानसून ने आज केरल में दस्तक दे दी और रिमझिम बरसती बूंदों से किसानों को राहत मिली।
हालांकि मानसून का प्रवाह कमजोर होने के कारण प्रायद्वीपीय भारत में पर्याप्त बरसात में कमी हो सकती है। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने बताया कि मानसून केरल पहुंच गया। उन्होंने कहा कि मानसून के मध्य अरब सागर के कुछ और हिस्सों, तटीय कर्नाटक, गोवा और दक्षिण कोंकण में पहुंचने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।
केरल में आम तौर पर मानसून की बारिश एक जून से होती है लेकिन मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि पूर्वानुमानों के अनुसार, मौसमी बारिश की प्रक्रिया अच्छी है।
विज्ञानियों ने कहा कि सपताहांत में मुंबई में मौसम की पहली बरसात हो सकती है लेकिन प्रायद्वीपीय क्षेत्र के अंदरूनी हिस्सों के बारे में यह नहीं कहा जा सकता।
राष्ट्रीय जलवायु केंद्र के निदेशक डी शिवानंद पाई स्वीकार किया कि मानसून का प्रवाह इतना मजबूत नहीं है कि प्रायद्वीपीय क्षेत्र में बारिश हो और शुरूआत में बरसात पश्चिमी तट तक सीमित रह सकती है ।
भारतीय मौसम विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि मानसून केरल पहुंच गया। केरल में आम तौर पर मानसून की बारिश एक जून से होती है लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा कि परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि पूर्वानुमानों के अनुसार, मौसमी बारिश की प्रक्रिया अच्छी है।
राष्ट्रीय जलवायु केंद्र के निदेशक और मानसून का पूर्वानुमान जताने वाले मुख्य अधिकारी डी शिवानंद पई ने बताया ‘अभी तक मानसून की स्थिति बहुत अच्छी है और केरल तथा दक्षिणी कर्नाटक के हिस्सों में अगले दो तीन दिनों तक बारिश होगी।’ पई ने कहा कि मानसून के अन्य इलाकों में बढ़ने के लिए अनुकूल स्थिति है।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि तूफान मवार की वजह से मानसून के आने में विलंब हुआ। मवार तूफान फिलिपीन के तट पर पश्चिमी प्रशांत महासागर में सक्रिय है। भारतीय मौसम विभाग ने ऐसे समय में केरल में मानसून के आने की घोषणा की जबकि राज्य और लक्षद्वीप द्वीपसमूह के 14 पर्यवेक्षण केंद्रों में से 50 फीसदी ने 48 घंटे तक बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है।
मानसून की बारिश कृषि के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कृषि भूमि का केवल 40 फीसदी भाग ही सिंचाई के अंतर्गत आता है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान केवल 15 फीसदी है लेकिन यह देश की 60 फीसदी आबादी को रोजगार देता है।
वर्ष 2010 और 2011 में अच्छे मानसून की वजह से देश में खाद्यान्न का रिकार्ड उत्पादन हुआ जो क्रमश: 24.5 करोड़ टन और 25.256 करोड़ टन था। (एजेंसी)

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