ईरान को 30 लाख टन गेहूं दे सकता है भारत

खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने आज कहा कि अगर ईरान भारतीय गेहूं की गुणवत्ता से संतुष्ट होता है तो सरकारी भंडार से पश्चिमी एशियाई देश को 30 लाख टन तक गेहूं का निर्यात किया जा सकता है।

नई दिल्ली : खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने आज कहा कि अगर ईरान भारतीय गेहूं की गुणवत्ता से संतुष्ट होता है तो सरकारी भंडार से पश्चिमी एशियाई देश को 30 लाख टन तक गेहूं का निर्यात किया जा सकता है।
थामस ने कहा, ‘ईरान का एक प्रतिनिधिमंडल एक सप्ताह से यहां था। खेतों का दौरा करने के बाद वे गुणवत्ता मुद्दों को अंतिम रूप देने के लिए गेहूं का कुछ नमूना अपने देश ले गए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी समझ यह है कि भारत में परीक्षण केंद्रों को लेकर ईरानी प्रतिनिधिमंडल का रुख सकारात्मक था। अगर ईरान खासकर ‘करनाल बंट’ बीमारी के मामले में गुणवत्ता मानदंडों को मंजूरी दे देता है तो सरकारी भंडार से पश्चिम एशियाई देश को 20 से 30 लाख टन गेहूं के निर्यात की गुंजाइश है।’
ईरान भारतीय गेहूं खरीदने को लेकर गंभीर है लेकिन गुणवत्ता दिशानिर्देश बाधा है। फफूंदी बीमारी के संदेह को लेकर ईरान ने 1996 में भारतीय गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पश्चिम एशियाई देश ने संदेह जताया था कि भारतीय गेहूं ‘करनाल बंट’ बीमारी (फफूंदी बीमारी) से ग्रसित है। ‘करनाल बंट’ का पता सबसे पहले 1931 में हरियाणा के करनाल में चला था। यह बीमारी संक्रमित बीजों से फैली।
ईरान का दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल एक सप्ताह से 18 जून तक यहां था। प्रतिनिधिमंडल यह पता लगाने के लिए यहां आया था कि क्या प्रयोगशाला में जांचे गए गेहूं की गुणवत्ता तथा सरकारी गोदामों में पड़े अनाज की गुणवत्ता समान है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ईरान, भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत ईरान के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ाना चाहता है और इसी नजरिए से गेहूं जैसे कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने को इच्छुक है। (एजेंसी)

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