प्रबल दावेदारों में प्रणब और कलाम

रायसीना हिल्स की लड़ाई को लेकर तेजी से बदलते घटनाक्रम ने गुरुवार को दो संकेत दिए। पहला कि कोई भी उम्मीदवार आम सहमति का नहीं होगा, जो निर्विरोध चुना जा सके। अलबत्ता चुनाव तय है। ऐसे में दो सबसे प्रबल दावेदारों में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम की टक्कर हो सकती है।

नई दिल्ली : रायसीना हिल्स की लड़ाई को लेकर तेजी से बदलते घटनाक्रम ने गुरुवार को दो संकेत दिए। पहला कि कोई भी उम्मीदवार आम सहमति का नहीं होगा, जो निर्विरोध चुना जा सके। अलबत्ता चुनाव तय है। ऐसे में दो सबसे प्रबल दावेदारों में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम की टक्कर हो सकती है।
दूसरा संकेत यह है कि यह चुनाव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में टूट का कारण बन सकता है और इसके मद्देनजर नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर संप्रग के सहयोगी दलों में दरार यूं तो बुधवार को तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव द्वारा कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम खारिज करने और उसकी जगह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति कलाम और सोमनाथ चटर्जी में से किसी एक को उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा के बाद ही दिखाई पड़ने लगी थी लेकिन यह दरार गुरुवार को और चौड़ी हो गई जब कांग्रेस ने ममता-मुलायम के सुझाए नामों को खारिज कर दिया और खासकर ममता पर गठबंधन की मर्यादा तोड़ने का आरोप लगाया।
बात यही नहीं थमी। ममता ने भी जवाब देने में देरी नहीं की। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कलाम उनकी पहली पसंद हैं और उनके नाम पर सहमति नहीं बनी तो चुनाव तय है। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह किसी की धमकियों से डरने वाली नहीं है। कांग्रेस चाहे तो उन्हें संप्रग से अलग कर सकती है लेकिन खुद ऐसा करना नहीं चाहती। उन्होंने चुनौती के अंदाज में कहा कि गेंद अब कांग्रेस के पाले में है।
ममता के रुख को देखते हुए कांग्रेस ने इस सियासी दांवपेच में सपा को हमराही बनाकर ममता को कमजोर करने की कोशिश शुरू कर दी। इसके अलावा वह अब अपने अन्य सहयोगी दलों को एकजुट करने में भी लग गई है। उसने वामपंथी दलों तक से समर्थन मांगा है और बसपा की ओर भी हाथ बढ़ाने के संकेत दिए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि शह-मात के चल रहे इस खेल में बाजी किसके हाथ लगती है।
बहरहाल, कांग्रेस जहां मुखर्जी के नाम पर अड़ी नजर आ रही है वहीं ममता कलाम के नाम पर। ऐसी सम्भावना है कि कलाम के नाम पर राजग के लिए आपत्ति उठाना आसान नहीं होगा। संप्रग के घटक दलों की शुक्रवार को बैठक बुलाई गई है, जिसमें किसी एक उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। उधर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)भी अपनी रणनीति पर शुक्रवार को दिल्ली में चर्चा करेगा।
ममता-मुलायम की घोषणा के लगभग 18 घंटे बाद कांग्रेस ने गुरुवार को अपनी चुप्पी तोड़ी और जब चुप्पी तोड़ी तो ममता बनर्जी पर निशाना साधा। पार्टी ने पहले तो साफ कर दिया कि वह किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति भवन नहीं भेजेगी और फिर उनकी ओर से सुझाए गए अन्य दोनों नामों को स्वीकार करने से भी मना कर दिया।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जनार्दन द्विवेदी ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मनमोहन सिंह के बारे में कांग्रेस पहले ही साफ कर चुकी है कि वह 2014 तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। हम उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने का जोखिम नहीं उठा सकते। और अन्य दोनों नाम हमें स्वीकार नहीं है।
द्विवेदी ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी छोटी पार्टियों सहित गठबंधन सहयोगियों व समर्थकों से इस मुद्दे पर राय बनाने के लिए बात कर रही हैं। इस सिलसिले में जो दो प्रमुख नाम सामने आए थे, वह उन्होंने ममता बनर्जी को बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया है और जब भी कांग्रेस यह तय करेगी तो एक ही नाम होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रक्रिया के दौरान चर्चा होती है तो कुछ नाम सामने आते हैं लेकिन यह तकाजा है कि उन नामों को सार्वजनिक नहीं किया जाए।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हैं और वह संवैधानिक पद पर हैं। ऐसे में वह (ममता) उनका नाम कैसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में सामने ला सकती हैं।
सोनी ने कहा कि सोनिया गांधी संप्रग के सभी घटक दलों से इस सिलसिले में चर्चा कर रही हैं और संप्रग का एक सर्वसम्मत उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश कर रही है। इस बीच, मुखर्जी ने कहा कि संप्रग व कांग्रेस जल्द ही राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करेंगे। प्रणब ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सवाल यह है कि संप्रग व कांग्रेस को एक उम्मीदवार पेश करना है और जल्दी ही यह तय कर लिया जाएगा कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा।
मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्संवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पोलित ब्यूरो के सदस्य बुद्धदेब भट्टाचार्य और राज्य सचिव बिमान बोस को फोन कर राष्ट्रपति पद के कांग्रेस उम्मीदवार के लिए वामपंथी दलों का समर्थन मांगा। एक सूत्र ने बताया कि भट्टाचार्य ने प्रणब मुखर्जी को आश्वासन दिया है कि वह पार्टी मंच पर इस मुद्दे को उठाएंगे।
उधर, कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई ने मुखर्जी की उम्मीदवारी पर बनर्जी द्वारा लगाए गए ग्रहण के लिए जमकर उन्हें लताड़ लगाई। कांग्रेस सांसद अधीर चौधरी ने कोलकाता में कहा कि वह (ममता) वास्तव में बदले की राजनीति कर रही हैं।
वह विशेष पैकेज की असंवैधानिक मांग कर रही हैं, जो कि इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में असम्भव है। अब तक वह इसमें नाकाम रही हैं और इसलिए उन्होंने प्रणब दा की उम्मीदवारी का विरोध किया है। क्योंकि प्रणब दा उनकी मांगों के आगे झुके नहीं हैं।
कांग्रेस द्वारा अपने सुझाए नामों को खरिज करने और मर्यादा तोड़ने के लगाए गए आरोपों से तिलमिलाई ममता ने साफ कहा कि कलाम राष्ट्रपति पद के लिए तृणमूल कांग्रेस की पहली पसंद हैं और उसके मुताबिक वह इस पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा कि सब कलाम के समर्थन में हो तो अच्छा रहेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह होते तो भी हम खुश या फिर सोमनाथ चटर्जी होते तो भी हमें खुशी होती।
संप्रग छोड़ने के सवाल पर ममता ने स्पष्ट किया कि हम संप्रग नहीं छोड़ना चाहते। वह चाहें तो हमें अलग कर दें। हम नहीं चाहते कि सरकार गिरे लेकिन वे यदि ऐसा चाहें तो फिर कोई बात नहीं। गेंद अब कांग्रेस के पाले में हैं। कांग्रेस के लिए राहत की बात ये है कि उसे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सहित संप्रग के अन्य सहयोगी दलों का समर्थन मिल गया है। राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात कर राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग उम्मीदवार को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया। सोनिया गांधी की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के टी.आर. बालू से भी मुलाकात हुई।
उन्होंने हालांकि अपने पत्ते नहीं खोले। बालू ने बताया कि मैंने सोनिया को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की अपनी पसंद बताई। मैं अभी और कुछ खुलासा नहीं कर सकता। सोनिया की ओर से एक-दो दिन में नाम की घोषणा की जाएगी।
केंद्र सरकार में कांग्रेस की सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने गुरुवार देर शाम स्पष्ट किया कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार का समर्थन करेगी।इन सबके बीच, लाल कृष्ण आडवाणी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने राष्ट्रपति चुनावों के मसले पर प्रयास साझा करने का निश्चय किया है।
आडवाणी ने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति व्यक्ति की गई कि यदि हम इस मुद्दे पर एक दूसरे के सम्पर्क में रहें और प्रयासों के विषय में जानकारी दें तो ठीक रहेगा। (एजेंसी)

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