‘आरुषि के फिंगर प्रिंट नहीं लिए गए थे’
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‘आरुषि के फिंगर प्रिंट नहीं लिए गए थे’

उत्तर प्रदेश पुलिस के एक कांस्टेबल ने आरुषि हत्याकांड मुकदमे की सुनवाई कर रही एक स्थानीय अदालत को आज बताया कि आरुषि के फिंगर प्रिंट नहीं लिए गए थे।

गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश पुलिस के एक कांस्टेबल ने आरुषि हत्याकांड मुकदमे की सुनवाई कर रही एक स्थानीय अदालत को आज बताया कि आरुषि के फिंगर प्रिंट नहीं लिए गए थे। मुख्य आरोपियों राजेश और नूपुर तलवार की पैरवी कर रहे वकील एसपी थरेजा के यह पूछने पर कि क्या लड़की के फिंगर पिंट्र लिए गए थे, कांस्टेबल चुन्नी लाल गौतम ने कहा कि नहीं।
गौतम ने कहा कि जहां तक उसे जानकारी है कि फिंगर प्रिंट अज्ञात शवों के लिए जाते हैं। बचाव पक्ष ने फिंगर प्रिंट टेप, फोटोग्राफ्स और एक प्रमुख गवाह उत्तर प्रदेश पुलिस के हैड कांस्टेबल के बयान सहित अन्य दस्तावेज मांगे। यहां सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष तीन अलग अलग आवेदनों में बचाव पक्ष के वकील ने मामले में आगे की कार्यवाही के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दस्तावेजों की मांग की।
थरेजा ने मूल टेप दिए जाने की मांग की जिससे फिंगर प्रिंट विकसित किए गए और 230 फोटोग्राफ्स बनाए गए। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि घटनास्थल के 23 फोटोग्राफ्स आठ जून को सुनवाई की पूर्व तिथि को उपलब्ध कराए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि वह इन दस्तावेजों को उपलब्ध कराने पर होने वाले खर्च का भुगतान करेंगे।
सीबीआई ने तीन आवेदनों पर जवाब के लिए समय मांगा और अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 25 जून निर्धारित कर दी। (एजेंसी)

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