राष्ट्रपति चुनाव : राजग में मतभेद, भाजपा का विकल्प खुला

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अभी तक यह तय नहीं कर पाया है कि वह मुखर्जी को वॉकओवर दे या फिर उनके मुकाबले कोई उम्मीदवार उतारे।

नई दिल्ली : संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी की घोषणा हुए दो दिन बीत जाने के बाद भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अभी तक यह तय नहीं कर पाया है कि वह मुखर्जी को वॉकओवर दे या फिर उनके मुकाबले कोई उम्मीदवार उतारे। उधर, भाजपा ने भी मुखर्जी, संगमा और एपीजे अब्दुल कलाम की उम्मीदवारी को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
दिलचस्प मोड़ ले चुके राष्ट्रपति चुनाव में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी. ए. संगमा चुनाव लड़ने पर अड़ गए हैं और उन्होंने इसके लिए राजग के सहयोगी दलों, तृणमूल कांग्रेस और अपनी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से समर्थन मांगा है। हालांकि सूत्रों ने बताया है कि राकांपा सुप्रीमो ने संगमा को चुनाव लड़ने पर गम्भीर परिणामों की चेतावनी है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राजग की रविवार की बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पाया। उसकी ओर से कहा गया कि इसी मुद्दे पर फिर एक बैठक होगी। गठबंधन की सहयोगी शिव सेना ने बैठक से दूरी बनाए रखी।
बैठक में गठबंधन के सहयोगियों और गठबंधन के बाहर की पार्टियों के विचारों में भिन्नता के मद्देनजर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य दलों से विचार-विमर्श के लिए अधिकृत किया गया।
राजग संयोजक और जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि राजग के मुख्यमंत्रियों की बैठक जल्द बुलाई जाएगी।
उन्होंने कहा, "गठबंधन के सहयोगियों ने राष्ट्रपति चुनाव पर विस्तृत बातचीत की और तय किया कि निर्णय लेने के लिए राजग की अगली बैठक होने से पहले आडवाणी सभी घटकों से बातचीत करेंगे।"
यादव ने कहा, "आडवाणी राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य दलों से बातचीत करेंगे। इस सम्बंध में निर्णय लेने के लिए कुछ समय बाद राजग की बैठक फिर होगी। जो दिल्ली से बाहर हैं उनसे भी परामर्श लिया जाएगा।"
यादव ने हालांकि कहा कि बैठक में उपराष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा नहीं हुई। उपराष्ट्रपति का चुनाव इस वर्ष बाद में होने वाला है।
आडवाणी के आवास पर चली दो घंटे की बैठक में जद (यू), शिरोमणि अकाली दल, हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया।
इन नेताओं में आडवाणी और यादव के अलावा भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, भाजपा नेता सुषमा स्वराज व अरुण जेटली, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह, जद (यू) के शिवानंद तिवारी, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल और जनता पार्टी के सुब्रह्मण्यम स्वामी शामिल थे।
शिव सेना ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि वह सम्भवत: राजग द्वारा राष्ट्रपति चुनाव पर तत्काल निर्णय न लेने को लेकर नाराज है।
शिव सेना सम्भवत: पी.ए. संगमा को राजग द्वारा समर्थन दिए जाने के भी खिलाफ है, जिन्हें ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की प्रमुख जे. जयललिता और बीजू जनता दल (बीजद) के प्रमुख नवीन पटनायक ने उम्मीदवार के रूप में पेश किया है।
जद (यू) और अकाली दल प्रणब मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार खड़े किए जाने के पक्ष में नहीं है जबकि शिव सेना और जनता पार्टी चाहती है कि राजग यह चुनाव लड़े।
शिव सेना नेता संजय राउत से उनके रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "इस मुद्दे पर पार्टी प्रमुख बाल ठाकरे फैसला लेंगे।"
पिछले राष्ट्रपति चुनाव में शिव सेना भाजपा के खिलाफ चली गई थी और उसने कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा पाटील को समर्थन दिया था, क्योंकि वह महाराष्ट्र से हैं।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि शनिवार को हुई बैठक में आडवाणी और सुषमा स्वराज ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा का नाम सुझाया था। उन्होंने संगमा से तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से बातचीत करने को कहा था।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी ममता और वाईएसआर कांग्रेस के संस्थापक जगनमोहन रेड्डी से भी इस मुद्दे पर बातचीत करेगी। (एजेंसी)

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