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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ शिमला की एक अदालत द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप तय किए जाने के बाद टीम अन्ना ने सोमवार को उनसे इस्तीफे की मांग की और कहा कि अदालत के यह आदेश हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के खिलाफ टीम अन्ना के रुख की पुष्टि करता है।
टीम अन्ना कुछ समय पहले केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री वीरभद्र सिंह का नाम 15 दागी केंद्रीय मंत्रियों में शामिल किया था। वीरभद्र पर 1989 में सरकारी पद का दुरुपयोग करने और आपराधिक कदाचार का आरोप है।
विशेष न्यायाधीश बी.एल. सोनी ने शिमला में आदेश सुनाते हुए कहा कि उपलब्ध दस्तावेज वीरभद्र और प्रतिभा सिंह द्वारा आपराधिक साजिश किए जाने को स्पष्ट करते हैं। प्रतिभा, वीरभद्र की पत्नी हैं।
अदालत के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीम अन्ना ने एक बयान में कहा है कि शिमला की अदालत द्वारा वीरभद्र के खिलाफ आरोप तय किए जाने से इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) का रुख सत्यापित हुआ है। जब आईएसी ने 25 मार्च को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मंत्रिमडल के दागी मंत्रियों में उनका नाम शुमार किया था तो उन्होंने हमारे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी थी।
टीम अन्ना ने वीरभद्र से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा, "जिस व्यक्ति के खिलाफ अदालत द्वारा भ्रष्टाचार का मामला तय किया जा चुका हो, उसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के हिस्से के रूप में देश के लोग स्वीकार नहीं कर सकते।" (एजेंसी)