मुंबई हमले से पूर्व अमरीका ने 26 बार दी थी चेतावनी

मुंबई में आतंकवादी हमले से महीनों पहले भारत को सीआईए तथा कुछ दूसरी एजेंसियों से कम से कम 26 चेतावनी मिली थीं कि लश्कर-ए-तैयबा बड़ी आतंकवादी हमले की फिराक में है।

वाशिंगटन : मुंबई में आतंकवादी हमले से महीनों पहले भारत को सीआईए तथा कुछ दूसरी एजेंसियों से कम से कम 26 चेतावनी मिली थीं कि लश्कर-ए-तैयबा बड़ी आतंकवादी हमले की फिराक में है। एक पुस्तक में यह दावा किया गया है। पत्रकार कैथी स्कॉट क्लॉर्क एवं एड्रियन लेवी की पुस्तक ‘द सीज: 68 आवर्स इनसाइड द ताज होटल’ में दावा किया है कि इन चेतावनियों में से 11 में सुझाव दिया गया था कि हमले में एक साथ कई स्थानों को निशाना बनाया जाएगा।
पेंग्विन यूएसए द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है, छह चेतावनियों में समुद्र के जरिए घुसपैठ का उल्लेख करते हुए कहा गया कि यह भारत में पहली तरह का हमला होगा। इसके अनुसार साल 2007 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यालय के लोगों को यूरोपीय सहयोगियों से इस बारे में एक चेतावनी मिली थी कि लश्कर अपनी गतिविधियां क्षेत्र से बाहर बढ़ाने की योजना बना रहा है, लेकिन इस चेतावनी को अमेरिका ने भी नजरअंदाज कर दिया।
पहली चेतावनी 2006 में दी गई थी जब पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली को लश्कर एवं आईएसआई के उसके आकाओं ने मुंबई में निशाना बना सकने वाले स्थानों की टोह लेने का काम सौंपा था।
पुस्तक में कहा गया है कि लश्कर की साजिश में ट्राइडेंट-ओबरॉय और ताज सहित मुंबई के कई होटलों को निशाना बनाने की बात शामिल थी। साल 2006 में मिली पहली चेतावनी के बाद 25 और चेतावनी भारत को दी गई थीं। इनमें से कई चेतावनी सीआईए के जरिए भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी रॉ को मिलीं तथा इन्हें खुफिया ब्यूरो के पास भेजा गया। पुस्तक में कहा गया है कि मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने इस सूचना की जांच के दौरान पाया कि अमेरिका के हाथ एक महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी लगी है। इसके अनुसार तीन चेतावनी में स्पष्ट रूप से फिदायीन या गुरिल्ला हमले, जानमाल का भारी नुकसान करने के बारे में जानकारी दी गई। खुफिया ब्यूरो को ताज होटल पर हमले के बारे में उस वक्त दो और चेतावनी मिली थी।
पुस्तक कहती है, एक चेतावनी में 24 मई और दूसरी 11 अगस्त को हमला किए जाने का अंदेशा जाताया गया था। ये जानकारी पाकिस्तान में लश्कर के भीतर एक सूत्र के जरिए सामने आई थी। इस 300 पृष्ठों की पुस्तक में इस बात का भी उल्लेख है कि हेडली के पारिवारिक मित्रों और पत्नियों ने किस तरह से लश्कर के साथ उसके रिश्ते के बारे में अमेरिकी अधिकारियों को बताने का प्रयास किया। अमेरिकी अधिकारियों ने इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया। अमेरिकी अधिकारियों ने इसका खण्डन किया है। इसके अनुसार राष्ट्रपति बुश ने भी यूरोप की एजेंसियों से मिली एक चेतावनी को खारिज कर दिया।
पुस्तक में कहा गया है, हेडली के आका साजिद मीर का यूरोप और खाड़ी देशों में पीछा किया गया था जहां वह लश्कर के लिए भर्ती और धन एकत्र कर रहा था। ब्रिटेन उसकी योजना में शीर्ष पर था। पत्रकारों ने इस पुस्तक में कहा, वाशिंगटन में इससे जुड़े दस्तावेज को राजनीतिक तौर पर खारिज कर दिया गया। ब्रिटेन के जांच अधिकारियों को जो संदेश भेजा गया उसमें संदेश स्पष्ट था: राष्ट्रपति मुशर्रफ पाकिस्तान में सबसे बेहतरीन दाव है। पुस्तक के अनुसार मुंबई में हमले के समय नयी दिल्ली हवाई अड्डे पर ब्लैक कैट कमांडो को घंटे रोके रखा गया जबकि लश्कर के आतंकी निर्दोषों की हत्याएं कर रहे थे और यह सब नौकरशाही से जुड़ी लालफीताशाही तथा योजना की कमी के कारण हुआ।
इसके अनुसार हमले के 22 मिनट के भीतर एनएसजी कमांडो को अनाधिकारिक रूप से एकत्रित कर लिया गया था, लेकिन वे अगली सुबह ही मुंबई पहुंच सके। इसमें कहा गया है कि वायुसेना विमान मुहैया कराने में असमर्थ थी और इसके बाद एनएसजी ने रॉ से मदद मांगी। रॉ ने पालम वायु ठिकाने पर खड़े आईएल-76 को देने पर सहमति जताई। (एजेंसी)

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