भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध का और कोई विकल्प नहीं हो सकता: चीनी मीडिया
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भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध का और कोई विकल्प नहीं हो सकता: चीनी मीडिया

चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग की भारत यात्रा के मौके पर एक प्रभावशाली दैनिक ने आज कहा कि भारत-चीन सहयोग नई दिल्ली के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं और इन संबंधों का किसी अन्य देश के साथ द्विपक्षीय संबंध से विकल्प नहीं बनाया जा सकता। सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पीपुल्स डेली प्रकाशन समूह का अंग और सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि भारत-चीन सहयोग अमूल्य है।

भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध का और कोई विकल्प नहीं हो सकता: चीनी मीडिया

बीजिंग : चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग की भारत यात्रा के मौके पर एक प्रभावशाली दैनिक ने आज कहा कि भारत-चीन सहयोग नई दिल्ली के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं और इन संबंधों का किसी अन्य देश के साथ द्विपक्षीय संबंध से विकल्प नहीं बनाया जा सकता। सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पीपुल्स डेली प्रकाशन समूह का अंग और सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि भारत-चीन सहयोग अमूल्य है।

अपने राष्ट्रवादी विचारों के लिए विख्यात इस दैनिक ने कहा, बीजिंग-नयी दिल्ली संबंध के इस क्रमिक विकास के भू-राजनीतिक महत्व का कोई अन्य विकल्प नहीं हो सकता। अखबार ने कहा, चीन भारत संबंध बेहतर ढंग से विकसित होने पर भारत की अमेरिका और जापान के साथ संबंधों में स्थिति अधिक लाभप्रद और पहल करने वाली स्थिति हो जाएगी। संपादकीय में कहा गया है कि अमेरिका एवं जापान चीन को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानते रहे हैं और वे अपने हित पूर्ति के लिए चीन के पड़ोसियों को इसके बीच में ले आते हैं।

ग्लोबल टाईम्स ने कहा, सकारात्मक नयी दिल्ली-बीजिंग संबंध से वाशिंगटन एवं तोक्यो भारत के साथ मधुर संबंध के लिए बाध्य होंगे। वैश्विक कूटनीति के मंच पर जापान एवं भारत की करीब करीब समान प्रभाव है। चीन के प्रति जापान की बैरभाव के विपरीत भारत सहयोग के सिद्धांत पर चलता है।

उसने कहा, अतएव, जापान को भारत का समर्थन जुटाना होगा जबकि इसके विपरीत ऐसा नहीं होगा। अखबार ने कहा कि शी नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद भारत की यात्रा करने वाले एक बड़ी शक्तिशाली देश के पहले बड़े नेता हैं। प्रधानमंत्री मोदी के गृहराज्य में उनके 64 वें जन्मदिन पर उनका (शी का) पहला ठहराव है।

संपादकीय में कहा गया है, इसे दोनों नेताओं के आपसी दोस्ती विकसित करने की आरंभ बिंदु के रूप में देखा जा रहा है। मोदी की हाल की जापान यात्रा का उल्लेख करते हुए अखबार ने लिखा है कि ‘चीन का मुकाबला करने के लिए (भारत एवं जापान ने) हाथ मिलाए’ जैसे सुर जापानी जनमत के रूप में उभरे जिस पर मोदी ने उसी वक्त तर्कसंगत जवाब दिया।

उसने लिखा, अब ऐसा जान पड़ता है कि कई जापानियों की यह मानसिकता सही नहीं है। अखबार ने कहा कि चीन की भारत से लघुकालिक लाभ पाने के बजाए उसके साथ दोस्ताना सहयोग की दीर्घकालिक रणनीति रही है। उसने लिखा है, हमारे लिए, चीन भारत संबंध, जिसके अपने रणनीतिक गुण हैं, का अन्य बड़ी शक्तियों के साथ संबंधों से कोई लेना देना नहीं है। 

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