आसाराम का `शनि` कनेक्शन
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आसाराम का `शनि` कनेक्शन

आसाराम बड़ा नाम था। इनका नाम अब भी है लेकिन वजह बदल चुकी है।

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देवनाथ

आसाराम बड़ा नाम था। इनका नाम अब भी है लेकिन वजह बदल चुकी है। भक्ति के लिए जाने जाने वाले आसाराम को अंदाज़ा ही नहीं रहा कि आखिर वो कब क्या कर रहे हैं और लोगों को धार्मिक आध्यात्मिक संदेश देने वाले इस कथित धर्मगुरू को इस बात का भी अंदाज़ा नहीं रहा कि हर शनिवार उसके पापों का हिसाब हो रहा है। 31 अगस्त की आधी रात ही आसाराम की इंदौर आश्रम से गिरफ्तारी हुई लेकिन क्या ये संयोग है कि ये शनिवार की ही रात थी
आसाराम का शनि कांड सिर्फ़ इसी साल हुई गिरफ्तारी तक ही सीमित नहीं है। साल 2008 को याद कीजिये। अहमदाबाद के साबरमति आश्रम में दीपेश और अभिषेक नाम के बच्चों की गुमशुदगी के दो दिन बाद 5 जुलाई को ही उनका शव आश्रम से मिला। वो दिन भी शनिवार का ही था।
जाहिर है कि जुलाई 2008 से ही आसाराम के शनि कांड की शुरुआत हो चुकी थी लेकिन लाखों भक्तों के भगवान बनने के चक्कर में आसाराम मद में सब भूल गए। उन्हें इन बातों का भी अंदाज़ा नहीं रहा कि वो किसे क्या बोल रहे हैं। राहुल पर आसाराम ने बयान तो दे दिया लेकिन उसके बाद आए शनिवार को आसाराम को एक बार फिर बड़ी चेतावनी मिली। 2 जुलाई को शनिवार को सबसे बड़ी चेतावनी जो दिग्विजय सिंह की थी।
लेकिन आसाराम किसी बात की परवाह नहीं कर रहे थे। वो अपने कथित आत्मिक अनुभव के नाम पर कभी कुटिया तो कभी बाहर मैदानों में ऐसे काम कर रहे थे जिन्हें कोई भी इंसान किसी भी लिहाज से सही नहीं ठहरा सकता। साल 2012 में आसाराम ने फिर वो काम किया। आसाराम ने यूपी के गाज़ियाबाद में पत्रकार पर हमला किया और उससे अगले शनिवार यानी 3 सितंबर, 2012 को दर्ज़ हुआ केस। आसाराम खुद को कभी कृष्ण, कभी राम तो कभी किसी और विष्णु अवतार में पेश करते रहे और इन धार्मिक रूपों के बीच चलती रही वो घिनौनी वारदात जिनके कांड उभरकर शनिवार को आसाराम को सलाख़ों के पीछे धकेल रहे हैं।
जनवरी 2013 की शुरुआत में ही आसाराम ने ऐसे बयान देने शुरु कर दिए कि उसके काले कारनामों को डर की वजह से छिपाए रखने वाली बेटियों के दिलों में नफ़रत की आग सुलग उठी और अगस्त आते आते उनके ख़िलाफ पहली रेप की एफआआर दर्ज हुई और फिर आया शनिवार।
24 अगस्त को शनिवार का ही दिन था जब पहली बार राष्ट्रीय महिला आयोग ने रेप के मामले में कार्रवाई के लिए सक्रिय हुआ। इसी शनिवार के दिन वक़ीलों ने आरोप लगया था कि आसाराम सुबूतों को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं
इसी दिन जोधपुर पुलिस ने भी आसाराम की धरपकड़ के लिए बड़े सुबूत जुटाए क्योंकि इस शनिवार से एक दिन पहले ही आसाराम ने पहली बार भोपाल प्रवचनों के दौरान माना था कि जिस लड़की ने उनके ख़िलाफ शिकायत की है वो उससे आश्रम में मिले थे।
आसाराम की बयानबाज़ी काम नहीं आई और 24 अगस्त शनिवार के दिन ही जोधपुर पुलिस ने सुबूत जुटाकर एक और मुकद्दमा दर्ज कर दिया। आसाराम पर चंगुल ऐसा बढ़ना शुरु हुआ कि आसाराम ने इंदौर भागने में भलाई समझी लेकिन वो नहीं जानते थे कि इंदौर में भी उनके ख़िलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है। रविवार से शुक्रवार तक इन छह दिनों तक आसाराम किसी न किस तरह से पुलिस की गिरफ्त से बचते रहे. इस बीच उन्होंने खुद के लिए सफाइयां भी दीं। उन्हें लगा कि बच जाएंगे लेकिन तभी आया शनिवार का दिन।
31 अगस्त को भी शनिवार ही था जब जोधपुर से चली पुलिस की टीमें इंदौर पहुंच चुकी थीं। आसाराम अपने आश्रम में दुबके पुलिस से बच रहे थे। शाम होते होते आसाराम के बेटे नारायण साईं बाहर आए और उसने दावा किया कि उसके बापू आसाराम निर्दोष हैं और जल्द सामने आएंगे।
लेकिन रेप के आरोपों से घिरे आसाराम की कोई दलील काम नहीं आने वाली थी आखिरकार शनिवार की रात गहराने के साथ ही पुलिस ने छापेमारी और तफ़्तीश जारी रखी और आसाराम को इंदौर आश्रम के बिल से बाहर निकाल लिया गया।
31 अगस्त शनिवार की आधी रात हुई इस गिरफ्तारी के बाद आसाराम की हक़ीकत पूरी दुनिया के सामने आ गई.अगले दिन पुलिस आसाराम को लेकर जोधपुर पहुंची तो एक दिन की रिमांड में ही साफ हो गया कि आसाराम उत्तेजना से भरे हैं क्योंकि मेडिकल एक्सपर्ट्स की टीम ने उनके 74 साल की उम्र में भी सेक्सुअली एक्टिव होने की बात पर मुहर लगा दी। आसाराम का दिन फिरने शुरु हो चुके थे क्योंकि इस बार उनकी गिरफ्तारी हुई थी शनिवार की रात को। कहते है शनि इंसाफ करता है। पापों का इंसाफ और कुछ ऐसा ही आसाराम के साथ हो रहा हैष आसाराम के पापों का घड़ा भी हर शनिवार को ही छलक रहा है। शनिवार आया नहीं कि एक नई आफत आसाराम के आगे मुंह बाए खड़ी हो जाती है ।
31 अगस्त को भी शनिवार था और आखिकार वो दिन भी आ गया जब शनिवार के दिन ही जोधपुर में पहली बार बापू गिरफ्तार हुए। 7 सिंतबर को भी शनिवार था जब गैरकानूनी तरीके से बने इंदौर आश्रम मे एसडीएम के अमले और आलां प्रशासन ने धावा बोल दिया। खुलासा हुआ कि आसाराम ने जिस ज़मीन को दिग्विजय सिंह के शासनकाल में औषधि उद्यान विकसित करने के लिए जो 6 एकड़ जमीन ली थी। उस ज़मीन पर अवैध तौर पर निर्माण किया जा चुका है.लैंड यूज़ चेंज़ करने के आरोपों के साथ ही सरकारी कार्रवाई भी तुरंत हुई।
7 सितंबर को को भी शनिवार का ही दिन था जब आसाराम बापू का बेहद ख़ास माने जाने वाला चेला शिवा गिरफ्तार किया गया। शिवा की गिरफ्तारी के बाद ही खुलासा हुआ कि आसाराम बापू को शिल्पी के बेहद चिंता सता रही है। बताया गया कि आसाराम ने शिवा से मिलते ही सबसे पहले शिवा से शिल्पी के बारे में पूछा। वही शिल्पी जिससे अवैध संबंदों को लेकर कई दिनों से आसाराम के चर्चे थे।कैलेड़र का हर शनिवार बापू के साथ साये की तरह थाऔर बापू के कारनामों की पोल खोलता जा रहा है।
22 सिंतबर को भी दिन शनिवार ही था जब आसाराम को इस शनिवार ही उनके रसोईये प्रकाश और शरतचंद्र के संरेडर करने की खबर मिली थी और बापू के चेहरे पर फिर आफत का पसीना टप टप बह रहा था।
28 सिंतबर को भी दिन शनिवार ही था जब एक बार फिर आसाराम के दरवाज़े पर शनिवार ने दस्तक दी और पल भर में ही इंदौर में बना आसाराम बापू का स्वागत द्रार मध्यप्रदेश सरकार ने जमीदोज़ करा डाला। उफ ये शनिवार लेकिन ये तो महज़ एक ही दिन था। समय का पहिया फिर घूमता गया और बापू की हाफ़ पिक्चर में एक और शनिवार ने दस्तक दे डाली।
आसाराम की ज़िंदगी में शनिवार नासूर बनता जा रहा है। कोई कहता है कि ये शनि की दशा का असर है.कोई इसे पापों का फल बता रहा है। लेकिन सच यही है कि शनिवार की सुबह से रात होते होते आसाराम कहीं-न कहीं शिकार बन रहे हैं। न तो उनका जप काम आ रहा है।न गुफाओं में बैठकर की गई साधना काम आ रही है। न ही मंच पर दिए गीता-पुराणों के संदेश। शनिवार की सुनामी आते ही आसाराम के कर्म उफनकर सामने आ जाते हैं और कानून की ऐसी बड़ी लहरें उठती हैं कि आसाराम उसमें समाए चले जाते हैं।
26 अक्टूबर भी शनिवार है और सवाल उठ रहे है कि उस दिन क्या होगा। ये सवाल आसाराम बापू भी दिन रात सोच रहे हैं और उनके बचे-खुचे भक्त भी क्योंकि 25 अक्टूबर तक की न्यायिक हिरासत में हैं आसाराम और अगर वो हिरासत नहीं बढ़ी तो 26 अक्टूबर के बाद के दिन भी आसाराम को जेल की कोठरी में ही बिताने पड़ेंगे।
आसाराम की ज़िंदगी का चक्रव्यूह बुरी तरह से शनिवार की चपेट में है। कभी संत खुद गिरफ्तार होता है। कभी उसके बेटे पर गिरप्तारी की तलवार लटकती है और कभी उसके ख़ास शिवा और हमराज़ शिल्पी एक एक कर जेल की सलाखों के पीछे अपने सीने में दफ़न राज़ों को उगलना शुरु कर देती हैं आखिर आसाराम की ज़िंदगी में क्या क्या करेगा शनिवार?

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