सहारा के साथ लेन-देन को लेकर सेबी ने किया सतर्क
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सहारा के साथ लेन-देन को लेकर सेबी ने किया सतर्क

बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों और उसके प्रवर्तक समेत समूह के प्रमुख सुब्रत राय के साथ किसी भी प्रकार के लेनदेन को लेकर निवेशकों तथा आम लोगों को आगाह किया है।

नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों और उसके प्रवर्तक समेत समूह के प्रमुख सुब्रत राय के साथ किसी भी प्रकार के लेनदेन को लेकर निवेशकों तथा आम लोगों को आगाह किया है।
कुछ दिन पहले सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कार्प लि. तथा सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्प लि.एवं समूह के चेयरमैन सुब्रत राय समेत उसके प्रवर्तकों के बैंक खातों, निवेश तथा अन्य सभी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था जिसके बाद यह चेतावनी जारी की गयी है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा,‘कोई भी इन कंपनियों तथा उसके तीन प्र्वतकों एवं निदेशकों के साथ लेनदेन करता है तो वह अपने जोखिम पर करेगा।’
नियामक ने कहा कि सहारा समूह की इन कंपनियों द्वारा प्राप्त रकम निवेशकों को लौटाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उसने संबंधित कंपनियों तथा उसके प्रवर्तकों एवं निदेशकों सुब्रत राय सहारा, वंदना भार्गव, अशोक राय चौधरी तथा रवि शंकर दुबे की सभी चल एवं अचल संपत्ति, बैंक खाते तथा डिमैट एकाउंट जब्त करने का आदेश दिया है।
सेबी ने सार्वजनिक नोटिस में कहा,‘निवेशकों एवं आम लोगों को सलाह दी जाती है कि वे उक्त इकाइयों को लेकर सतर्क रहे और आदेश की प्रति देखें।’
बाजार नियामक ने 13 फरवरी को दो अलग-अलग आदेश में सहारा की दोनों कंपनियों एवं सहारा समूह के प्रमुख तथा प्रवर्तकों की संपत्ति कुर्क करने और खातों पर रोक लगाने को कहा था। सेबी के इस आदेश से कुछ ही दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि यदि सहारा समूह की कंपनियां निवेशकों को धन वापस करने के लिए उसके पास राशि जमा नहीं कराती हैं तो बाजार नियामक संपत्तियों को कुर्क करने और खातों को बंद करने के लिए स्वतंत्र है।
जिन परिसंपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया गया उनमें समूह की पुणे के आंबीवैली रिजोर्ट, दिल्ली और मुंबई में अन्य रियल स्टेट संपत्तियां, देश के विभिन्न भागों में फैली संपत्तियां, शेयर, म्यूचुअल फंड और विभिन्न अन्य निवेश शामिल हैं। दोनों कंपनियों के खिलाफ दो अलग-अलग आदेश जारी करते हुए सेबी ने कहा था कि दोनों कंपनियों ने बॉन्ड धारकों से क्रमश: 6380 करोड़ रुपए और 19400 करोड़ रुपए एकत्र किए तथा इस धन को एकत्र करने में विभिन्न अनियमितताएं बरती गईं। (एजेंसी)

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