स्पॉट फिक्सिंग: BCCI अधिकारी रणनीति बनाने में जुटे

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोपों की जांच के लिये बीसीसीआई द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच पैनल को ‘अवैध और असंवैधानिक’ बताने वाले बंबई उच्च न्यायालय के फैसले से स्तब्ध बीसीसीआई के आला अधिकारी भावी कार्रवाई की दिशा तय करने के लिये आज बातचीत में व्यस्त रहे।

नई दिल्ली : आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोपों की जांच के लिये बीसीसीआई द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच पैनल को ‘अवैध और असंवैधानिक’ बताने वाले बंबई उच्च न्यायालय के फैसले से स्तब्ध बीसीसीआई के आला अधिकारी भावी कार्रवाई की दिशा तय करने के लिये आज बातचीत में व्यस्त रहे। बंबई उच्च न्यायालय का आदेश जांच समिति द्वारा 28 जुलाई को रिपोर्ट जमा किये जाने के दो दिन के भीतर आया। पैनल ने रिपोर्ट में एन श्रीनिवासन, उनके दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स टीम के मालिक गुरूनाथ मयप्पन और राजस्थान रायल्स के मालिक राज कुंद्रा को क्लीन चिट दी थी।
न्यायमूर्ति एस जे वजीफदार और एम एस सोनक की खंडपीठ ने बिहार क्रिकेट संघ और इसके सचिव आदित्य वर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। याचिका में बीसीसीआई और आईपीएल संचालन परिषद द्वारा दो सदस्यीय पैनल के गठन को चुनौती दी गई थी। पीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि जांच पैनल का गठन अवैध और असंवैधानिक है।
बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने कहा, हम फैसला पढ़ने के बाद ही अगले कदम पर फैसला लेंगे। अदालत का फैसला आने के कुछ देर बाद ही बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों ने इसके परिणामों पर बातचीत शुरू कर दी। बोर्ड की कार्यसमिति की बैठक यहां दो अगस्त को होनी है।
वहीं बीसीसीआई जांच पूरी होने तक अध्यक्ष पद से किनारा करने वाले श्रीनिवासन ने इस फैसले पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। उन्होंने पत्रकारों से कहा, मैंने इतना ही सुना है कि रिट खारिज कर दी गई है और कोई राहत नहीं मिली है। मैं आगे कुछ नहीं कहना चाहता। याचिका में श्रीनिवासन को भी आड़े हाथों लिया था चूंकि वह चेन्नई सुपर किंग्स टीम की मालिक इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और उपाध्यक्ष हैं और उन्होंने ही जांच पैनल का गठन किया था।
याचिका में अदालत से आग्रह किया गया है कि वह बीसीसीआई को जांच पैनल गठित करने का आदेश वापिस लेने का निर्देश दे और अदालत खुद सेवानिवृत न्यायाधीशों की पैनल बनाये जो मयप्पन के खिलाफ जांच करने के लिये उपयुक्त हो। बीसीसीआई और श्रीनिवासन ने अपने जवाबी हलफनामे में याचिका को निजी स्वार्थों से प्रेरित बताया था।
इस घटनाक्रम के बाद श्रीनिवासन की बीसीसीआई शीर्ष पद पर वापसी में गतिरोध पैदा हो गया है क्योंकि अब समूची जांच रिपोर्ट की वैधता ही सवालों के घेरे में है। बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, अब श्रीनिवासन के लिये बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर लौटना कठिन होगा। बीसीसीआई अधिकारी इस फैसले पर बात करके भविष्य की रणनीति तय करेंगे। बीसीसीआई को यह भी तय करना है कि दो अगस्त को यहां बैठक होगी भी या नहीं। (एजेंसी)

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