करप्शन और कांग्रेस का फैसला जनता करेगी: सिब्बल

देश के जाने-माने कानूनविद और केंद्रीय मंत्री श्री कपिल सिब्बल देश के ज्वलंत विषयों पर बेबाकी से अपनी राय ऱखते आए हैं। मौजूदा दौर की राजनीतिक और गैर राजनीतिक मुद्दों समेत सरकार के बारे में उन्होंने अपनी बात स्पष्ट शब्दों में कही। इस बार सियासत की बात में कपिल सिब्बल से ज़ी रीज़नल चैनल्स (हिंदी) के संपादक वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-

देश के जाने-माने कानूनविद और केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल देश के ज्वलंत विषयों पर बेबाकी से अपनी राय ऱखते आए हैं। मौजूदा दौर की राजनीतिक और गैर राजनीतिक मुद्दों समेत सरकार के बारे में उन्होंने अपनी बात स्पष्ट शब्दों में कही। इस बार सियासत की बात में कपिल सिब्बल से ज़ी रीज़नल चैनल्स (हिंदी) के संपादक वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-

वासिंद्र मिश्र: कपिल सिब्बल जी, आईपीएल में फिक्सिंग के मामले सामने आने के बाद देश में एक नया डिबेट शुरू हो गया है। फिक्सिंग को लीगलाइज किया जाए या ना किया जाए। फिक्सिंग को लेकर आज भी और इसके पहले भी बातें चलती रही हैं। लेकिन इस बार लगता है कि सरकार से लेकर उस संस्था से जुड़े हुए लोग भी शायद कुछ गंभीर हैं। और पिछले दिनों शायद कुछ लोग आपसे मिले भी थे। आपकी क्या राय है इस बुराई को कैसे रोका जाए?
कपिल सिब्बल: नहीं, देखिए ऐसा है ये जो खेल है हमारा खास तौर पर क्रिकेट का खेल है और बाकी जो स्पोर्टिंग इवेंट हैं चाहे हॉकी हो या बाकी खेल हों, ये बड़ी दुर्भाग्य की बातें हैं कि इसमें पैसे बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और अब रुचि पैसे बनाने की ज्यादा है और खेल में कम। लेकिन ये सभी खिलाड़ियों में नहीं है। कुछ चंद खिलाड़ियों में है। लेकिन फिर भी ऐसा वातावरण पैदा होता है तो सभी खेलों को बदनाम किया जाता है। और जो दर्शक हैं जो इतनी तादाद में है कि हम सोच भी नहीं सकते, जिन्हें खेल से प्यार है। खेल के जरिए एक हौसला मिलता है कि हिंदुस्तान क्रिकेट में और बाकी खेलों में भी आगे बढ़ रहा है। जब ऐसी बात आ जाती है तो उनका भी मनोबल टूटता है उसमें भी दरार आती है। तो हम चाहते हैं कि ऐसा कानून लाया जाए जिसके अंतर्गत ऐसे लोग हैं जो इसमें शामिल हैं। इस गलत काम में शामिल हैं उनको दंडित किया जाए।
वासिंद्र मिश्र: सर, कानून के बारे में दो तरह की राय देखने और पढ़ने को मिल रही है पिछले चार पांच दिनों से। एक तो कुछ लोगों की राय है कि फिक्सिंग का जो तरीका है इसको लीगलाइज्ड कर दिया जाए। और दूसरी राय ये है कि इसमें जो शामिल हैं उनको सख्त से सख्त सजा दी जाए। तो आपकी समझ से, एज ए कानूनविद जानना चाहना चाहेंगे।
कपिल सिब्बल: देखिए ऐसा है कि इसमें कोई दो राय की बात नहीं है। जहां तक बेटिंग और गेंम्बलिंग का सवाल है वो एक राज्य सरकार का अधिकार है उसमें केंद्र सरकार कोई कानून नहीं बना सकती है तो ये कहना कि हमारी सरकार बेटिंग और गेम्बलिंग के बारे में कोई कानून बनाएगी ये अपने आप में असंवैधानिक होगा। क्योंकि ये हक केवल राज्य सरकारों को है। अब किस तरह का कानून बने, कैसे बने और उसके क्या पहलू हों। उस पर विचार हो रहा है। और जब पूरी तैयारी हो जाएगी तो हम आपको बता देंगे।
वासिंद्र मिश्र: तो लेकिन फिर केंद्र सरकार की क्या मंशा है ? क्या आम सहमति बनाने की योजना है ?
कपिल सिब्बल: नहीं आम सहमति बनाने की बात नहीं है। देखिए अगर हमारा अख्तियार है। कैसे उसको लागू किया जाए और कैसे उसको कानून बनाया जाए इसके बारे में हम सोचेंगे और हम आपको बताएंगे, जरुर बताएंगे, जब वक्त आएगा तो बताएंगे।
वासिंद्र मिश्र: सर एक जो ये खेल के नाम पर खेल चल रहा है जिसमें राजनीति से लेकर नौकरशाही, अंडरवर्ल्ड, स्पोर्ट्स ऑर्गनाइजेशंस, प्लेयर्स सब इस खेल में शामिल हैं। तो ये खेल के नाम पर जो खेल की जो गेम्बलिंग हो रही हैं।
कपिल सिब्बल: नहीं देखिए, गेम्बलिंग के अलग मायने हैं और फिक्सिंग के अलग मायने है।
वासिंद्र मिश्र: नहीं, हम गेम्बलिंग दूसरे टर्म में बोल रहे हैं।
कपिल सिब्बल: नहीं तो दूसरे टर्म में आप नहीं बोल सकते। ये असंवैधानिक होगा। देखिए, बात ये है कि जहां तक गेम्बलिंग का सवाल है। आप कहिए कि अगले इलेक्शन 14 में है। मैं कहूं कि कांग्रेस की 250 सीटें आएंगी। ठीक है आप कहें नहीं 170 आएंगी या बीजेपी की 150 आएंगी। मैं कहूं नहीं 110 आएंगी। लेकिन आपको निर्णय का नहीं मालूम, कितनी आएंगी आपको नहीं मालूम। उस पर हम बैट लगाएं तो वो बैटिंग और गेम्बलिंग होती है। क्योंकि हमें मालूम नहीं कि क्या होने वाला है। लेकिन अगर हमें मालूम हो कि क्या होने वाला है। इस ओवर में हम 14 रन देंगे। ठीक है ना। हार को जीत में बदल देंगे, तो वो गेम्बलिंग नहीं होती है। उस पर बैट लगे तो वो गेम्बलिंग नहीं होती। वो सट्टेबाजी भी नहीं होती। वो साफ तौर पर करप्शन है। वो अपने आप में अलग एक अपराध है। जिसको हमें दंडित करना है।
वासिंद्र मिश्र: अभी जब हम लोगों ने बातचीत की शुरुआत की तब भी आपने जिक्र किया की ये जो भ्रष्टाचार या जो भी बुराई आई है खेल के नाम पर। उसको दूर करने की जरुरत है, आप भी मानते हैं। क्या आपको लगता है कि खेल के नाम पर ये जो कॉरपोरेट घरानों का इन्वॉल्वमेंट बढ़ा है। जो अंडरवर्ल्ड का इन्वॉल्मेंट बढ़ा है उसकी वजह से?
कपिल सिब्बल: नहीं देखिए, सारी दुनिया में कॉरपोरेट सेक्टर का इन्वॉल्मेंट है तो ऐसा तो नहीं है कि पूरी दुनिया में खेल बंद कर दें और कॉरपोरेट सेक्टर की उसमें इन्वेस्टमेंट बंद कर दें। खेल बढ़ा भी है कॉरपोरेट सेक्टर की वजह से। और आज के दिन जो दुर्भाग्य की बात है जो उसमें खोट भी आई है, कुछ उसका भी हाथ कॉरपोरेट सेक्टर का हो सकता है। मैं नहीं जानता लेकिन ये तो जांच जब पूरी होगी तभी पता चलेगा। लेकिन हम जल्दी से जल्दी नतीजे पर पहुंच जाते हैं खास तौर से हमारे पत्रकार भाई और मीडिया के लोग। क्योंकि उनको तो चाहिए कि एकदम इंस्टेंट कॉफी जैसे काम होना चाहिए। ठीक है ना, लेकिन कानून बनाना, जांच करना इंस्टेंट कॉफी तो नहीं होता है। तो इसको बड़ी समझदारी के साथ, सोच के साथ एक ऐसा अच्छा कानून बनाना चाहिए जिसमें सबकी सहमति हो और मुझे इस बात कि खुशी है कि जेटली और शुक्ला साहब दोनों इकट्ठे मेरे पास आए। और वो भी चाहते हैं कि एक कानून बने। अब उसका ढांचा क्या होगा, उसके बारे में हम चर्चा करेंगे। यह फैसला करेंगे कि किस किस्म का कानून होना चाहिए।
वासिंद्र मिश्र: उनकी तरफ से कोई ड्राफ्ट दिया गया है ?
कपिल सिब्बल: नहीं, नहीं कोई ड्राफ्ट नहीं दिया।
वासिंद्र मिश्र: सर आपको नहीं लगता है कि इसमें जो नेताओं की भी दिलचस्पी ज्यादा बढ़ी है पिछले कुछ वर्षों से। और इसको ले कर बीच-बीच में आवाज उठती रही है कि जो तमाम ओवर ऐजेड नेता हैं जो वर्षों से खेल संगठनों पर काबिज़ हैं।
कपिल सिब्बल: नहीं नौजवान भी कई ऐसे नेता हैं जो खेल से जुड़े हुए हैं। केवल ओवर ऐज नेता नहीं है।
वासिंद्र मिश्र: मैं खेल संगठनों की बात कर रहा हूं।
कपिल सिब्बल: ऐसी बात नहीं है, नौजवान भी खेल संगठन में भी जुड़े हुए हैं। दो चार नाम आपको दे सकता हूं। लेकिन आपको मालूम है। पत्रकार हैं।
वासिंद्र मिश्र: अच्छा तो अब आपको क्या लगता है। देश क्या उम्मीद करे, जो आपकी तरफ से पहल हो रही हैं या कोशिश हो रही हैं ?
कपिल सिब्बल: देश को ये उम्मीद करनी चाहिए की हम जरूर कुछ ना कुछ करेंगे। इसके बारे में क्या करेंगे, कैसे करेंगे। कब करेंगे ये हम आपको बताएंगे।
वासिंद्र मिश्र: ये को-इंसीडेंस है या कोई डेस्टनी है आपकी। जब भी कोई इस तरह की क्राइसिस आती है देश में। खास तौर से सरकार के सामने तो उस क्राइसिस के मैनेजमेंट में डायरेक्टली या इन डायरेक्टली आपको इन्वॉल्व कर दिया जाता है सरकार की तरफ से भी और पार्टी की तरफ से भी।
कपिल सिब्बल: अब इसका मैं जवाब कैसे दे सकता हूं। हमें जो जिम्मेदारी दी जाती है। हम निष्ठा से उसको निभाते हैं और प्रयास करते हैं कि अगर कोई बाधा आई है तो उसको हम दूर करें। ये हमारा प्रयास रहता है।

वासिंद्र मिश्र: इसके पहले आप जिन-जिन मंत्रालयों में रहे हैं। उसमें आपने बहुत ही रेवल्यूशनरी डिसिजंस भी लिए हैं। बिना ये परवाह किए कि उसका ग्राउंड लेबल पर और उस निर्णय को लेकर के क्या प्रतिक्रिया है। उन लोगों का जो इफेक्टेड पार्टी हैं। लेकिन आपने मेजोरटी का इंटरेस्ट ध्यान में रखा। चाहे वो एचआरडी मिनिस्ट्री हो, चाहे साइंस एंड टेक्नोलॉजी हो। अब जो दोबारा ये कानून मंत्रालय आया है। एक दम आप क्षमा करिएगा। अब क्रेडेबलिटी पर संकट आ गया है। कानून मंत्रालय, कानून मंत्री और पूरे-पूरे ज्यूडिशियरी और सरकार के क्रेडीबिलिटी संकट में है। संस्थाएं कठघरे में हैं।
कपिल सिब्बल: नहीं, देखिए जब हमें संविधान को सुरक्षित रखना है और लोकतंत्र को सुरक्षित रखना है तो ये हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उस ढांचे को मजबूत करें ना कि उसे हम बर्बाद करें। हमारे देश में एक फैशन सा चल गया है कि आरोप पर आरोप लगाना। कोई भी संस्था हो कोई भी व्यक्ति हो। ये एक फैशन बन गया है कि जैसे मीडिया ही हमारा देश चलाएगा और जो सड़क पर आते हैं वो ही देश चलाएंगे। अगर वो देश चला सकते हैं तो जरुर चलाएं लेकिन बिना पार्लियामेंट के, बिना लोकतंत्र के, बिना संविधान के, बिना संस्थाओं के देश नहीं चल सकता। तो मेरा जो प्रयास रहेगा इस मंत्रालय में की ज्यूडिशियरी को मजबूत करना, वो विश्वास वापस लाना, लोगों में जो अविश्वास की भावना है, उसको विश्वास में बदलना। अपने मंत्रालय में ट्रांसपेरेंसी पारदर्शिता लाना और लोगों के मन में भी विश्वास पैदा करना कि हम सही काम करते हैं। लोगों को ऐसा भी नहीं सोचना चाहिए कि हम किसी भी इन्वेस्टिगेटिंग ऐजेंसी में दखलअंदाजी करते हैं। वो विश्वास भी वापस लाना है। लेकिन अक्सर ये होता है कि जांच बाद में होती है, मीडिया निर्णय पहले ले लेता है। और उसमें क्या होता है कि सारा वातावरण खराब हो जाता है। तो मैं समझता हूं कि आपको भी बहुत भारी जिम्मेदारी सौंपी गई है, हालांकि संविधान के अंतर्गत नहीं, संविधान के बाहर। आप ही एक ऐसी संस्था हैं जो हमारे और लोगों के बीच एक ब्रिज का काम करते हैं। और इस ब्रिज को अगर हम ऐसा बना देंगे कि लोग हमसे नफरत करने लगेंगे या हम लोगों पर विश्वास नहीं करेंगे तो वो ब्रिज भी टूट जाएगा और संविधान भी खत्म हो जाएगा। तो आपकी भी बहुत भारी जिम्मेदारी है। और सभी को विश्वास के आधार पर आगे चलना चाहिए। हमारे देश में एक ऐसा वातावरण हो गया है कि हम अविश्वास के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं। अगर आप अपने माता-पिता पर विश्वास नहीं करेंगे तो वो परिवार भी आगे नहीं बढ़ेगा। अगर मां-बाप बच्चे पर विश्वास नहीं करेंगे तो बच्चा भी आगे नहीं बढ़ेगा। हम एक परिवार हैं। हां, आप क्रिटिसाइज करो, आप आरोप लगाओ, बुनियादी सवाल उठाओ। प्रेजिडेंट ने कहा है कि पार्लियामेंट में 3डी की बड़ी ज़रुरत है। डिबेट, डिस्कस एंड डिसाइड। लेकिन केवल एक डी चल रहा है। पार्लियामेंट में अगर डिसरप्शन होगी, सोशल डिसरप्शन होगी, मीडिया डिसरप्शन होगी तो देश कैसे चलेगा।
वासिंद्र मिश्र: सबको संयत और अनुशासन में रह कर अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए लेकिन जो पिछले 10-12 वर्षों से हम देख रहे हैं। जब एक क्रेडिबल फेस की जरुरत होती है पार्टी को। जब एक क्रेडिबल फेस की जरुरत होती है सरकार को। जब एक बेबाक दो टूक बात कहने वाले नेता की ज़रुरत पड़ती है पार्टी को। जब एक कानून के जानकार के रुप में किसी व्यक्ति की आवश्यक्ता होती है सरकार और पार्टी को तो कपिल सिब्बल का नाम आता है। और वो चीजें जब ओवर हो जाती हैं उस समय की जब अर्जेंसी खत्म हो जाती है तो फिर नए-नए चेहरे आगे आ जाते हैं और कपिल सिब्बल साहब को किसी एक जिम्मेदारी को दे कर कह दिया जाता है कि अब आप यहीं तक सीमित रहिए। अब 2014 के चुनाव आने वाले हैं हम आपको किस रुप में देखने वाले हैं।
कपिल सिब्बल: नहीं, मैं तो कांग्रेस पार्टी का एक कार्यकर्ता हूं। इत्तेफाक से आज मैं मंत्री भी हूं। लेकिन बुनियादी तौर पर मैं कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता हूं और कांग्रेस पार्टी के लिए, उसके प्रोग्रेस के लिए, उसकी उन्नति के लिए हम काम करेंगे।
वासिंद्र मिश्र: पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए थे जब मायावती की सरकार थी। आपने पूरी मेहनत के साथ उस समय की मुलायम सिंह की सरकार और फिर मायावती की सरकार में जितने भी प्रशासनिक भ्रष्टाचार हुए थे उसको उजागर किया।
कपिल सिब्बल: जी हां ठीक बात है।
वासिंद्र मिश्र: हम सब लोग उसके गवाह हैं, और तब आप लोग बार-बार कहा करते थे। हम लोग कहते थे कि सिब्बल साहब चुनाव के बाद क्या होगा, क्या फिर तब भी आप इस बात के लिए एडमेंट रहेंगे कि इस तरह के भ्रष्टाचार के आरोपी लोग हों उनसे किसी तरह की सांठ-गांठ न की जाय ?
b>कपिल सिब्बल: नहीं, देखिए।
वासिंद्र मिश्र: उसके बाद क्या हुआ, आपके सामने है देश के सामने हैं।
कपिल सिब्बल: देखिए आपने बात सही कही, भष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई है वो राष्ट्रीय स्तर की है। देखिए भ्रष्टाचार में केवल सरकार ही नहीं शामिल है, क्रिकेटर, बिज़नेसमैन क्म्युनिटी भी शामिल हैं। एकेडेमिक्स और पत्रकार भी शामिल हैं। भ्रष्टाचार एक राष्ट्रीय मुद्दा है और हम सबको एकजुट होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक संगठन के तहत लड़ाई लड़नी है। अब आपने बात भ्रष्टाचार की तो कर दी। लेकिन होता क्या है कि सरकार, जब सरकार के पास एब्सल्यूट मेजोरटी नहीं होती। लोकसभा में नहीं होती, राज्यसभा में नहीं होती और बाकी दल आपका सहयोग करते हैं तो निश्चित रुप से जो ठोस कदम हम उठाना चाहते हैं उसमें भी कभी-कभी रुकावट आ जाती है लेकिन हमारा प्रयास। हमारी सरकार का ये भी प्रयास रहा है कि किसी तरीके से एक अच्छा लोकपाल कानून लाया जाए और हमारी ही ऐसी सरकार हैं। और मैं यह दाद अपने प्रधानमंत्री और सोनिया जी को देता हूं कि हम ही ऐसी सरकार हैं कि जब भी हम देखते हैं कि किसी मंत्री ने कोई ऐसा काम किया है जो चाहे भ्रष्टाचार प्रूव हुआ हो या न हुआ हो। लेकिन फिर भी हमें ऐसा लगता है कि वो काम सही नहीं है तो हम तुरंत रेजिगनेशन मांगते हैं चार हमारे मंत्री ऐसे हैं जिन्होंने अपना-अपना जो पद था वो त्याग दिया हमारे कहने पर। तो हमारी ही एक ऐसी पार्टी है जो ये काम करती है। लेकिन अगर आप मुझसे सच पूछो कि क्या हम उस स्तर तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ पा रहे हैं कि नहीं तो मैं सच कहूंगा कि ये बात आपकी सही है। हम नहीं लड़ पा रहे लेकिन हमारी ही एक पार्टी है जो लड़ भी रही है कुछ हद तक हम कर्नाटक जैसे नहीं हैं। वहां एक आदमी पकड़ा गया, रिपोर्ट आ गई, फिर भी एक ऐसी पार्टी है जिसने कहा कि नहीं हम उसको नहीं जाने देंगे। जब तक वो खुद नहीं चले गए। तो कहने का मतलब ये है कि इसकी लड़ाई और तेजी से होनी चाहिए।
वासिंद्र मिश्र: जो आपके राजनैतिक विरोधी हैं उनके पास एक लंबी चौड़ी फेहरिस्त है आरोपों की और अगर हम आपकी भाषा में कहें तो कथित रुप से भ्रष्टाचार संबंधी आरोप हैं। चाहे वो 2जी स्कैम हो। सीडब्ल्यूजी स्कैम हो इस तरह की सीरीज है। जो स्कैम की बात कही जा रही है। कांग्रेस पार्टी अब चुनावों की तैयारी में है। अभी पिछले दिनों राहुल जी की एक दिल्ली में आप लोगों के साथ ठक हुई क्या स्ट्रेटजी बन रही है किस तरह से?
कपिल सिब्बल: नहीं, देखिए स्कैम्स का मतलब क्या है, एक सीएजी ने कह दिया कि 1 लाख 76 हजार करोड़ का 2जी में नुकसान हो गया सरकार को घाटा हो गया तो वो स्कैम हो गया। मतलब एक सीएजी कह दे तो स्कैम बन गया और उसको अगर मीडिया दोहरा दे तो स्कैम बन गया। अब आपको पहले ये तय करना होगा कि स्कैम का मतलब क्या है। अगर किसी ने कोई भ्रष्ट काम किया है तो उसके पीछे आप जाओ। लेकिन अगर आप पॉलिसी फ्रेमवर्क नीति के आधार पर कह दो कि ये नीति गलत थी आपको दूसरी नीति अपनानी चाहिए थी। और अगर वो नीति अपनाते तो सरकार को इतना पैसा मिल जाता मैं समझता हूं कि उसे भ्रष्टाचार से कोई लेना देना नहीं होता। ठीक है ना, अभी आज तक किसी एक व्यक्ति के खिलाफ कोई भ्रष्टाचार प्रूव नहीं हुआ बंगारु लक्ष्मण के खिलाफ हुई, ठीक है ना। बाकी लोगों के खिलाफ हुई लेकिन हमारी सरकार में किसी के खिलाफ अभी तक प्रूव नहीं हुआ। अशोक चव्हाण साहब के खिलाफ भी कुछ प्रूव नहीं हुआ लेकिन उन्होंने चीफ मिनिस्टर का पद त्याग दिया, ठीक है ना। तो आप किसी को भ्रष्ट कह दें। बिना किसी निर्णय के, कानून के। किसी न्यायालय के निर्णय से तो वो भी अपने आप में सही है। और ये मीडिया चलाता है, अपोजिशन कहती है कि हम भ्रष्ट हैं। मीडिया चलाता है कि कांग्रेस भ्रष्ट है। लेकिन एक दो बात आपको बताऊं। पिछले दो वर्षों में इस देश में 11 प्रदेशों में इलेक्शन हुए हैं। उसमें से कांग्रेस पार्टी की 60 सीटें बढ़ी हैं, जबकि भाजपा की 92 सीटें कम हुई हैं। ये वास्तविक्ता है। अगर हम इतने ही भ्रष्ट होते और लोग इतने ही दूर होते तो हमारी 60 सीटें बढ़ती और उनकी 92 सीटें कम होती! मीडिया चलाता है क्योंकि मीडिया नेगेटिव न्यूज़ चलाता है, नेगेटिव न्यूज़ इसलिए चलाता है क्योंकि उससे पैसा बनता है। बुरी बात नहीं है पैसा बनाना। अच्छी बात है पैसा बनाना। ये कोई भ्रष्ट काम नहीं है, लेकिन इससे देश को नुकसान होगा। क्योंकि अगर नेगिटिविटी देखोगे आप पॉजिटिव की बात नहीं करोगे तो निश्तित रुप से देश का नुकसान होगा।
वासिंद्र मिश्र: तो 2014 में क्या है ऐजेंडा ?
कपिल सिब्बल: हम अच्छी बात करेंगे हम किसी के बारे में कुछ गलत बात नहीं बोलेंगे। हम कहेंगे देश को आगे बढ़ना है। देश का भविष्य को उज्जवल करना है। ये हमारा पहला कर्तव्य है, पहली ड्यूटी है। और हम वो नीतियां हमने पहले भी अपनाई। अब हमारे देश में क्या हुआ, हमारी एनर्जी प्रोडक्शन 54000 मेगॉवाट 11 वें प्लॉन में, 10वें प्लॉन में केवल 20 हजार मेगावॉट थी। दोगुने से भी ज्यादा। कभी इतिहास में नहीं हुआ। हमारी एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन 2 लाख 60 हजार मीट्रिक टन है। इतिहास में कभी नहीं हुआ। हमारी ग्रोथ ऐवरेज 8 पर्सेंट रही है एनडीए की 5.7%। गरीबी तीन गुना कम हुई है, पर कैपिटल इनकम तीन गुना ज्यादा बढ़ी है, जितनी कनेक्टीविटी रुरल रोड्स के हुए हैं आज तक नहीं हुई। जितनी कनेक्टीविटी मोबाइल फोन्स से हुई है आज तक नहीं हुई, जितना बजट सोशल सेक्टर में चाहे वो स्वास्थ्य में हो शिक्षा में हो, आज तक नहीं दिया गया। क्या ये हमारे फेलियर्स हैं। ये हमारे भ्रष्टाचार की वजह से हुआ है। तो कहने का मतलब है भ्रष्टाचार एक राष्ट्रीय मुद्दा है हमें ठोस लड़ाई करनी है। लेकिन मीडिया ऐसा ना समझे की देश में कुछ हो नहीं रहा है, और जो आप दिखाते हैं। केवल भ्रष्टाचार की बात करते हैं। लेकिन बुनियादी तौर पर देश में परिवर्तन आ रहा है जो आज तक नहीं हुआ। किसी सरकार ने आज तक नहीं किया। उसके बारे में हम जनता को जाकर बताएंगे, उनको अवगत कराएंगे कि असल में हमने क्या किया है। आम किसान को 4 लाख 60 हजार करोड़ का एग्रीकल्चरल क्रेडिट हमने दिया है। कोई बात करता है इसके बारे में। 12 करोड़ बच्चों को आज मिड डे मील दिया जाता है, कोई बात करता है। 25 करोड़ लोगों को मनरेगा के अंतर्गत नौकरियां मिली हैं।
वासिंद्र मिश्र: सर आपके मंत्रालय के बहुत सारे जो बिल थे वो पास नहीं हो पाए पिछले सत्र में ?
कपिल सिब्बल: उसका श्रेय केवल अपोजिशन को जाता है मैं उनको दाद देता हूं कि देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। क्योंकि ये मेरा मुद्दा नहीं है ये बच्चों का मुद्दा है। आप अगर उसको अपोज करते हो बिल पास नहीं करते हो तो आप बच्चों के खिलाफ हो और ये बात हम कहेंगे हम चुनाव में जाकर जनता को बताएंगे। इनको हमारे साथ तो विरोध हो सकता है इनको बच्चों से क्यों? हिदुस्तान के भविष्य से खिलवाड़ क्यों?
वासिंद्र मिश्र: तो ये 2014 का चुनाव राहुल जी के ही नेतृत्व में लड़ा जा रहा है?
कपिल सिब्बल: हम सबके नेतृत्व में लड़ा जा रहा है, हमारे तीन नेता हैं, सोनिया जी, प्रधानमंत्री जी, राहुल जी हैं।
वासिंद्र मिश्र: आपकी कोशिश होगी 2014 के बाद जो सरकार बने वो अकेले कांग्रेस के दम पर बने क्योंकि कोलेशन पॉलिटिक्स की वजह से?
कपिल सिब्बल: अब ये तो जनता बताएगी, जनता तय करेगी। हम तो चाहते हैं लेकिन जनता तय करेगी।
वासिंद्र मिश्र: आप भी मानते हैं कि कोलेशन की वजह से काफी दिक्कतें होती हैं?
कपिल सिब्बल: होती हैं, इसमें कोई शक नहीं।
वासिंद्र मिश्र: बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
कपिल सिब्बल: थैंक यू।

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