शुभ लाभ और खुशहाली की दीपावली
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शुभ लाभ और खुशहाली की दीपावली

अंधेरे को उजियारे में परिवर्तित करता दीपावली एक ऐसा पर्व है जो कई मायनों में खुशियां बिखेरता है। इस पर्व के कई आयाम है जो इसे एक संपूर्ण उत्सव में तब्दील करते है।

संजीव कुमार दुबे
अंधेरे को उजियारे में परिवर्तित करता दीपावली एक ऐसा पर्व है जो कई मायनों में खुशियां बिखेरता है। इस पर्व के कई आयाम है जो इसे एक संपूर्ण उत्सव में तब्दील करते है। यह महज मां लक्ष्मी की पूजा करने पटाखे फोड़ने या दीये जलाने का ही पर्व नहीं है। दीपावली से जुड़ी दो चीजों से आप हर वर्ष रूबरू होते होंगे और वह है शुभ लाभ।
सबसे पहले शुभ लाभ को पारंपरिक और पौराणिक नजरिए से समझने की कोशिश करते है। दीपावली का पूजन गणपति और लक्ष्मी के बगैर अधूरा है। भगवान गणेश शुभ होने के मंगलकारी होने के और मां लक्ष्मी आपे जीवन में लाभ होने की, धन आगमन की प्रतीक है। दीवाली से जुड़ा यह अहम प्रतीक जीवन के कई शाश्वत पहलुओं को भी उजाकर करता है जिसे समझने की जरूरत है।
शुभ-लाभ...। इसे आप इसी प्रकार देखते होंगे क्योंकि एक हाइफन (-) से परस्पर दोनों के जुड़े होने का संकेत मिलता है। जीवन मे शुभ होने का हमारे जीवन मे कितना महत्व है वह इस प्रकार से समझा जा सकता है। हमारे विचार अगर शुभ होते हैं तो यकीनन हमारा व्यक्तित्व उससे निखरता है। शुभ विचारों के सहारे ही हम शुभ कार्यों में संलग्न होते हैं जिससे हमारा जीवन शुभता की ओर अग्रसर होता है। शुभ बातों या विचारों का शुभ फल और अशुभ बातों विचारों या कर्मों का अशुभ फल। इसमें तो भला कोई संशय नहीं। जैसे करनी वैसे भरनी।
जब कार्य शुभ होते हैं तो जीवन में लाभ की उम्मीद बढ़ जाती है। लाभ का आशय सिर्फ लक्ष्मी ही नहीं बल्कि इसके आध्यात्मिक, शारीरिक, बौद्धिक आदि कई लाभ है। शुभ के प्रतीक गणपति है जो बुद्धि के देवता है तो इसका मतलब हुआ कि किसी कार्य का शुभारंभ गणपति के साथ शुरू हो तभी ऊं श्री गणेशाय नम: लिखने की परंपरा है।
शुभ विचारों को मन में लाना इतना सहज भी नहीं है क्योंकि मन की गति अधिगामी है। वह हमेशा नीचे की ओर हमें प्रवृत करना चाहता है। क्योंकि हर अच्छे कार्य में बाधाएं ज्यादा आती है। बुरे कार्य करना सहज होता है। इसलिए शुभ काम को करना मुश्किल होता है क्योंकि इसमें आप अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करते हुए मन से एक प्रकार का युद्ध लड़ते है, मन से अशुभ विचारों को शुभ प्रभावों के जरिए लड़कर उसे खत्म करते हैं। इसलिए मन को साधने में शुभ विचारों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए हमारे जीवन में शुभ, शुभता का महत्व ना सिर्फ भौतिक बल्कि आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक भी है।
हम शुभ कार्य करेंगे तो जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं। शुभ कार्य का अशुभ फल हो यह नामुमकिन है और ऐसा नहीं होता है। तो इस बात की जीवन में सक्रियता जरूरी है कि हमारे विचारों में शुभता हो। विचार जितने ही शुभ होंगे हमारे संस्कार उतने ही उन्नत होते चले जाएंगे और हमारे कर्म भी हमें जीवन की शुभता की ओर प्रवृत करेंगे। इसलिए हमें यह कोशिश करनी चाहिए।

हमें अपनी जीवन में शुभ करने की यथासंभव कोशिश करनी चाहिए। इसलिए भगवान गणपति हमें जीवन में शुभ कर्म, शुभ विचार करने की प्रेरणा देते है। यह कार्य इसलिए हम सभी भगवान गणेश का आशीर्वाद लेकर ही शुरू करते है।
अब लाभ की बारी आती है। हम अपने जीवन में लाभ की कामना करते हैं। लाभ का अर्थ यहीं नहीं कि हम सिर्फ अर्थ की ही कामना करें। अगर हमारा जीवन शांति और सुकून से भरा है तो यह जीवन का सबसे बड़ा लाभ है। अर्थ यानी धन की आवश्यकता को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। लेकिन अगर सिर्फ धन-धान्य से व्यक्ति परिपूर्ण रहे और उसका सेहत खराब रहता है तो फिर ऐसा धन किस काम का। सेहत बेहतर हो, हम हमेशा स्वस्थ रहें, यह हमारे जीवन के बड़े लाभ में से एक है।
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी धन,संपदा और ऐश्वर्य की देवी है। तभी दीपावली के दिन उनके पूजा करने का विधान है। यह इस कामना से किया जाता है कि जीवन में धन-संपदा की कमी नहीं रहे। हमारे घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे। ऐसी प्रार्थना मां लक्ष्मी से की जाती है। हम प्रार्थना करते हैं कि जिन साधनों, कला या ज्ञान से धन और यश प्राप्त हो रहा है वह सदैव बना रहे। लाभ लिखने का अर्थ है कि हम मां लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर के धन में हमेशा बढोतरी होती रहे।

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