माओ के चीन में महात्मा गांधी के विचारों की दस्तक

कभी माओ जेदांग के नेतृत्व में सशस्त्र क्रांति के जरिए चीन में सत्ता परिवर्तन हुआ था और उसके बाद से माओ के विचार यहां सर्वोपरि रहे हैं, लेकिन अब यहां सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के विचारों को स्थान मिलना शुरू हो गया है।

बीजिंग : कभी माओ जेदांग के नेतृत्व में सशस्त्र क्रांति के जरिए चीन में सत्ता परिवर्तन हुआ था और उसके बाद से माओ के विचार यहां सर्वोपरि रहे हैं, लेकिन अब यहां सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के विचारों को स्थान मिलना शुरू हो गया है। इसकी मिसाल आज उस वक्त देखने को मिली जब बापू के विचारों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन किया गया। इस पुस्तक का नाम ‘गांधीज आउटस्टैंडिंग लीडरशिप’ है।
पूर्व भारतीय राजनयिक और गांधीवादी पासक एलन नाजारेथ द्वारा लिखी इस पुस्तक का विमोचन पेकिंग विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज’ में किया गया। इस मौके पर भारतीय राजदूत एस जयशंकर भी मौजूद थे। साउथ चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के इतिहास के प्रोफेसर शांग कुआनयू ने इस पुस्तक का अनुवाद चीनी भाषा में किया है।
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि कई मायने में यह पुस्तक माओ के चीन में गांधीवादी विचारों का ‘आधिकारिक आगमन’ है। अधिकारियों ने कहा कि यह पहला मौका है जब चीन में किसी पुस्तक का चीनी भाषा में आधिकारिक अनुमति से विमोचन किया गया है। पिछले साल अमेरिकी पत्रकार विलियम एल शिएरर की पुस्तक ‘गांधी एक मेमोयर’ यहां के बाजार में आई थी।
गांधी के विचारों पर आधारित पुस्तक के लेखक नाजारेथ साल 1994 में भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने कहा कि गांधी के विचार पूरी दुनिया खासकर चीन के लिए प्रासंगिक हैं। पुस्तक के विमोचन के मौके पर उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बापू ने किस तरह से चीन पर जापान के हमले का विरोध किया था। उस समय महात्मा ने जापान के लोगों को लिखे पत्र में कहा था, ‘आप लोग साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा से जकड़ चुके हैं।’ नाजारेथ ने कहा कि गांधी का दर्शन चीन के लिए प्रासंगिक है क्योंकि आर्थिक विकास के बाद यह देश बहुत अधिक उपभोक्तावाद का अनुभव कर रहा है।
यहां के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान उन्हें हथियार के दम पर सत्ता हथियाने के माओ के विचार और गांधी के अहिंसा के विचार के विपरीत ध्रुवों को लेकर कई जटिल सवालों का सामना करना पड़ा। उन्होंने भारत और चीन से अपील की कि वे गांधीवादी अध्ययन को लेकर यहां एक संस्थान की स्थापना करें। (एजेंसी)

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