21वीं सदी के नटवरलाल
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21वीं सदी के नटवरलाल

किसी भी शख्स, कंपनी या सोसाइटी के विकास में आज इनफोर्मेशन टेक्नोलॉजी सबसे बड़ी ज़रुरत बन चुकी है। एक दूसरे से संपर्क में रहने के लिए व्हाट्स एप, चैटिंग, फेसबुक या ईमेल की ज़रुरत है और इंटरनेट पावर से लैस इन टेक्नोलॉजिकल सोशल नेटवर्क्स की ज़रुरत सिर्फ़ एक इंसान के सोशल सर्किल तक ही सीमित नहीं है,बड़ी कंपनियों के लिए भी अब ये जनसंपर्क का ज़रिया बन चुकी हैं।

किसी भी शख्स, कंपनी या सोसाइटी के विकास में आज इनफोर्मेशन टेक्नोलॉजी सबसे बड़ी ज़रुरत बन चुकी है। एक दूसरे से संपर्क में रहने के लिए व्हाट्स एप, चैटिंग, फेसबुक या ईमेल की ज़रुरत है और इंटरनेट पावर से लैस इन टेक्नोलॉजिकल सोशल नेटवर्क्स की ज़रुरत सिर्फ़ एक इंसान के सोशल सर्किल तक ही सीमित नहीं है,बड़ी कंपनियों के लिए भी अब ये जनसंपर्क का ज़रिया बन चुकी हैं। मोबाइल में टूजी और 3जी की पावर आने के बाद अब ज़्यादातर लोग सीधे बातचीत या एसएमएस की बजाए इन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वजह पैसे की बचत भी है और वक्त की ज़रुरत भी। इन तमाम चीज़ों ने हमारे इर्द गिर्द एक नया वर्चुअल वर्ल्ड बना दिया है और जब किसी चीज़ को खरीदने की चाहत हो तो इंसान सबसे पहले इसी वर्चुअल वर्ल्ड को खंगालता है। टीवी, कार या कुछ और लेना है तो आपस में दोस्तों से डिस्कशन भी इसके ज़रिए हो सकता है और इंटरनेट पर सस्ते दाम मुहैया करवाने वाली कंपनियों से भी ईमेल के ज़रिए ही नहीं, अब व्हाट्स एप या फेसबुक के ज़रिए भी संपर्क किया जा सकता है। लेकिन इसी इंटरेट सिस्टम के बीच अब कई ऐसे लोग भी अपनी पैठ जमा चुके हैं जो गाहे-बगाहे किसी भी शख्स को, किसी भी कंपनी के नाम से कोई भी ऑफर दे सकते हैं। इन लोगों का न तो किसी कंपनी से कोई ताल्लूक होता है और न ही उनका मकसद ग्राहकों का फायदा। ये लोग कभी बड़ी कंपनियों के नाम से होली,दीवाली के नाम पर सस्ते से सस्ता सामान बेचने का ऑफर देते हैं, तो कभी आपको बताते हैं कि किसी बड़ी कंपनी के यहां हुई एक कस्टमर सर्वे के बाद आपके नाम पर करोड़ों की लॉटरी निकल गई है। कई बार तो हद करते हुए ये विदेशों में किसी अरबपति की मौत के बाद उसकी पूरी संपत्ति आपके नाम करने के दस्तावेजों का भी दावा करते हैं। हाल ही में देश की नामी कंपनियों के यहां नौकरी के नाम पर भी ये लोगों से संपर्क कर चुके हैं।
क्राइम फाइल्स ने ऐसे ही ऑनलाइन ऑफर्स की तफ्त़ीश की तो पता चला कि देश ही नहीं, दुनियाभर में ऐसे फ्रॉड्स का नेटवर्क है, जो हर रोज़ नए हथकंडे अपनाकर लोगों को संपर्क करता है और जब कोई इंसान इनकी बात का जवाब दे देता है तो फिर उससे ईमेल या चैट ही नहीं, फोन पर भी संपर्क किया जाता है। ऐसा करने के लिए लगभग हर देश के बड़े महानगरों में इनके एजेंट मौजूद रहते हैं। दिल्ली में इस गैंग का काम नाइजीरियन संभालते हैं जो ग़रीब और भोली भाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर उनसे कस्टमर कॉल्स का काम करवाते हैं, ताकि लॉटरी का ऑफर मिलने के बाद जब कोई शख्स संपर्क करे, तो उसे अपनेपन भरी आवाज़ लगे। एक बार फोन से संपर्क होने के बाद पहले उस शख्स से कुछ दस्तावेज़ मांगे जाते हैं और फिर ट्रांज़ेक्शन या टैक्स के नाम पर कुछ पैसे की डिमांड की जाती है। इस पैसे को नॉर्थ ईस्ट या किसी ग्रामीण इलाके के छोटे से बैंक में जमा करवाने को कहा जाता है। नाइजीरियन गैंग इन बैंक एकाउंट्स को फर्ज़ी तरीके से अपने कब्जे में लेकर रखता है और पैसा जमा होने के 24 घंटे के अंदर ही एटीएम के ज़रिए ये पैसा निकाल लिया जाता है। एक बार पैसा निकालते ही हवाला या मनी एक्सचेंज़ के ज़रिए ये पैसा विदेशों में भेज दिया जाता है। यही वजह है कि ऑनलाइन फ्रॉड्स के केस में अब तक गिरफ्तारियां तो हुई हैं, लेकिन पैसे की वसली नहीं हो पाई। इसलिए अगर कोई लुभावना ऑफर आए तो आप रहिए सावधान, क्योंकि आपका एक रिप्लाई आपकी जीवन भर की पूंजी गंवा सकता है।

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