कसाब की अंतिम ख्‍वाहिश थी: फांसी के बारे में अम्मी को बता दें

मुंबई पर चार वर्ष पहले आतंकी हमले में शामिल लश्कर-ए-तोएबा के आतंकी अजमल कसाब को जब 21 नवंबर को फांसी दिए जाने के बारे में बताया गया तो उसने कहा कि मेरी अम्मी को बता दें। लगता है कि कसाब की मां नूरी लाइ उसके सबसे करीब थीं। फांसी पर लटकाने से पहले जब उससे उसकी आखरी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उसने उन्हीं का नाम लिया।

नई दिल्ली : मुंबई पर चार वर्ष पहले आतंकी हमले में शामिल लश्कर-ए-तोएबा के आतंकी अजमल कसाब को जब 21 नवंबर को फांसी दिए जाने के बारे में बताया गया तो उसने कहा कि मेरी अम्मी को बता दें। लगता है कि कसाब की मां नूरी लाइ उसके सबसे करीब थीं। फांसी पर लटकाने से पहले जब उससे उसकी आखरी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उसने उन्हीं का नाम लिया।
तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद गृह सचिव आर के सिंह ने विदेश सचिव राजन मथाई को लिखा कि वह कसाब की मां और परिवार के अन्य सदस्यों को इस बारे में सूचित कर दें, जो पाकिस्तान में हैं। कसाब की इच्छा के अनुरूप अधिकारियों ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के जरिए उनकी मां को कूरियर से पत्र भेजा।
लश्कर-ए-तोएबा के 25 वर्षीय आतंकवादी को बुधवार सुबह पुणे के यरवदा जेल में फांसी दे दी गई। सूत्रों ने बताया कि उसे इस बारे में 12 नवंबर को सूचित किया गया था। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग ने कसाब की फांसी के बारे में पाकिस्तान सरकार को पत्र के जरिए बताया था, लेकिन जब पाकिस्तान सरकार ने उस पत्र को लेने से इंकार कर दिया तो इसे फैक्स के जरिए भेजा गया।
फांसी पर लटकाए जाने से पहले कसाब को काफी पछतावा था, जोकि उसके अंतिम बोल में दिखे। पुणे के जेल में सुबह साढ़े सात बजे फांसी पर लटकाए जाने से कुछ देर पहले पहले कसाब ने कथित तौर पर यरवदा जेल के जेलर से कहा कि उसकी कोई अंतिम इच्छार नहीं है। उसने यह भी कहा, `अल्लावह की कसम, दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा`। कसाब को मुम्बई से पुणे जेल में स्थानांतरित किया गया था। कसाब ने मरने से पहले अपनी कोई इच्छा नहीं बताई। उसका शव पुणे के बाहरी इलाके में स्थित जेल परिसर में ही आज सुबह 9.30 बजे दफना दिया गया।
कसाब को मुंबई पर 2008 में हुए हमले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया था। उसे निचली अदालत ने छह मई 2010 को फांसी की सजा सुनाई, जिसे 21 फरवरी 2011 को बम्बई उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष 29 अगस्त को सजा को बहाल रखा।
कसाब और अन्य हमलावरों ने 26 नवंबर 2008 को नौका से मुंबई में प्रवेश किया। उनके पास मोबाइल फोन, हथगोले और अत्याधुनिक हथियार थे। वह मुंबई में चारों तरफ फैल गए और आलीशान होटलों ताज महल और ओबेरॉय ट्राइडेंट, यहूदी केन्द्र चबाड हाउस और शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को निशाना बनाया।
कसाब को मुंबई पर हुए इस क्रूर आतंकी हमले की चौथी बरसी से ठीक पांच दिन पहले फांसी दी गई है। मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे। (एजेंसी)

Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.