कैश फॉर वोट : कुलकर्णी भी भेजे गए जेल
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कैश फॉर वोट : कुलकर्णी भी भेजे गए जेल

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है.

जी न्‍यूज ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है. नोट के बदले वोट मामले में कोर्ट ने उन्‍हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इससे पहले कुलकर्णी 2008 के नोट के बदले वोट घोटाले में अपनी कथित भूमिका के लिए जारी समन के जवाब में दिल्ली की एक अदालत में पेश हुए और अंतरिम जमानत की मांग की.

उन्होंने दावा किया था कि भ्रष्टाचार को उजागर करने के उद्देश्य से उन्होंने पोल खोलने वाले की भूमिका निभाई. कुलकर्णी ने विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल की अदालत में इस आधार पर अंतरिम जमानत मांगी कि नियमित जमानत के लिए उनकी याचिका इसके समक्ष लंबित है और उन्हें मामले की जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया. उन्होंने अपने वकील महिपाल सिंह के जरिए दायर किए गए आवेदन में कहा मेरी भूमिका सिर्फ पोल खोलने वाले की थी और मेरा मकसद तेजी से फैल रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने का था. उन्होंने तर्क दिया कि किसी ऐसे व्यक्ति को अंतरिम जमानत दिए जाने से इनकार का कोई कारण नहीं है, जिसकी नियमित जमानत याचिका लंबित हो और जिसे जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया हो.

कुलकर्णी ने उल्लेख किया कि उन्‍होंने हमेशा जांच एजेंसी का सहयोग किया. उन्होंने कहा कि जब भी जांच एजेंसी ने मुझे जांच के लिए बुलाया, मैं हाजिर रहा. अब मुझे हिरासत में भेजने की क्या आधारभूत जरूरत है. उनकी अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील राजीव मोहन ने कहा कि इसका फैसला सिर्फ गुण दोष के आधार पर होना चाहिए. मोहन ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील ने अंतरिम जमानत दिए जाने के लिए कोई प्रयोजन नहीं बताया है. कुलकर्णी की कथित भूमिका पर मोहन ने दावा किया कि समूचा षड्यंत्र उस समय शुरू हुआ जब सह आरोपी सुहैल हिन्दुस्तानी ने पहली बार कुलकर्णी से संपर्क किया. अभियोजन के दावों का खंडन करते हुए बचाव पक्ष के वकील सिंह ने कहा कि कुलकर्णी ने पूरे मामले में न तो किसी को धन दिया और न ही किसी से धन लिया. कुलकर्णी के वकील ने कहा कि यदि मेरा इरादा धन को अपनी जेब में रखने का होता तो मैं इसे संसद में नहीं आने देता. वास्तव में यह सौदा केवल एक करोड़ रुपए का नहीं था, बल्कि यह नौ करोड़ रुपए का लेनदेन था. यदि मुझे अवैध धन लेना होता तो मैं आठ करोड़ रुपए अधिक ले सकता था. उन्होंने कहा कि यदि कुलकर्णी का इरादा धन लेने का होता तो वह इस बारे में अपनी पार्टी को सूचित नहीं करते. तर्क-वितर्क के दौरान न्यायाधीश ने आरोप पत्र में शामिल कुछ ही लोगों को गिरफ्तार करने के लिए अभियोजन पक्ष की खिंचाई की. न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन के पास दो-तीन लोगों को गिरफ्तार करने और अन्य को छोड़ देने का कोई उचित कारण नहीं है.

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