टुंडा का बड़ा खुलासा-कराची में ISI की सुरक्षा में है दाऊद

गिरफ्तार आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा ने दावा किया है कि लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर और मुंबई हमले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता जकीउर रहमान लखवी ही आतंकवादी संगठन की कमान संभाल रहा है।

नई दिल्ली : अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के निकट सहयोगी अब्दुल ने पूछताछ में बताया है कि दाऊद कराची में एक सुरक्षित आवास में रहता है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई उसे सुरक्षा मुहैया करा रही है।
दिल्ली पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान टुंडा ने दावा किया कि वह दाऊद से कई बार मिला है।
अधिकारी ने कहा, ‘उसका (टुंडा) दावा है कि दाऊद ने पहली बार उसे 2010 में मिलने के लिए बुलाया था। उसका कहना है कि अंडरवर्ल्ड डॉन कराची में एक सुरक्षित आवास में रहता है और आईएसआई उसे सुरक्षा मुहैया कराती है। उसकी आवाजाही सीमित है और खुफिया एजेंसी उस पर नजर रखती है।’
70 वर्षीय टुंडा ने पुलिस को बताया कि जब वह पाकिस्तान में था तो वह आईएसआई, लश्कर ए तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, इंडियन मुजाहिद्दीन और बब्बर खालसा जैसे कई संगठनों के संपर्क में आया तथा उसने हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर, जकी-उर-रहमान लखवी, दाऊद इब्राहिम और भारत के कई अन्य वांछितों से मुलाकात की।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि 70 वर्षीय टुंडा को सुरक्षा एजेंसियां लश्कर-ए-तैयबा के पूरे भारत में अभियानों के लिए चलता-फिरता इनसाइक्लोपीडिया कहते हैं। पुलिस पूछताछ में टुंडा ने लखवी से अपने मतभेदों के बारे में बताया और उदाहरण दिए कि किस तरह कई वार्तालापों में ये मतभेद उभरे।
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का निकट सहयोगी और भारत के सर्वाधिक वांछितों में शामिल टुंडा को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया। पिछले 19 वर्षों से फरार टुंडा कई देशों को ठिकाना बनाए हुए था।
पूरे भारत में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापकों में शामिल रहे टुंडा को पछतावा है कि वह आतंकवादी संगठन में ऊंचे ओहदे पर नहीं पहुंच सका क्योंकि वर्ष 2000 में बांग्लादेश से पाकिस्तान पहुंचने पर उसे क्षमता गंवा चुकी ताकत करार दिया गया।
उसने दावा किया कि उसे लश्कर-ए-तैयबा के ‘भारत को लहूलुहान’ करने की रणनीति में शामिल नहीं किया गया जिससे वह, उसकी तीन पत्नियां और छह बच्चे सड़क पर आ गए। उसकी पत्नियों में बांग्लादेश की एक किशोरी भी शामिल है। टुंडा ने भारत के कई युवकों को आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ने में मदद की थी।
जीवनयापन के लिए टुंडा को पंजाब के शेखपुरा जिले के मुरीदकी में मरकज उल जमात उल दावा के सामने दो मंजिला भवन दे दिया गया जहां वह इत्र बेचता था। सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र के नागपुर के मोमीनपुरा इलाके में 1985 के दंगों के बाद टुंडा कट्टरपंथी बन गया। उन्होंने कहा कि समझा जाता है कि इसके बाद वह युवकों को सरकार के खिलाफ जिहाद छेड़ने का उपदेश देने लगा।
दिल्ली के निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मा टुंडा किशोरावस्था में गाजियाबाद के नजदीक पिलखुवा चला गया और बाद में वह मुंबई गया जहां उसने कपड़ों को रंगने का व्यवसाय शुरू किया। इससे पहले गाजियाबाद में 1980 के दशक में ‘हकीम’ का उसका काम सफल नहीं रहा।
टुंडा ने जांचकर्ताओं को बताया कि शुरू में वह तंजीम इसलाहुल मुसलमीन (टीआईएम) यानी मुसलमानों के उत्थान का संगठन से जुड़ा। इसके बाद वह जमात अहले हदीस में विश्वास करने लगा जिसके सिद्धांतों पर लश्कर-ए-तैयबा चलता है।
बांग्लादेश फरार हो जाने के बाद टुंडा ने 56 वर्ष की उम्र में 18 वर्ष की लड़की से शादी की। सूत्रों ने कहा कि उससे पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का संयुक्त दल पूछताछ कर रहा है। उससे इंडियन मुजाहिद्दीन के संस्थापक आमिर रजा के साथ मुलाकात के बारे में पूछताछ की जाएगी। (एजेंसी)

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