स्टिंग ऑपरेशन सोची-समझी रणनीति के तहत : अखिलेश
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स्टिंग ऑपरेशन सोची-समझी रणनीति के तहत : अखिलेश

अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर दंगों के लिए भाजपा पर निशाना साधते हुए लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उस पर सोची समझी साजिश के तहत माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया है और कहा है कि जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर दंगों के लिए भाजपा पर निशाना साधते हुए लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उस पर सोची समझी साजिश के तहत माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया है और कहा है कि दंगों के लिए जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी।
विधानसभा में आज विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से कार्यस्थगन सूचनाओं पर हुई चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुजफ्फरनगर में जो हुआ है सोची समझी साजिश के तहत किया गया है और एक दल ने यह सब राजनीतिक लाभ के लिए किया है।’ आक्रामक मूड में दिख रहे अखिलेश ने कहा, ‘भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ा है और कुछ लोगों की इसमें सक्रिय भूमिका रही है।’ मुख्यमंत्री ने भाजपा को सीधे निशाने पर लेते हुए सवाल किया कि क्या भाजपा के लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया के जरिये फर्जी और पुरानी वीडियो क्लिपिंग तथा एसएमएस नहीं चलाये।
उन्होंने यह भी कहा, ‘क्या गारंटी है कि फिर वही माहौल बनाने की कोशिश नहीं की जाएगी।’ अखिलेश ने कहा कि सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी, निष्पक्ष कार्रवाई होगी, मगर जो दोषी पाए जाएंगे उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, ‘दंगों की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर दिया गया है और उसकी रिपोर्ट में दोषी पाये गये सभी अधिकारियों के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।’ रविवार को दंगा पीड़ित लोगों से मिलने मुजफ्फरनगर गए अखिलेश ने कहा, ‘दोनों समुदायों के लोग दंगों से पीड़ित हैं और उनके घर आदि भी जलाए गए हैं।’
मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरनगर दंगों के सिलसिले में एक समाचार चैनल के कथित स्टिंग आपरेशन में संसदीय कार्यमंत्री आजम खां द्वारा अधिकारियों को कार्रवाई नहीं करने के निर्देश देने का आरोप को खारिज करते हुए कहा कि सबको पता है कि कैसे ‘कट पेस्ट करके स्टिंग आपरेशन’ किया जाता है। अखिलेश ने प्रतिपक्षी दलों पर अधिकारियों के तबादलों और निलंबन को बेवजह राजनीतिक तूल देने का आरोप लगाया। उन्होंने दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन प्रकरण की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘एक एसडीएम को हटा दिया तो उसे साजिश, प्रताड़ना और न जाने क्या-क्या कह दिया गया मानो अधिकारियों का तबादला कोई नई बात हो।’
इससे पूर्व चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में प्रतिपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुजफ्फरनगर दंगों को भाजपा और सपा की सांठगांठ का नतीजा बताते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की। मौर्य ने कहा कि 27 अगस्त को जब कवाल गांव में छेड़खानी की घटना के बाद दो समुदायों के तीन युवकों की हत्या हुई थी तभी यदि प्रदेश सरकार ने तत्काल कार्रवाई की होती तो सात से 10 सितंबर तक जिले और आसपास के क्षेत्रों में जो सांप्रदायिक हिंसा हुई, उसे रोका जा सकता था।
बसपा नेता ने कहा कि इन दंगों में भाजपा के लगभग एक दर्जन विधायकों और नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है, मगर अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। इससे दोनों दलों में सांठगांठ का अंदेशा लगता है। नेता प्रतिपक्ष ने दंगों में मारे गये पत्रकार के परिवार को सरकार की तरफ से 25 लाख तथा अन्य मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की। (एजेंसी)

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