युसूफजई को 2014 में सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार पाने का गौरव मिला. उससे पहले लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने के कारण पाकिस्तान में तालिबान ने उनपर हमला किया था, जिसमें वह बेहद गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. हमले के बाद से ही वह और उनका परिवार इंग्लैंड में रह रहा है.
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कैम्ब्रिज: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई को लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय सम्मानित करेगा. हार्वर्ड के केनेडी स्कूल ने बताया कि छह दिसंबर को आयोजित होने वाले एक समारोह में युसूफजई को 2018 का ग्लेट्स्मैन पुरस्कार दिया जाएगा. युसूफजई को 2014 में सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार पाने का गौरव मिला. उससे पहले लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने के कारण पाकिस्तान में तालिबान ने उनपर हमला किया था, जिसमें वह बेहद गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. हमले के बाद से ही वह और उनका परिवार इंग्लैंड में रह रहा है.
फिलहाल 20 वर्षीय युसूफजई इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की छात्रा हैं. ग्लेट्स्मैन अवार्ड के तहत दुनिया भर में लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए काम करने वाले को 1,25,000 डॉलर की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाती है.
सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई का कहना है कि लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने के तालिबान के सारे प्रयास उनपर गोली चलाने की घटना से ही विफल हुए. मलाला ने यहां मंगलवार को प्रौद्योगिकी क्षेत्र के हजारों पेशेवरों को संबोधित करते हुए कहा, "इसका ही नतीजा है कि आज दुनियाभर में लाखों लोग खुलकर बोल रहे हैं और लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने वाली ताकतों का विरोध कर रहे हैं."
डेल टेक्नोलोजीज की सहायक कंपनी वीएमवेयर की ओर से आयोजित वीएमवर्ल्ड 2018 सम्मेलन में मलाला को मौत के मुंह से बच निकलकर दुनियाभर में बालिका शिक्षा की मु़खर आवाज बनने के अपने अनुभव बताने के लिए आमंत्रित किया गया था.
सुन्नी इस्लामिक कट्टरपंथी ताकत के फरमान को मानने से इनकार कर देने पर तालिबान गुट के एक सदस्य ने 2012 में मलाला के सिर में गोली मार दी थी. इस कट्टरपंथी ताकत का तालिबान में बोलबाला था. मलाला का साक्षात्कार वीएमवेयर के मुख्य संचालन अधिकारी संजय पूनेन ने लिया.
पाकिस्तान की स्वात घाटी में पैदा हुई मलाला ने कहा कि वह सामान्य जिदगी बसर कर रही रही हैं. मलाला ने कहा कि वह खुदकिस्मत हैं कि उनके पिता को उनके ऊपर काफी विश्वास है और वह बालिका शिक्षा के हिमायती हैं.