भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है. देश भर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है.
देश भर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है. इस साल चतुर्थी का त्योहार 13 सितंबर 2018 को पड़ रहा है. अगर इस दिन की पूजा सही समय और मुहूर्त पर की जाए तो हर मनोकामना की पूर्ति होता है.
दस दिन तक चलने वाले गणेश चतुर्थी त्योहार को पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. मूसक पर सवार बुद्धि और समृद्धि के देव को लड्डू का भोग बहुत पसंद है. शिव शंभू और मां पार्वती के पुत्र गणेश प्रथम निवेदन में ही भक्त की मनोकामनाओं को पू्र्ण करते हैं. भगवान गणेश के जीवन की ये बातें सभी को आमतौर पर पता ही हैं लेकिन प्रभु से जुड़ी भी कई बातें हैं जिन्हें शायद ही आप जानते हों.
गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में काफी धूमधाम से मनाई जाती है. 1893 में लोकमान्य तिलक ने इस समारोह को निजी से सामूहिक आयोजन में तब्दील कर दिया. उनका उद्देश्य जात-पात के फासलों को मिटाने का था और यह बात अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन को बढ़ावा देने के भी बहुत काम आई.
मान्यता है कि गणेश जी का वाहन चूहा है लेकिन अगर मुद्गल पुराण की मानें तो शेर, मोर, सांप के अलावा जैन पुस्तकों में गणेश जी के वाहन हाथी, भेंडा और कछुआ भी माना गया है.
पुराने लोगों की मानें तो पुराने जमाने में भारतीय कारोबारी सफर के दौरान अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति साथ ले जाया करते थे और इस तरह दूसरे देशों में भी बप्पा का आगमन हुआ. जापानी उन्हें कांगितेन के नाम से जानते हैं और इसके अलावा थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, नेपाल और चीन में भी इन्हें अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है.
उत्तर भारत में कहा जाता है कि महाभारत वेद व्यास ने प्रभु को सुनाई थी और भगवान गणेश ने पन्नों पर उसे लिखा था. भारत में लिखित विधा की तुलना में किस्सागोई तभी से चली आ रही है.
इस साल चतुर्थी तिथि गुरुवार 13 सितंबर को पूरे दिन रहेगी इसलिए गणेश जन्मोत्सव की पूजा और स्थापना इस दिन कभी भी कर सकते हैं.
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