मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस से 36 नए राफेल फाइटर जेट खरीदने की डील की थी. ये सौदा लगभग 60,145 करोड़ (7.87 बिलियन यूरो) का हुआ था.
साल 2016 के सितंबर महीने में भारत और फ्रांस ने राफेल लड़ाकू विमानों के लिए करीब 7.87 अरब यूरो के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. नवीनतम मिसाइलों और शस्त्र प्रणालियों से लैस एवं भारत के अनुकूल कई रूपान्तरण वाले इन लड़ाकू विमानों से भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए इस सौदे पर हस्ताक्षर रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और उनके फ्रांसीसी समकक्ष ने किये थे. एक राफेल लड़ाकू विमान की कीमत लगभग 1600 करोड़ रुपये होती है.
बता दें कि पहले भारत को फ्रांस से 126 राफेल विमानों का समझौता हुआ था. यूपीए के शासन के समय में समझौते में तय हुआ था कि भारत राफेल के 18 विमान खरीदेगा और 108 विमान बेंगलुरु हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में एसेम्बल किये जाएंगे. लेकिन यह समझौता पूरा नहीं हो पाया.
भारतीय जनता पार्टी की सरकार में यह भी समझौता हुआ किया गया है कि सभी राफेल सीधे फ्रांस से लिये जाएंगे. इन्हें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से नहीं बनवाया जाएगा
कांग्रेस ने मोदी सरकार के अलावा रिलायंस प्रमुख अनिल अंबानी को भी घेरे में लेते हुए आरोप लगाए हैं. बता दें कि साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ रिलायंस प्रमुख अनुल अंबानी अपने कुछ अधिकारियों के साथ फ्रांस गये थे. उन्होंने राफेल बनानी वाली कंपनी के अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की थी.
इसके बाद बीबीसी की एक खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मार्च 2015 में अंबानी ने रिलायंस डिफेंस का रजिस्ट्रेशन करवाया. इसके मात्र दो हफ्ते बाद ही यूपीए सरकार की 600 करोड़ की राफेल डील को 1500 करोड़ की डील में बदल दिया गया.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी सरकार के कारण फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में देश को 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. राहुल ने कहा था कि संप्रग ने राफेल के साथ प्रति विमान 526 करोड़ रुपये में तय किए थे, लेकिन मोदीजी ने प्रति विमान 1,670 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इससे 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ.
राफेल सौदे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा रिलायंस ग्रुप को निशाना बनाए जाने पर रिलायंस समूह के चेयरमेन अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को एक और पत्र लिख कर कहा है कि उनके प्रति दुर्भावना रखने वाले कुछ निहित स्वार्थी तत्वों और कार्पोरेट प्रतिद्वंद्वियों ने इस सौदे पर कांग्रेस पार्टी को गलत, भ्रामक और भटकाने वाली जानकारी दे रहे हैं. अंबानी ने ताजा पत्र में कहा है कि भारत जो 36 राफेल जेट विमान फ्रांस से खरीद रहा है उन विमानों के एक रुपये मूल्य के एक भी कलपुर्जे का विनिर्माण उनके समूह द्वारा नहीं किया जाएगा.
डिफेंस वेबसाइट जेन्स के अनुसार साल 2015 में भारत के साथ कतर ने भी फ्रांस से राफेल विमान खरीदने के लिए समझौता किया था. 24 राफेल विमानों के लिए कतर ने समझौता 7.02 बिलियन डॉलर में किया गया. स्ट्रेटजी पेज की एक रिपोर्ट के अनुसार कतर को एक राफेल लगभग 108 मिलियन डॉलर यानी करीब 693 करोड़ रुपये का मिला. वहीं भारत को इन विमानों के लिए कहीं ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है.
वहीं कांग्रेस लगातार मोदी सरकार से सवाल कर रही है कि साल 2016 में फ्रांस में हुए समझौते में सुरक्षा पर बनी कैबिनेट कमेटी की मंजूरी नहीं ली गई. इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. नवंबर साल 2017 में रक्षा मंत्री ने कहा था कि 36 राफेल विमान इमरजेंसी के लिए तत्काल रूप से लिए गये. अगर ऐसा था तो समझौते के इतने समय बाद भी एक भी राफेल विमान क्यों नहीं मिला है?
बता दें कि राफेल लड़ाकू विमान की रफ्तार 1.8 मैक है जो कि लगभग 2020 किलोमीटर प्रतिघंटा के हिसाब से है. इतनी रफ्तार से राफेल भारत की राजधानी दिल्ली से पाकिस्तान के क्वेटा जाकर वापस सिर्फ 1 घंटे में आ सकता है. इसकी ऊंचाई 5.30 मीटर, लंबाई 15.30 मीटर है. राफेल विमान में परमाणु मिसाइल की डिलीवरी करने की क्षमता भी होती है. इस लड़ाकू विमान में दुनिया के सबसे अधिक शक्तिशाली एवं सुविधाजनक हथियारों को प्रयोग करने की क्षमता है. भारतीय वायुसेना के पास अभी तक कुल 51 मिराज 2000 लड़ाकू विमान उपलब्ध हैं.
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