अरुण जेटली ने क्‍यों कहा कि इंदिरा गांधी ने पहले ही इमरजेंसी लगाने की योजना तैयार कर ली थी?
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अरुण जेटली ने क्‍यों कहा कि इंदिरा गांधी ने पहले ही इमरजेंसी लगाने की योजना तैयार कर ली थी?

अपनी बात के पक्ष में अरुण जेटली ने वरिष्‍ठ पत्रकार कूमी कपूर की आपातकाल पर 2015 में प्रकाशित किताब का हवाला दिया है.

अरुण जेटली, इमरजेंसी रिविजिटेड के नाम से तीन किस्‍तों की सीरीज लिख रहे हैं. 25 जून को दूसरी किस्‍त लिखी है.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: देश के लोकतंत्र में काला अध्‍याय माने जाने वाले आपातकाल (इमरजेंसी) के 43 साल पूरे होने पर केंद्रीय मंत्री और अरुण जेटली ने फेसबुक पर पोस्‍ट लिखकर कहा है कि उनका मानना है कि इंदिरा गांधी का आपातकाल का फैसला बेहद सुनियोजित था. इसकी तैयारी लागू करने से छह महीने पहले से ही चल रही थी. 24 जून से शुरू अपनी 'इमरजेंसी रिविजिटेड' सीरीज की दूसरी किस्‍त में 25 जून को जेटली ने सवालिया लहजे में पूछा कि क्‍या इमरजेंसी घोषित करने की पटकथा पहले ही लिख ली गई थी?

  1. 25-26 जून, 1975 को आपातकाल घोषित हुआ
  2. इसे लोकतंत्र का सबसे विवादित दौर कहा जाता है
  3. 21 माह के उस दौर में लोगों के अधिकारों पर अंकुश लगाए गए

अपनी बात के पक्ष में अरुण जेटली ने वरिष्‍ठ पत्रकार कूमी कपूर की आपातकाल पर 2015 में प्रकाशित किताब का हवाला दिया है. उनके मुताबिक इस किताब में सिद्धार्थ शंकर रे के कुछ हस्‍तलिखित दस्‍तावेज दर्ज हैं. आठ जनवरी, 1975 के इन दस्‍तावेजों में सिद्धार्थ शंकर ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने उन संभावित लोगों की सूची पेश की थी, जिनको गिरफ्तार किया जाना था और इसके साथ ही अन्‍य जरूरी कदमों का ब्‍यौरा भी बताया गया था.

अरुण जेटली ने इसके साथ ही लिखा कि लगभग उसी दौर में जनवरी, 1975 में 'Motherland' अखबार के संपादक केआर मलकानी ने पहले पेज पर एक ज्‍योतिषीय भविष्‍यवाणी प्रकाशित की थी. इस आर्टिकल में जनसंघ सांसद और भविष्‍यवेत्‍ता वसंत कुमार पंडित ने इमरजेंसी लगाए जाने का अनुमान व्‍यक्‍त किया था. उसी में यह भी संभावना व्‍यक्‍त की गई थी कि पूरे विपक्ष को इमरजेंसी लगाए जाने के बाद जेल में बंद कर दिया जाएगा. मीडिया पर सेंशरशिप लगाई जाएगी और भारत तानाशाही राज्‍य की तरफ बढ़ जाएगा. अरुण जेटली ने कहा कि जब ये प्रकाशित हुआ तो इसको महज ज्‍योतिषीय भविष्‍यवाणी मानना मुश्किल साबित हुआ.

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अरुण जेटली ने आगे लिखा कि इमरजेंसी लगने के बाद मलकानी भी उनके साथ ही उसी जेल में बंद हो गए. उस संस्‍मरण को याद करते हुए अरुण जेटली ने लिखा, ''मलकानी ने मुझे बताया कि जब 26 जून की मध्‍य रात्रि को उनको पकड़ा गया तो बाकियों को तो सीधे रोहतक जेल भेजा गया लेकिन उनको हरियाणा के एक गेस्‍ट हाउस में रखा गया. उसके तीन दिन बाद उनको जेल भेजा गया.''

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25-26 जून, 1975 की मध्‍य रात्रि को देश में आपातकाल लगा दिया गया और विपक्षी नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया.(फाइल फोटो)

अरुण जेटली ने कहा कि दरअसल उन तीन दिनों में खुफिया एजेंसियां लगातार मलकानी से यह पूछती रहीं कि आखिर उन्‍होंने किस आधार पर अनुमान लगाया कि देश में इमरजेंसी लगने वाली है. एजेंसियों के मुताबिक सरकार के भीतर से ये एक बहुत बड़ी लीक थी और वे इस मामले की जांच कर रहे थे. हालांकि मलकानी लगातार यही कहते रहे कि ये महज भविष्‍यवाणी अनुमान ही था.

इसी आधार पर अरुण जेटली ने कहा, ''समग्र रूप से इन्‍हीं तथ्‍यों के आधार पर मुझे लगता है कि जनवरी, 1975 में इमरजेंसी लगाने की पटकथा तैयार कर ली गई थी. हालांकि उसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी के पद से जुड़ी अनिश्चितता उत्‍पन्‍न होने के बाद इसे तात्‍कालिक रूप से लागू करने का फैसला किया गया.''

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जब आपातकाल के खिलाफ अरुण जेटली बने पहले सत्‍याग्रही
अरुण जेटली ने आपातकाल के बारे में ''इमरजेंसी रिविजिटेड'' शीर्षक से तीन भागों वाली सीरीज का पहला हिस्सा 24 जून को फेसबुक पर लिखा. इसकी अंतिम किस्‍त 26 जून को प्रकाशित की जाएगी. पहली किस्‍त में जेटली ने कहा कि वह इंदिरा गांधी सरकार के कठोर कदम के खिलाफ पहले सत्याग्रही बने और 26 जून 1975 को विरोध में बैठक आयोजित करने पर उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था. 25-26 जून, 1975 की मध्य रात्रि में विपक्ष के कई प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था.

उन्होंने कहा, ''मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन का नेतृत्व किया और हमने आपातकाल की प्रतिमा जलाई और जो कुछ हो रहा था, उसके खिलाफ मैंने भाषण दिया. बड़ी संख्या में पुलिस आई थी. मुझे आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था कानून के तहत गिरफ्तार किया गया और दिल्ली की तिहाड़ जेल ले जाया गया था.''

उन्होंने कहा, ''इस प्रकार मुझे 26 जून 1975 की सुबह एकमात्र विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का गौरव मिला और मैं आपातकाल के खिलाफ पहला सत्याग्रही बन गया. मुझे यह महसूस नहीं हुआ कि मैं 22 साल की उम्र में उन घटनाओं में शामिल हो रहा था जो इतिहास का हिस्सा बनने जा रही थी. मेरे लिए, इस घटना ने मेरे जीवन का भविष्य बदल दिया. शाम तक, मैं तिहाड़ जेल में मीसा बंदी के तौर पर बंद कर दिया गया था.''

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जेटली ने कहा कि वर्ष 1971 और 1972 में इंदिरा गांधी अपने राजनीतिक करियर की बुलंदियों पर थीं और उन्होंने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विपक्षी पार्टी के महागठबंधन को चुनौती दी थी. जेटली ने लिखा है, "उन्होंने 1971 के आम चुनाव में बेहतरीन जीत शामिल की. वह अगले पांच साल तक राजनीतिक सत्ता का मुख्य केंद्र थीं. अपनी पार्टी में उन्हें कोई चुनौती नहीं थी.''

उन्होंने कहा कि 1960 और 70 के दशक में सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि दर सिर्फ 3.5 प्रतिशत थी. 1974 में मुद्रास्फीति 20.2 प्रतिशत तक और 1975 में 25.2 प्रतिशत तक पहुंच गई. श्रम कानूनों को और अधिक कठोर बना दिया गया और इससे लगभग आर्थिक पतन हो गया.

उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर बेरोजगारी थी और अभूतपूर्व महंगाई आई. अर्थव्यवस्था में निवेश पीछे रह गया. इस बीच फेरा लागू किया गया जिससे चीजें और खराब हो गयीं. उन्होंने कहा कि 1975 और 1976 में विदेशी मुद्रा संसाधन सिर्फ 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर था.

जेटली ने कहा, "श्रीमती इंदिरा गांधी की राजनीति की त्रासदी यह थी कि उन्होंने ठोस और सतत नीतियों के मुकाबले लोकप्रिय नारों को तरजीह दी. केंद्र और राज्यों में भारी जनादेश के साथ सरकार उसी आर्थिक दिशा में बढ़ती रही जिसका प्रयोग 1960 के दशक के अंत में उन्होंने किया था.'' उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी का मानना था कि भारत की धीमी प्रगति का कारण तस्करी और आर्थिक अपराध हैं.

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