सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने SC/ST अधिनियम में किए गए संशोधनों को सही बताया
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने SC/ST अधिनियम में किए गए संशोधनों को सही बताया

इस कानून के तहत आरोपी की फौरन गिरफ्तारी के प्रावधान को कमजोर करने के शीर्ष न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए केंद्र ने अधिनियम में संशोधन किया था. सरकार ने कहा कि संसद के पास इस तरह का संशोधन करने की शक्तियां हैं. संसद ने इस कानून के सिलसिले में शीर्ष न्यायालय के 20 मार्च के आदेश को पलटने के लिए नौ अगस्त को विधेयक पारित किया था.

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने SC/ST अधिनियम में किए गए संशोधनों को सही बताया

नई दिल्ली : केंद्र ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम में किए गए संशोधनों को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष न्यायोचित ठहराया है. इस कानून के तहत आरोपी की फौरन गिरफ्तारी के प्रावधान को कमजोर करने के शीर्ष न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए केंद्र ने अधिनियम में संशोधन किया था. सरकार ने कहा कि संसद के पास इस तरह का संशोधन करने की शक्तियां हैं. संसद ने इस कानून के सिलसिले में शीर्ष न्यायालय के 20 मार्च के आदेश को पलटने के लिए नौ अगस्त को विधेयक पारित किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए थे और कहा था कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में किसी लोकसेवक की गिरफ्तारी तभी होगी, जब सक्षम प्राधिकार से इसकी इजाजत मिलेगी. अधिनियम में किए गए संशोधन एससी/एसटी समुदाय के लोगों के खिलाफ अत्याचार के आरोपी व्यक्ति की अग्रिम जमानत के प्रावधान से इनकार करता है.

बीजेपी का फिर से मंदिर के लिए आंदोलन, अब केरल में शुरू करेगी रथयात्रा!

केंद्र ने न्यायालय में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा है कि यह कहना गलत होगा कि झूठे मामलों और कानून के दुरूपयोग के चलते इस अधिनियम के तहत मामलों में बरी होने की दर अधिक है. यह हलफनामा शीर्ष न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में दाखिल किया गया है. अधिनियम में किए गए नये संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह जवाब न्यायालय में दाखिल किया गया है.

सरकार ने आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि एससी/एसटी समुदायों के सदस्यों पर होने वाले अत्याचार में कोई कमी नहीं आई है. अधिनियम के तहत दर्ज किए गए मामलों की संख्या बताते हुए केंद्र ने कहा कि 2014 में 47,124 मामले दर्ज किए गए. वहीं, 2015 में 44,839 और 2016 में 47,338 मामले दर्ज किए गए. केंद्र ने बताया कि 2014 में दोषसिद्धि की दर 28. 8 प्रतिशत, 2015 में 25. 8 प्रतिशत और 2016 में 24. 9 प्रतिशत रही.

राजस्थान में अरावली अवैध खनन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई

सरकार ने इस कानून के तहत दर्ज मामलों में आरोपियों के बरी होने के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि इसके पीछे प्राथमिकी दर्ज करने में देर, ठोस सबूत का अभाव और गवाहों का मुकरना आदि वजह हैं. हलफनामे में कहा गया है कि इसलिए यह कहना गुमराह करने वाला है कि आरोपी सिर्फ झूठे मामलों के होने या एससी/एसटी कानून के दुरूपयोग के चलते बरी हुए. शीर्ष न्यायालय को कई सारी याचिकाएं प्राप्त हुई हैं, जिनमें आरोप लगाया गया है कि संसद के दोनों सदनों ने कानून में संशोधन करने का मनमाना फैसला किया और पिछले प्रावधानों को इस तरह से बहाल कर दिया कि बेकसूर व्यक्ति (आरोपी) अग्रिम जमानत हासिल नहीं कर सके. न्यायालय द्वारा इस विषय पर अगले महीने सुनवाई करने का कार्यक्रम है.

Trending news