शिवसेना-टीडीपी के बाद अब बीजेपी की इस सहयोगी पार्टी ने दी साथ छोड़ने की धमकी
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शिवसेना-टीडीपी के बाद अब बीजेपी की इस सहयोगी पार्टी ने दी साथ छोड़ने की धमकी

शिवसेना पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ेगी.

जीएफपी ने कहा कि अगर खनन गतिविधियां तत्काल बहाल नहीं हुईं तो बीजेपी को ‘मुसीबत’ का सामना करना पड़ेगा..(फोटो साभार: Facebook)

पणजी: बीजेपी के खिलाफ पूरे देश की विपक्षी पार्टियां महामोर्चा बनाने की कवायद में जुटी हैं. शिवसेना पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ेगी. इसी बीच, गोवा की बीजेपी सरकार में शामिल गोवा फॉर्वर्ड पार्टी (जीएफपी) ने उसका साथ छोड़ने की धमकी दी है. ऐसे समय जब बीजेपी के एक के बाद एक कई सहयोगी साथ छोड़ रहे हैं, जीएफपी की धमकी बहुत मायने नहीं रख सकती. जीएफपी के इस बयान के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 

गोवा फॉर्वर्ड पार्टी ने कहा है कि अगर बीजेपी राज्य के खनन संकट को दूर करने में नाकाम रहती है तो वह अगले लोकसभा चुनाव में वह भगवा दल का समर्थन नहीं करेगी. जीएफपी ने कहा कि अगर खनन गतिविधियां तत्काल बहाल नहीं हुईं तो बीजेपी को ‘मुसीबत’ का सामना करना पड़ेगा. एक संवाददाता सम्मेलन में जीएफपी अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने मनोहर पर्रिकर नीत राज्य सरकार की स्थिरता के लिए अपनी पार्टी को श्रेय दिया. 

उन्होंने केंद्र सरकार को इस मामले का समाधान तत्काल समाधान करना चाहिए क्योंकि इस उद्योग पर आश्रित लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा, "अगर बीजेपी राज्य के खनन संकट को दूर करने में नाकाम रहती है तो वह अगले लोकसभा चुनाव में वह भगवा दल का समर्थन नहीं करेगी. हमें गोवा के और यहां के लोगों के भविष्य के बारे में सोचने की जरूरत है. हम खनन उद्योग से प्रभावित लोगों के प्रति प्रतिबद्ध हैं."

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद राज्य में 16 मार्च से ही खनन गतिविधियां ठप हैं. 

उन्होंने कहा कि चूंकि बीजेपी की सरकार राज्य और केंद्र में है इसलिए इस अध्यादेश लाकर इसका बेहतर समाधान निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा, "हम एनडीए का हिस्सा हैं और हम कह चुके हैं कि हम बीजेपी के साथ हैं लेकिन अगर इस मुद्दे का हल नहीं निकाला गया तो हम अपने रुख पर फिर से विचार करेंगे. हमने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विनय तेंदुलकर को अपने रुख से अवगत करा दिया है." सरदेसाई ने कहा, "मुझे लगता था कि कर्नाटक का मामला सुलटने के बाद खनन मामले को हल करने के लिए केंद्र सरकार कुछ कदम उठाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ." 
उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा कि हमें मालूम है कि गोवा की बीजेपी सरकार केवल हमारी पार्टी की बदौलत स्थिर है. 

 

डीपी भी छोड़ चुकी है बीजेपी का साथ
कुछ माह पहले ही तेलगूदेशम पार्टी ने आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से मोदी सरकार के इनकार करने उसका साथ छोड़ दिया था. तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने 7 मार्च की रात केन्द्र की राजग सरकार से हटने का फैसला किया था और मोदी सरकार में शामिल अपने दो मंत्रियों से 8 मार्च को इस्तीफा देने को कहा था. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने तब कहा था कि टीडीपी ने‘‘ राज्य के हित में दर्दभरा फैसला’’ किया क्योंकि उसके पास‘‘ कोई अन्य विकल्प’’ नहीं था.  

गोवा विधानसभा की दलीय स्थिति पर एक नजर
40 सदस्यीय वाली गोवा विधानसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. उसके 16 विधायक हैं. बीजेपी के पास 14 विधायक हैं. महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा फॉर्वर्ड पार्टी (जीएफपी) के पास तीन-तीन विधायक हैं. वहीं एनसीपी के पास एक विधायक है. जबकि तीन निर्दलीय विधायक हैं. गोवा फॉर्वर्ड की नाराजगी बीजेपी के लिए परेशानी बन सकती है.बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में बीजेपी अपनी इस सहयोगी पार्टी को नाराज नहीं करना चाहेगी. अब देखना होगा कि पार्टी इस मामले का हल कैसे निकालती है.

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