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नई दिल्ली: इस बार होली (Holi 2021) पर देवगुरु धनु राशि (Sagittarius) में और शनि मकर राशि (Capricorn) में रहेंगे. इससे पहले ग्रहों का यह संयोग (Rare coincidence) 03 मार्च 1511 में बना था. ज्योतिषविद भारत ज्ञान भूषण कहते हैं कि एक ओर गुरु बृहस्पति जहां ज्ञान, संतान, गुरु, धन-संपत्ति के प्रतिनिधि हैं तो वहीं शनि न्याय के देवता हैं. शनि का फल व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार मिलता है. अगर व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो शनि अच्छे फल देते हैं और बुरे कार्य करता है तो शनि उसे विभिन्न रूप से दंडित करते हैं. होली पर इन दोनों ग्रहों की स्थिति किसी शुभ योग से कम नहीं है. ज्योतिषाचार्य पंडित देवस्य मिश्र के अनुसार इन शुभ मुहूर्त में होलिका पूजन विशेष फलदाई रहेगा.
भद्रा अवधि में शुभ योग- रविवार की सुबह 10 बजकर 16 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक.
भद्रा पश्चात लाभामृत योग- दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से शाम 06 बजे तक.
होलिका दहन पूजन कुल अवधि- शाम 06 बजकर 22 मिनट से रात 11 बजकर 18 मिनट तक.
शुभ मुहूर्त- शाम 06 बजकर 22 मिनट से रात 08 बजकर 52 मिनट तक.
प्रदोष काल विशेष मंगल मुहूर्त- शाम 06 बजकर 22 मिनट से शाम 07 बजकर 10 मिनट तक.
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इस बार होलिका दहन के दौरान भद्रा नहीं रहेंगे. होली वाले दिन रविवार दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक भद्रा उपस्थित रहेगी. इसलिए दोपहर 10 बजकर 10 मिनट होने के बाद ही होली पूजन करना श्रेष्ठ होगा. अगर विशेष रूप से होलिका दहन के मुहूर्त की बात करें तो इस बार शाम 06 बजकर 22 मिनट से रात 08 बजकर 52 मिनट के बीच कन्या लग्न में होली दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा. भद्रा में होलिका दहन वर्जित माना गया है.
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