राम आज रावण दहन करके समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाता है.
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नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र के नौ दिन बाद दशमी को पूरे देश में बुराई पर अच्छाई का प्रतीक मनाते हुए दशहरा का त्योहार मनाया जाता है. राम आज रावण दहन करके समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाता है. वहीं मां दुर्गा को भी विसर्जन कर उनके धाम वापस जाने का आग्रह किया जाता है और इस मौके पर बंगाल के लोग जमकर सिंदूर खेलते हैं. दशमी के दिन बंगाल में सिंदूर खेलने की परंपरा है और इसे सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है.
सिंदूर खेला का महत्व
सिंदूर खेला को लेकर मान्यताएं हैं कि दशमी के दिन सिंदूर खेला करने से सुहागनों के पतियों की आयु लंबी होती है. वहीं ये भी मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा दस दिन के लिए अपने मायके आती हैं. नवरात्रि पर जिस तरह लड़की के मायके आने पर उसकी सेवा की जाती है, उसी तरह मां दुर्गा की भी खूब सेवा की जाती है.
कानपुर में है रावण का मंदिर, सिर्फ दशहरे के दिन कुछ घंटों के लिए खुलते हैं पट
Women in Delhi's CR Park participate in Sindur Khela on the occasion of #Vijayadashami. pic.twitter.com/hL8co80FfM
— ANI (@ANI) October 19, 2018
कुंवारी लड़कियां भी खेलती हैं सिंदूर
सिंदूर खेला की रस्म केवल शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होती है लेकिन कुंवारी लड़कियां भी अब इस रस्म को निभाती हैं ताकि उन्हें अच्छा और मनपसंद वर मिल सके.