कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला पर्व करवा चौथ भारत में सौभाग्यवती महिलाओं का प्रमुख त्योहार है.
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नई दिल्ली: करवा चौथ एक ऐसा त्योहार जो पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है. वो त्योहार जो प्यार और विश्वास का प्रतीक है. हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. कार्तिक मास की चतुर्थी जिस रात रहती है, उसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाता है. आज (27 अक्टूबर) ये त्योहार हर्षोल्लास देशभर में ये त्योहार मनाया जा रहा है. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला पर्व करवा चौथ भारत में सौभाग्यवती महिलाओं का प्रमुख त्योहार है.
क्या होता है करवा चौथ
ये व्रत सुबह सूर्योदय से पूर्व प्रात: 4 बजे प्रारंभ होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद पूर्ण होता है. किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की स्त्री को इस व्रत को करने का अधिकार है. अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना से स्त्रियां इस व्रत को करती हैं.
भगवान गणेश की होती है विशेष पूजा
इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है. करवाचौथ में भी संकष्टी या गणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद भोजन करने का विधान है.
व्रत का महत्व
करवा चौथ व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है. ऐसा मत है कि करवा चौथ का व्रत करके उसकी कथा सुनने से विवाहित महिलाओं के सुहाग की रक्षा होती है और परिवार में सुख, शांति एवम् समृद्धि आती है. महाभारत में श्री कृष्ण ने भी करवा चौथ के महात्म्य के बारे में बताया है. इस बारे में एक कथा भी सुनार्इ जाती है. इस कथा के मुताबिक, कृष्ण जी से करवा चौथ की महिमा को समझ कर द्रौपदी ने इस व्रत को रखा, जिसके फलरूप ही अर्जुन सहित पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों सेना को पराजित कर विजय हासिल की थी.
छलनी का क्या है महत्व
करवा चौथ के दिन छलनी का काफी महत्व होता है. पूजा की थाली में महिलाएं सभी सामानों के साथ छलनी को भी जगह देती है. दरअसल, करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी से देखकर पूरा करती हैं. इस छलनी में शादी-शुदा महिलाएं दीपक रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति का चेहरा इसी छलनी से देखती है. धूप-दीप करने के बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा कराते हैं. इस पूरी प्रक्रिया की एक खास वजह भी है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चंद्रमा को लंबी उम्र का वरदान भी हासिल है.