शरद पूर्णिमा का है खास महत्व, जानें क्या है इससे जुड़ी मान्यता और पूजा का शुभ मुहूर्त
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शरद पूर्णिमा का है खास महत्व, जानें क्या है इससे जुड़ी मान्यता और पूजा का शुभ मुहूर्त

मान्‍यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है. दरअसल, हिन्‍दू धर्म में मनुष्‍य के एक-एक गुण को किसी न किसी कला से जोड़कर देखा जाता है.

मान्‍यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:  हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व होता है. यह पूर्णिमा बेहद खास माना जाता है और काफी लोकप्रिय भी है. मान्‍यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है. दरअसल, हिन्‍दू धर्म में मनुष्‍य के एक-एक गुण को किसी न किसी कला से जोड़कर देखा जाता है.

माना जाता है कि 16 कलाओं वाला पुरूष सर्वोत्तम होता है. कृष्ण जी के बारे में मान्यता है कि वो 19 कलाओं के साथ जन्म लिए थे. शरद पूर्णिमा के दिन विष्णु, लक्ष्मी और गणेश की खासकर पूजा की जाती है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस दिन खीर बनाकर आसमान के नीचे रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस खीर में अंमृत होता है जो कई रोगों को दूर करता है.

आपको बता दें शरद पूर्णिमा अश्विन में मनाई जाती है और इस साल शरद पूर्णिमा 24 अक्टूबर को है. इस दिन अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए व्रत रखा जाता है. जो माताएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्‍चे दीर्घायु होते हैं. वहीं, अगर कुंवारी कन्‍याएं यह व्रत रखें तो उन्‍हें मन;चाहा पति मिलता है. शरद पूर्णिमा का चमकीला चांद और साफ आसमान मॉनसून चले जाने का प्रतीक भी माना जाता है. 

ऐसे करें पूजा
शरद पूर्णिमा के दिन व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद घर में पूजा कर दघी का दीया जलाया जाता है. इसके बाद भगवान की पूजा की जाती है. मुख्य रूप से भगवान इंद्र और लक्ष्मी माता की शरद पूर्णिमा में पूजा होती है. शाम में लक्ष्मी जी की पूजा करें और आरती उतारें. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर प्रसाद चढ़ाएं और उपवाल खोल लें. 12 बजे के बाद खीर का प्रसाद बांटें.

कोजागर पूर्णिमा भी
शरद पूर्णिम को 'कोजागर पूर्णिमा' कहा जाता है. कहा जाता है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्‍मी रात के समय आकाश में विचरण करते हुए  'को जाग्रति' कहती हैं. संस्‍कृत में को जाग्रति का मतलब है कि 'कौन जगा हुआ है?' कहा जाता है कि जो भी व्‍यक्ति शरद पूर्णिमा के दिन रात में जगा होता है मां लक्ष्‍मी उन्‍हें उपहार देती हैं. 

शरद पूर्णिमा का शुभ मुहुर्त
चंद्रोदय का समय: 23 अक्‍टूबर 2018 की शाम 05 बजकर 20 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 अक्‍टूबर 2018 की रात 10 बजकर 36 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 24 अक्‍टूबर की रात 10 बजकर 14 मिनट

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