आस्था का महापर्व छठ जब डूबते सूर्य को दिया जाता है पहला अर्घ्य!
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आस्था का महापर्व छठ जब डूबते सूर्य को दिया जाता है पहला अर्घ्य!

मान्यता है कि इस महापर्व की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने की थी. 

महापर्व छठ में डूबते सूर्य को दिया जाता है पहला अर्घ्य (फोटो साभार-bargad.org)

नई दिल्ली: बिहार के लोगों की सांस्कृतिक पहचान कहा जाने वाला छठ महापर्व इस बार 13 नवंबर को मनाया जा रहा है. हिन्दी तिथि के अनुसार कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन हर साल इसे मनाया जाता है. बिहार के अलावा बिहार के पास यूपी के देवरिया, गाजीपुर, बलिया और बनारस में बड़ी संख्या में लोग इस त्योहार को मनाते हैं. वहीं देश के बाहर अलग-अलग देशों में बसे बिहार के लोग भी अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने वाले इस त्योहार को पूरे आस्था और विश्वास के साथ मनाते हैं.

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छठ के दौरान अर्घ्य देते लोग (फोटो साभार-bargad.org)

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अमेरिका में छठ के दौरान अर्घ्य देते लोग (फोटो साभार-youtube)

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बिहार के औरंगाबाद के देव में छठ में जुटे लोग (साभार-youtube.com)

मान्यता है कि इस महापर्व की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने की थी. भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को किसी श्रापवश कुष्ट रोग हो गया था. इस श्राप से निवारण के लिए भगवान नारद से प्रार्थना करने के बाद भगवान नारद ने श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें पूरे देश के 12 स्थानों पर सूर्य मंदिर की स्थापना कर सूर्य की उपासना करने की सलाह दी. जिसके लिए उन्होनें शाकद्वीप से पुजारियों का बुलाकर जम्बु द्वीप के 12 स्थानों में सूर्य मंदिर बनवाए. इसके बाद उन्हें श्राप से मुक्ति मिली. जिसमें से एक मंदिर बिहार के औरंगाबाद के देव मे है.

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औरंगाबाद के देव का सुर्य मंदिर (फोटो साभार-templepurohit.com)

 बिहार के औरंगाबाद के देव का छठ विश्व प्रसिद्ध है. जहां इस पर्व के दौरान अर्ध्य देने के लिए पूरे देश से लोग आते हैं. देव के इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था. लोगों का मानना है कि खुद भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में मंदिर का निर्माण किया था. वैसे देश के अलग- अलग भागों में आम तौर पर सूर्य मंदिर का दरवाजा पूरब दिशा में होता है, लेकिन देव सूर्य मंदिर का पश्चिम मे है. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि मुगल शासक औरंगजेब मंदिरों को ध्वस्त करता हुआ औरंगाबाद के देव पहुंचा था. उसने भगवान सुर्य को चुनौती दी कि यदि मंदिर का प्रवेश द्वार पूरब से पश्चिम दिशा की ओर हो जाएगा तो वह इस मंदिर को नहीं तोड़ेगा.. अगले दिन मंदिर का द्वार पश्चिम की तरफ  हो गया. जिसके बाद से प्रवेश द्वार उसी रूप में स्थित है. यहां छठ मेले के दौरान हर साल देश भर से लाखों लोग अर्घ्य देने आते हैं. 

इसके अलावा देश की राजधानी नई दिल्ली, मुंबई, कोलकता और चेन्नई में रहने वाले बिहार के लोग इस महापर्व को मनाते हैं... वहीं सिंगापुर, नेपाल, ब्रिटेन के अलावा अमेरिका के कई शहरो में भी इस पर्व को मनाया जा रहा है. 

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