एक दिन में 15 मिनट से ज्यादा TV देखने से आपके बच्चों में खत्म हो सकती है क्रीएटिविटी
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एक दिन में 15 मिनट से ज्यादा TV देखने से आपके बच्चों में खत्म हो सकती है क्रीएटिविटी

दुनिया में हर माता-पिता बच्चों को ज्यादा टेलिविजन देखने से मना करते हैं। लेकिन जब माता-पिता अपने काम में व्यस्त होते हैं तो वे अक्सर अपने बच्चे को टीवी पर कार्टून लगाकर बिठा देते हैं। बच्चे कार्टून देखने के शौकीन होते ही हैं, वे लंबे समय तक टीवी देखते रहते हैं। लेकिन आप जानते हैं बच्चों में टीवी देखने से क्रीएटिविटी खत्म हो सकती है। एक अध्ययन में पता चला है कि किताबें पढ़ने या पहेली हल करने वाले बच्चों की तुलना में, दिन में 15 मिनट या उससे ज़्यादा देर तक टेलीविजन पर अपना पसंदीदा कार्टून देखने वाले बच्चों में क्रीएटिविटी खत्म होने का खतरा बढ़ सकता है।

एक दिन में 15 मिनट से ज्यादा TV देखने से आपके बच्चों में खत्म हो सकती है क्रीएटिविटी

लंदन: दुनिया में हर माता-पिता बच्चों को ज्यादा टेलिविजन देखने से मना करते हैं। लेकिन जब माता-पिता अपने काम में व्यस्त होते हैं तो वे अक्सर अपने बच्चे को टीवी पर कार्टून लगाकर बिठा देते हैं। बच्चे कार्टून देखने के शौकीन होते ही हैं, वे लंबे समय तक टीवी देखते रहते हैं। लेकिन आप जानते हैं बच्चों में टीवी देखने से क्रीएटिविटी खत्म हो सकती है। एक अध्ययन में पता चला है कि किताबें पढ़ने या पहेली हल करने वाले बच्चों की तुलना में, दिन में 15 मिनट या उससे ज़्यादा देर तक टेलीविजन पर अपना पसंदीदा कार्टून देखने वाले बच्चों में क्रीएटिविटी खत्म होने का खतरा बढ़ सकता है।

ब्रिटेन के स्टेफोर्डशायर विश्वविद्यालय में प्रवक्ता सराह रोज ने कहा कि 'इसका साफ साक्ष्य मिले हैं कि टेलीविजन देखने के तुरंत बाद बच्चे कम मूल विचारों के साथ आए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रभाव थोड़े समय बाद गायब भी हो जाते हैं। रोज ने कहा कि यदि बच्चे अपने खेल में कम रचनात्मक हैं, तो आगे चलकर इसका उनके विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। सराह कहती हैं कि कई लोगों की यह धारणा होती है कि धीमी गति वाले कार्यक्रम ज़्यादा शिक्षाप्रद होते हैं, लेकिन हमारे निष्कर्ष इसका समर्थन नहीं करते।

अध्ययन में शोध दल ने तीन साल के बच्चों की रचनात्मकता पर टेलीविजन के तत्काल असर को देखा। इसमें ‘पोस्टमैन पैट’ सीरियल देखने वाले बच्चों की तुलना किताब पढ़ने और पहेली हल करने वाले बच्चों से की गई। इसके बाद बच्चों के ज़्यादा रचनात्मक विचारों का परीक्षण किया गया। यह अध्ययन बच्चों के लिए टेलीविजन शो बनाने वालों, छोटे बच्चों को पढ़ाने वालों और माता-पिता के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। इन निष्कर्षों को हाल में ही बेलफास्ट में ब्रिटिश साइकोलॉजिकल डेवलपमेंट कांफ्रेंस में पेश किया गया।

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