2015 की टॉप 15 स्पेस डिस्कवरी
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2015 की टॉप 15 स्पेस डिस्कवरी

2015 की टॉप 15 स्पेस डिस्कवरी

साल 2015 वैज्ञानिक आविष्कारों की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण रहा है। इस साल वैज्ञानिकों ने काफी रहस्यों से पर्दा उठाया और कई महत्वपूर्ण नई खोजों को विश्व पटल पर रखा।  इसी साल मंगल ग्रह पर पानी की संभावनाओं को तलाशा गया और आकाशगंगा के नए हिस्से की खोज की गई। साल 2015 में ही वैज्ञानिकों को आकाशगंगा पर चौंकाने वाले धूमकेतु मिला और इसी साल पृथ्वी के सबसे करीब सुपरमून को देखा गया। आइए जानते हैं इस साल और क्या-क्या महत्वपूर्ण खोजें हुई।

मंगल ग्रह पर पानी मिला

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मंगल ग्रह पर भविष्य में बस्तियां बसाने की कल्पना अब केवल कथा कहानियों तक सिमट कर नहीं रहेगी क्योंकि मंगल ग्रह की सतह पर पानी तरल अवस्था में देखा गया है जो जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यह जानकारी दी। नासा के खगोलीय विज्ञान विभाग के निदेशक जिम ग्रीन का कहना है कि मंगल एक सूखा और बंजर ग्रह नहीं है जैसा कि पहले सोचा जाता था। उन्होंने कहा कि कुछ निश्चित परिस्थितियों में पानी तरल अवस्था में मंगल पर पाया गया है।

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वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉनिक पौधा विकसित किया

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प्रतिकात्मक तस्वीर

वैज्ञानिकों ने पौधे के संवहन तंत्र में सर्किट लगाकर एक इलेक्ट्रॉनिक पौधे का निर्माण किया है। इससे विज्ञान के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत हो सकती है। स्वीडन के लिकोंपिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के दल ने पौधों के अंदर लगाए गए तारों, डिजिटल लॉजिक और प्रदर्शनकारी तत्वों को दिखाया गया है, जो आर्गेनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के नए अनुप्रयोगों और वनस्पति विज्ञान में नए उपकरण विकसित करने में मददगार हो सकते हैं। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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NASA ने जेम्स वेब दूरबीन पर पहला फ्लाइट मिरर लगाया

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साभार: European Space Agency

साल 2015 में नासा ने जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन पर पहली बार 18 फ्लाइट मिरर लगाया है। वर्ष 2018 में हबल अंतरिक्ष दूरबीन के स्थान पर इसे कार्य में लाने के लिए इसकी संरचना में किया गया यह पहला महत्वपूर्ण बदलाव है। अंतरिक्षयात्री और नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय के सहायक प्रशासक जॉन गर्न्‍सफेल्ड ने कहा ‘जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन अगले दशक का प्रमुख खगोलीय वेधशाला होगी।’

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मंगल पर चुहे और बिल्ली की आकृति देखी गई

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मंगल ग्रह पर जीवन की खोज जारी है। इसी बीच वहां से गड्ढे में उछलते चूहे और बंदर जैसी आकृति की तस्वीरें सामने आई हैं। यह तस्वीरें नासा के क्यूरियोसिटी उपग्रह ने भेजी हैं। नासा का यह उपग्रह 2012 से अंतरिक्ष में मौजूद है। खगोलशास्त्री जोए व्हाइट का कहना है कि ये आकृतियां दो से तीन फीट तक का हो सकता है, जिसके कान, नाक और आंखे साफ तौर पर दिख रहे हैं। 

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27 सितंबर 2015 में पृथ्वी के सबसे नजदीक दिखा था SUPERMOON

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27 सितंबर 2015 को आकाश में एक दुर्लभ खगोलीय घटना घटी थी। 27 सितंबर की रात को आसमान में चंद्र ग्रहण और सुपर मून दिखने की खगोलीय घटना एक साथ घटी। यह चंद्र ग्रहण एक घंटे 12 मिनट की अवधि तक रहा। यह दुर्लभ चंद्र ग्रहण उत्तरी-पश्चिमी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के कुछ भागों में ही दिखा था।

मंगल पर दिखी औरत की आकृति?

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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी ने मंगल ग्रह पर ली गई तस्वीरों को लेकर जिज्ञासा पैदा कर दी है। क्यूरियोसिटी ने मंगल की एक फोटो भेजी थी जिसमें फोटो काफी हद तक चौकाती है। ताजा भेजी गई फोटो में एक महिला की छवि को साफ तौर पर देखा जा सकता है। महिला काफी दूर पहाड़ों की बीच दिख रही है।

भारत ने संचार उपग्रह जीसैट-15 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया

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साल 2015 में भारत का संचार उपग्रह जीसैट-15फ्रेंच गुयाना के कोरू अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से एरियाने-5 रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया।  जीसैट-15 को इसके सहयात्री अरबसैट-6बी (बीएडीआर-7) को अंतरिक्ष में भेजे जाने के बाद जीओसिंक्रोनस ट्रांसफर कक्षा में प्रक्षेपित किया गया। एरियानस्पेस ने कहा, एरियानस्पेस ने दो उपग्रहों: संचालक अरबसैट के लिए अरबसैट -6बी (बीएडीआर-7) और इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के लिए जीसैट -15 का का सफल प्रक्षेपण किया।

डायनोसोर 90 डिग्री तक खोल सकते थे मुंह का जबड़ा

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टारानोसोरस रेक्स जैसे विशालकाय मांसाहारी डायनोसोर जब खाने के लिए मुंह खोलते थे तो उसके दोनों जबड़े 90 अंश तक खुल जाते थे। ब्रिटेन की 'यूनीवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल' के अध्ययन में यह बात सामने आई कि डायनासोर के खाने का अंदाज और आहार प्राथमिकताएं इस बात पर काफी निर्भर करती थीं कि वे अपने जबड़े कितना खोल सकते थे। थेरोपोड दो टांग वाले डायनोसोर्स का समूह है।

संरक्षित पंख, त्वचा के साथ डायनासोर का जीवाश्म मिला

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कनाडा में शुतुरमुर्ग की तरह के डायनासोर के जीवाश्म अवशेष का पता लगाया गया है। इस अवशेष में पूंछ पर पंख और कोमल उत्तक भी संरक्षित हैं। यह खोज निश्चित रूप से डायनासोर और आज की चिड़ियों के बीच के संबंध पर प्रकाश डालेगी । अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि यह खोज तापमान के साथ शुतुरमुर्ग और एमू के अलावा डायनासोरों में आए बदलावों पर प्रकाश डालती है। अलबर्टा विश्वविद्यालय में जीवाश्म विज्ञान के स्नातक के छात्र आरोन वान डेर रीस्त ने कहा कि पूंछ पर पंख कैसा दिखता है, इसका पता चल गया है। 

आकाशगंगा के नए हिस्से की खोज

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खगोल वैज्ञानिकों के एक दल ने हमारी आकाशगंगा के एक नए हिस्से की खोज की है। यह हिस्सा युवा तारों की एक महीन तश्तरी है, जो आकाशगंगा के मध्य में घने धूल के बादलों से ढका है। पहले यह धारणा थी कि आकाशगंगा के मध्य में काफी संख्या में पुराने तारे हैं, लेकिन अध्ययन बताता है कि इनमें बहुत से नए तारे भी मौजूद हैं।

चौंकाने वाले धूमकेतु की खोज हुई

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वैज्ञानिकों को पहली बार किसी धूमकेतु के पर्यावरण में प्रचुर ऑक्सीजन का पता चला है जिससे अपनी सौर तंत्र के उद्भव के बारे में हमारी समझ बदल सकती है। यह धूमकेतु अगस्त में सूर्य के समीप से गुजरा था। इस खोज से पता चला है कि धूमकेतु '67 पी चुरयुमोव- गेरोसिमेंको' के निर्माण के समय में उसमें ऑक्सीजन अणुओं को भी जगह मिली। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का अंतरिक्षयान रोसेटा पिछले एक साल से इस धूमकेतु का अध्ययन में जुटा है और उसे वहां उसके केंद्र से उठती हुई कई गैसों की प्रचुर मात्रा का पता चला। खगोल वैज्ञानिकों ने 655 प्रकार के तारे ढूंढे हैं, जिनके नाम सिफाइड्स हैं। खास बात है कि इन तारों के आकार और इनकी चमक में भी स्वत: बदलाव होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सभी सिफाइड्स एक जैसे नहीं होते हैं। इनकी दो श्रेणियां हैं, जिनमें कुछ नए तारे हैं।

नासा ने खोजा आकाशगंगा का सबसे 'शैतान' तारा

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल टेलीस्कोप ने हमारी आकाशगंगा में एक नए और विचित्र स्वभाव वाले तारे की खोज की है तथा इसके बर्ताव के कारण इसे 'नैस्टी' (शैतान) तारा नाम दिया गया है। वास्तव में इसे शैतान इसलिए कहा गया है, क्योंकि इसे अपने जैसे ही एक अन्य तारे की बाहरी परत को चुराने वाला माना जा रहा है।

कब हुई थी पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत इसका पता चला

पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत 30 करोड़ वर्ष पहले नहीं बल्कि कम-से-कम 4.1 अरब वर्ष पहले हुई थी। पूर्व के दस्तावेजों के अनुसार हमारे ग्रह पर 30 करोड़ वर्ष पहले जीवन की शुरुआत होने की बात कही गयी थी लेकिन नये अनुसंधान में नये तथ्य सामने आये हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया - लॉस एंजिलिस (यूसीएलए) के अनुसंधानकर्ताओं की खोज में इस बात के संकेत मिले हैं कि 4.54 अरब वर्ष पहले ग्रह के अस्तित्व में आने के बाद ही जीवन की शुरुआत हो गयी थी।

मंगल ग्रह पर मिला बर्फ का 130 फुट मोटा विशालकाय खंड

शोधकर्ताओं ने मंगल की सतह के नीचे बर्फ के बड़े शिलाखंड का पता लगाया है जो 130 फुट मोटा है और कैलिफोर्निया तथा टेक्सास जितने बड़े इलाके में फैला हुआ है। भारत में प्राणियों की 176 नई प्रजातियों का पता चला भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने कहा है कि पिछले साल जीव विज्ञानियों ने भारत में प्राणियों की नयी 176 प्रजातियों का पता लगाया। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत प्राणियों के वर्गीकरण के लिए काम करने वाले जेएसआई के आधिकारिक रिकार्ड के मुताबिक पिछले साल भारत में 176 नयी प्रजातियों का पता चला। इनमें 93 नये कीट-पतंगे हैं। इस सूची में मछलियों की 23 प्रजातियों, मेढ़क, विषले मेढ़कों जैसी 24 उभयचर प्रजातियों, सरीसृपों की दो प्रजातियों, मकड़ी की 12 प्रजातियों और 12 कड़े खोल वाले प्राणी (केकड़े, समुद्री झींगा आदि) शामिल हैं।

वैज्ञानिकों ने खोजा कब हुई थी विश्व की पहली हत्या

वैज्ञानिक स्पेन में 4,30,000 साल पुरानी एक खोपड़ी का पता लगाने के बाद संभवत: विश्व की सबसे पुरानी हत्या के रहस्य को सुलझा सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि खोपड़ी पर मिले घातक घाव के निशान से पुरातात्विक रिकार्ड में दर्ज पहले की अंत्येष्टि प्रथाओं के बारे में भी सबूत मिलता है। एक भूमिगत गुफा में स्थित इस स्थल में कम से कम 28 लोगों के अवशेष मिले हैं ओैर ये सभी 4,30,000 साल पहले के हैं । इस स्थल तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता एक तेरह मीटर गहरा खड़ा गुहर है। यह अब एक रहस्य है कि इस जगह तक मानव शवों को कैसे ले जाया गया होगा।

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